Big Picture with RKM: रायपुर। ‘केजरीवाल अब जेल नहीं बल्कि बेल पर है।’ और उन्हें जमानत मिलना संभव भी था क्योंकि दिल्ली शराब नीति घोटाले में जितने भी आरोपी है वह सभी जेल से बाहर आ चुके है। (Will Kejriwal’s bail now help AAP in Haryana elections?) इसलिए कोर्ट ने जब इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था तभी इस बात की संभावना बढ़ गई थी कि सीएम अरविन्द केजरीवाल को 177 दिनों तक जेल में रहने के बाद जमानत मिल जाएगी।
लेकिन सवाल सिर्फ केजरीवाल के जेल से बाहर आने का नहीं है, बल्कि अब ये देखना दिलचस्प होगा कि अब इस घटना का देश की राजनीति, देश के चुनाव और दिल्ली प्रदेश पर इसका क्या प्रभाव होगा?
Big Picture with RKM: कोर्ट ने आज जब उन्हें बेल दिया तब इस बात का भी जिक्र किया कि इस दौरान न ही वे दफ्तर जा पाएंगे, न ही किसी दस्तावेज पर उनके दस्तखत होंगे और बाहर रहते हुए वे किसी गवाह को भी प्रभावित कर पाएंगे। और तो और इस केस के बारें में किसी तरह की बयानबाजी कर सकते है। इससे साफ़ है कि जिस तरह जेल में रहते हुए वह मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे थे उसी तरह के रोल में वह जेल से बाहर भी रहेंगे और अगर किसी स्थिति में उन्हें हस्ताक्षर करना जरूरी हो तो इसके लिए उन्हें पहले दिल्ली के उप राज्यपाल की अनुमति लेनी होगी। (Will Kejriwal’s bail now help AAP in Haryana elections?) नियम और कायदे सीएम केजरीवाल के जमानत से जुड़े हुए है। लेकिन बेल मिलने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वह अब भाषण करेंगे और जनता से सीधे संवाद कर सकते हैं। हम जानते हैं कि केजरीवाल इस काम में माहिर भी है। लेकिन बात अगर दूसरे अधिकारों की करें तो उन्हें सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश या फिर चुनावी प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है। शेष मुख्यमंत्री तो मुख्यमंत्री ही रहता है।
लेकिन अरविन्द केजरीवाल के जमानत के कुछ मायने काफी बड़े और अहम है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव है और अपने नेता को जमानत पर बाहर पाकर पार्टी का हौसला सातवें आसमान पर है।
चुनावी राज्य हरियाणा में आम आदमी पार्टी केजरीवाल के जमानत का पूरा फायदा उठाने जा रही है। आप के नेता इसे ‘हरियाणा का बेटा लौटा’ कहकर प्रचारित कर रहे हैं। दूसरा कि दिल्ली और पंजाब से सटे हरियाणा में भी आम आदमी पार्टी जनता से मौका मांग रही है। केजरीवाल अब अपना पूरा ध्यान हरियाणा पर लगाएंगे। ऐसा इसलिए भी कि इस चुनाव में आम आदमी पार्टी अकेले ही मैदान में है और किसी तरह के गठबंधन से अलग वह सभी नब्बे विधानसभा चुनाव लड़ रही है।
Big Picture with RKM: बात परिस्थितियों की करें तो यह चुनाव पूरी तरह से आम आदमी पार्टी के अनुकूल है। हरियाणा में उन्हें इसका सियासी फायदा मिलेगा इसकी सम्भावना भी काफी ज्यादा है। लेकिन सवाल ये हैं कि आखिर नुकसान किसे होगा? हमने लोकसभा में देखा कि आप और कांग्रेस ने अलायंस के साथ चुनाव लड़ा जबकि अब कांग्रेस और आप दोनों ही अकेले है। (Will Kejriwal’s bail now help AAP in Haryana elections?) बात अगर वोटो की करें तो यह भी संभव हैं कि आप सबसे ज्यादा कांग्रेस के वोटबैंक पर ही सेंधमारी करेगी। यह हमने दिल्ली में भी देखा है और पंजाब में भी। खुद कांग्रेस भी इस बात को अच्छी तरह जानती है, समझती है। यही वजह हैं कि कांग्रेस गठबन्धन के लिए ज्यादा आतुर थी बजाये आम आदमी पार्टी के।