Periods At Early Age: हर महिला को अपने जीवनकाल में एक उम्र के बाद पीरियड्स शुरू होते हैं। ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इससे इस बात का पता चल जाता है कि महिला में अंडे बन रहे हैं और आगे चलकर वो मां बन सकती है। अमूमन हर महिला की पीरियड्स की शुरूआत अलग-अलग समय पर होती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पीरियड्स आने 12 से 15 साल की उम्र में शुरू हो जाते हैं। लेकिन तेजी से बदलते हुए इस दौर में आज कल कई लड़कियों को उनकी उम्र से पहले ही यानी 9-10 साल की उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो जाते हैं ऐसे में कई बार माता-पिता घबरा जाते हैं क्योंकि जाहिर है कम उम्र में बच्चे पीरियड्स के असहनीय दर्द को झेल नहीं पाते हैं। लेकिन इसके लिए बच्चे को मानसिक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है साथ ही वो इस स्थिति को अच्छे से संभालने योग्य हो जाए।
दरअसल, आज कल मोटापा भी बच्चियों में जल्दी पीरियड शुरू होने की एक बड़ी वजह है। मोटापे की वजह से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। ये हार्मोन महिलाओं के शरीर में होने वाले कई बड़े बदलावों के लिए जिम्मेदार है जिसमें एक पीरियड शुरू होना भी शामिल है। अगर कम उम्र में ही इस हार्मोन में तेजी से बदलाव होने लगे तो लड़कियों को बेहद कम उम्र में ही पीरियड्स आने शुरू हो सकते है। वहीं जल्दी पीरियड्स आने का एक कारण बाहर का जंकफूड खाना भी है। इसके कारकों में बड़ी भूमिका निभाता है। आजकल के बच्चे बाहर का जंकफूड ज्यादा खाते हैं ये फूड ज्यादातर प्रोसेस्ड होता है जिससे भी मोटापा और फिर इंसुलिन का स्तर बढ़ता है। ये सभी कारक आपस में एक दूसरे को ट्रिगर करते है।
Periods At Early Age: वहीं एक अध्ययन में पता लगा है कि इन पदार्थों में डिटर्जेंट, इत्र, साबुन और अन्य उत्पादों में इस्तेमाल की जाने वाली सुगंध मस्क एम्ब्रेट भी शामिल है। एंडोक्रिनोलॉजी में छपे एक अध्ययन के अनुसार, कोलीनर्जिक एगोनिस्ट नाम की दवाएं भी आती हैं, जो जल्दी पीरियड शुरू होने का कारण बनती हैं। इन कम्पाउंड्स को ‘हार्मोन-डिसरपटर्स’ या ‘एंडोक्राइन-डिसरपटिंग’ कहा जाता है। यह लड़कियों के शरीर के हार्मोन फंक्शन को बिगाड़ सकते हैं।