#BigPictureWithRKM: विनोद तावड़े की CM बनने की चाह ने डुबोई लुटिया?.. पार्टी के भीतर ही रची गई कोई साजिश?.. देखें इस नोटकांड के पीछे का बिग पिक्चर..

Big Picture With RKM इस आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता कि पार्टी के भीतर ही किसी ने उनके खिलाफ साजिश रची हो। हालांकि नोट किसका था? किस मकसद से लाया गया था और क्या वाकई विनोद तावड़े ही नोट बाँटने वाले थे? यह सब जाँच का विषय है।

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  • Publish Date - November 19, 2024 / 11:18 PM IST,
    Updated On - November 19, 2024 / 11:23 PM IST

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Big Picture With RKM: रायपुर: बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े नोट बांट रहे थे? तावड़े के पास रखा नोट किसी और का था या फिर तावड़े इस नोट कांड में अपनी ही पार्टी के भीतर किसी साजिश का शिकार हुए है? (Was any conspiracy hatched within the BJP against Vinod Tawde?) इन सभी सवालों के जवाब तो जांच और अनुसंधान के बाद ही सामने आ सकेंगे। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।

हालांकि मतदान के ठीक पहले सामने आया यह पूरा मामला सच है कि उस होटल में विनोद तावड़े ही थे। वे जहां रुके थे वहां 10 लाख रुपये भी बरामद किया गया है। उनके पास से एक डायरी भी बरामद हुई है जिसमें उन नोटों के लेनदेन का भी पूरा ब्यौरा है।

बहरहाल हम सभी जानते हैं कि चुनावों के दौरान पैसे बांटे जाते है और मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश भी होती है। कथित तौर पर निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनावों तक सियासी पार्टियों द्वारा नोट बांटे जाने की शिकायतें मिलती रही है। पर सवाल ये है कि क्या नोट बांटने के काम में विनोद तांवड़े जो राष्ट्रीय स्तर के लीडर है वह शामिल थे? वे भाजपा के महासचिव है, पार्टी में ऊँचे कद के नेता है। दूसरा सवाल कि यह कि अगर वाकई पैसे बांटे जाने थे तो इसका खुलासा कैसे हुआ? आश्चर्य इस बात पर ज्यादा है। आखिर कैसे विरोधी दल के कार्यकर्ता होटल पहुंचे, उन्होंने नोट लहराए और उन्हें इस बात की भनक कैसे लगी? ये सभी बड़े सवाल है।

बात अगर विनोद तावड़े की राजनीति की करें तो एक दौर में वह भाजपा की तरफ से महाराष्ट्र के सीएम पद के दावेदार थे। हालांकि तब उनकी जगह देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया गया। (Was any conspiracy hatched within the BJP against Vinod Tawde?) फडणवीस कैबिनेट में विनोद तावड़े को शिक्षा मंत्री बनाया गया। लेकिन इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में तो उन्हें टिकट नहीं दिया और वह राज्य की राजनीति से भी लगभग अलग हो गए। इसके बाद उन्हें केंद्र की सियासत में शामिल होने का मौक़ा मिला। तावड़े पार्टी के महासचिव बनाये गये। आलाकमान ने इस दौरान उन्हें कई राज्यों का प्रभारी भी बनाया। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कई बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल भी कराया। इस तरह केंद्र में उनका कद लगातार बढ़ता रहा। इतना ही नहीं बल्कि पिछले दिनों विनोद तावड़े का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी लिया जाने लगा था। लेकिन केंद्रीय आलाकमान ने विधानसभा चुनाव में देखरेख के लिए उन्हें महाराष्ट्र भेज दिया था।

इसी बीच उन्होंने एक इंटरव्यू भी दिया जो काफी चर्चा में रहा। इस साक्षात्कार में उन्होंने सीएम पद को लेकर तावड़े ने कहा था कि सीएम कोई भी बन सकता हैं। वह भी बन सकते है जिनका नाम चर्चा में ना हो। इसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान में हुए घटनाक्रम का भी हवाला दिया। इस तरह तावड़े ने कही न कही सीएम बनने की अपनी पुरानी महत्वाकांक्षा को फिर से सामने रख दिया था। वही एक दूसरे इंटरव्यूव में पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि विनोद तांवड़े तो राष्ट्रीय नेता बन चुके है। इस तरह दोनों के बीच का द्वन्द देखा जा सकता था। और इस बीच आज का नोटकांड।

ऐसे में इस आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता कि पार्टी के भीतर ही किसी ने उनके खिलाफ साजिश रची हो। हालांकि नोट किसका है? किस मकसद से लाया गया था और क्या वाकई विनोद तावड़े ही नोट बाँटने वाले थे यह सब जाँच का विषय है। (Was any conspiracy hatched within the BJP against Vinod Tawde?) लेकिन मतदान से ठीक एक दिन पहले उनका नोटों के साथ विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा पकड़े जाने की घटना एक सामान्य घटनाक्रम नहीं है। हालांकि यह भी सच है कि सियासी पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए पैसे बांटने का हथकंडा अपनाती रही है यह चुनावी राजनीति का काला और बड़ा सच भी है।

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