Big Picture With RKM: रायपुर। “मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समुंदर हूं, लौट कर वापस आउंगा”.. ये शेर कभी महाराष्ट्र के भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कही थी। (The biggest reasons for BJP’s victory in Maharashtra) उन्होंने यह तब कही थी जब उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया था जबकि शिंदे खुद मुख्य्मंत्री बने थे। लेकिन आज जब ये समंदर लौटकर आया तो कोई लहर नहीं बल्कि पूरी तरह सुनामी बनकर। भाजपा ने महाराष्ट्र में नया इतिहास रच दिया है। ये जीत जितनी अप्रत्याशित है, अकल्पनीय है।
हैरानी बात हैं कि आज महायुति और भाजपा ने जिस तरह की कामयाबी महाराष्ट्र में हासिल की है उसपर किसी को भी यकीन नहीं हो रहा है। खुद पार्टी के नेताओं ने अपने आप को 170-160 सीटों के बीच समेट लिया था लेकिन आज का रिजल्ट उनके उम्मीदों से कही ज्यादा रहा, आगे रहा। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर किन वजहों से महायुति और भाजपा को प्रचंड जीत क्यों हासिल हुई? इनके पीछे क्या वजह रही?
महायुति ने इस बार अपना पूरा फोकस महिला वोटरों पर रखा था। हमने देखा है कि पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार के विधानसभा चुनावों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है। उनके वोट प्रतिशत भी बढ़े हैं। महिलाओं को साधने भाजपा ने लाडकी बहना योजना का जमकर प्रचार किया और इसका फायदा भी महिलाओं को दिया। (The biggest reasons for BJP’s victory in Maharashtra) भाजपा जो इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देती थी वह राशि अब और भी बढ़ जाएगी।
दूसरी सबसे बड़े वजह भाजपा का नारा ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ की व्यापक सफलता। इस नारे के साथ भाजपा ने अपने हिन्दू मतदाताओं को तो बनाये रखा बल्कि महायुति के जिन दलों ने इस नारे से दूरी बनाई उसका फायदा भी रणनीतिक तौर पर महायुति को हासिल हुआ।
तीसरी बड़ी वजह लोसकभा चुनाव की हार से सबक लेना। भाजपा को महाराष्ट्र में लोकसभा के चुनाव में खासा नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन भाजपा ने इस नाकामी से बड़ा सबक लिया और बचे हुए महीने में इस पर काम भी किया। इसके लिए उन्होंने समाज के सभी वर्ग को साधने का काम शुरू किया। महायुति की सरकार ने इस दौरान युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए कई हितकारी योजनाएं शुरू की। इसके अलावा भाजपा ने आरएसएस के साथ मिलकर सभाएं की, जमीनी स्तर पर भी मेहनत की। उन्होंने समाज के हर वर्ग तक अपनी पहुँच भी सुनिश्चित की और यही वजह है कि आज नतीजों में इसका फायदा महायुति को मिला, भाजपा कोई मिला।
इससे अलग चुनावी रणनीति पर बात करें तो सीट बंटवारे को लेकर भी महायुति के घटक दलों के बीच गजब की अंडरस्टैंडिंग देखने को मिली। सीट शेयरिंग के दौरान सभी दलों के बीच आपसी समन्वय और सहमति बनी रही, चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने को लेकर कोई विवाद नहीं था। (The biggest reasons for BJP’s victory in Maharashtra) इतना ही नहीं बल्कि सीटों के बंटवारों के बाद आपसी सामंजस्य बनाये रखें के लिए नेताओं ने आपस में पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा लेकिन अपने मतदाताओं को दूर होने नहीं दिया। जबकि इसके उलट महाविकास अघाड़ी में शुरू से खींचतान देखी जा रही थी। सीटों के बंटवारे में वे काफी पीछे रहे।
बात सीएम पद की करें तो महायुति के नेताओं ने इस मामले पर मौन धारण कर लिया था। उनके नेताओं ने कभी भी इस पद के लिए दावा नहीं ठोंका। वे हमेशा कहते रहे कि चुनावी नतीजों के बाद इस पर विचार विमर्च किया जाएगा। जबकि कांग्रेस और शिवसेना में सीएम पद के लिए असहमति देखी गई, नेताओं ने बयानबाजी भी की और इसका असर वोटरों पर भी पड़ा