लाइफस्टाइल न्यूज: कब किसे प्यार हो जाए यह कहा नहीं जा सकता। पति पत्नी के रिश्तों में हल्की सी दरार किसी तीसरे को मौका दे सकती है, इसमें कोई दो राय नहीं है। इसकी कीमत शादी जैसे पवित्र बंधन से भी चुकाना पड़ सकता है?
हम आपको एक महिला की कहानी बता हैं महिला के अनुसार – ‘मेरे पिता ने 3 साल पहले मेरी शादी रोशन से करवाई थी। कानपुर में हुई इस ग्रैंड वेडिंग की सभी ने जमकर सराहना भी की थी और इसकी भव्यता देख कहा था कि मेरे पिता ने इस पर कितना ज्यादा पैसा खर्च किया। ये एक अरेंज्ड मैरिज थी और इससे पहले मेरी रोशन से बहुत कम बात हुई थी। वह एक अच्छा और शर्मिला इंसान लगा, इस वजह से मैंने उससे किसी चीज को लेकर ज्यादा पूछताछ भी नहीं की। मैं उसके लिए एक परफेक्ट वाइफ बनना चाहती थी।
लेकिन सुहागरात के दिन जब मैं बिस्तर पर बैठी थी और उसका इंतजार करते हुए ये सोच रही थी कि अब आखिरकार हमें आपस में बात करने का और एक-दूसरे को समझने का मौका मिला है, तब मुझे सिर्फ निराशा हाथ लगी। वो कमरे में आया, मुस्कुराकर कुछ चीजें कहीं और थोड़ी देर बाद ही हममें रिश्ता बना। हमने बिल्कुल भी बात नहीं की और फिर हम सो गए। मुझे लगा कि ये सब शादी की थकान के कारण हो सकता है।
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हालांकि, ये सब जारी रहा। रोशन हमेशा खुद में सिमटा हुआ सा रहा। हम भले ही नव-विवाहित थे, लेकिन फिर भी वह मेरे लिए बहुत कम समय निकालता था। मैंने दूसरे कपल्स को हनीमून पर जाते हुए देखा है, लेकिन मैं और रोशन इसकी जगह दिल्ली शिफ्ट हुए ताकि उसे काम पर जाने में आसानी हो। यहां पर हमारे पास एक बड़ा विला था और उसमें कुछ नौकर। वे सब बहुत प्यारे और नम्र थे। उन्होंने कभी भी मुझे घर से दूर होने का एहसास नहीं होने दिया पर रोशन के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता।
मैं उसके प्यार के लिए तड़प रही थी, क्योंकि वह कभी इसे जाहिर ही नहीं करता था। वह हमेशा रूखा, सख्त और नाराज सा लगता था। अपनी पत्नी तक से वह भावनाएं जाहिर नहीं कर पाता था। उसके सहारे के बगैर मेरे लिए इस नई जिंदगी और शहर में अडजस्ट होना मुश्किल हो गया।
कई महीने बीत गए, लेकिन रोशन नहीं बदला। इसकी जगह वह मेरी पसंद और व्यक्तित्व की आलोचना करने लगा। ‘ऐसे रंग के कपड़े मत पहनो’, ‘इस तरह से मत बैठो’, ‘ये मत करो…वो मत करो…’ ये सब मेरे लिए बहुत ही निराशाभरा होने लगा था। उसने तो मेरे एक्सेंट तक को घटिया बताया।
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इसके बाद उसने मुझे सख्ती के साथ ग्रूमिंग क्लासेस लेने को कहा ताकि मैं सोसायटी में अच्छे से ढलना सीख सकूं और ज्यादा आकर्षक लगूं। ये सब मेरे लिए बेइज्जती की तरह था, लेकिन अगर ये मुझे पति के करीब ला सकता था, तो मैं ऐसा करने को भी तैयार थी। उसने मेरे लिए सप्ताह में तीन बार जाने के लिए क्लासेस अरेंज कीं। और तब पहली बार मेरी मुलाकात हमारे ड्राइवर सुशील से हुई।
वो मुझे हर सप्ताह क्लास छोड़ने और लेने आता था। वह काफी विनम्र और दयालु स्वभाव का था। उसकी स्किन डार्क और बॉडी अच्छी थी। वह 30 की उम्र के आसपास होगा और उसका व्यवहार काफी मिलनसार था। शुरुआत से ही उसने मुझे कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। क्लास जाने के दौरान हम कई चीजों पर बात करते थे, जो मेरे लिए दिन का सबसे अच्छा अनुभव होता था। मैं इंतजार करने लगी थी कि कब मैं उसके साथ क्लास जाया करूंगी। वह मुझे इतना सहज महसूस करवाता था कि मैं उसके सामने हंसने से भी नहीं शर्माती थी।
एक दिन मैंने सफेद सलवाह-कमीज पहनी और मुझे देखते ही वह खुश हो गया और कहा ‘मैडम, आज आप सूरज की तरह चमक रही हो।’ मैं ये सुनकर हंस दी और कार में बैठ गई। अंदर ही अंदर मैं बहुत खुश थी। आखिरकार कोई तो था जो मेरी तारीफ कर रहा था। मेरे पति ने नहीं बल्कि ड्राइवर ने मुझे ये एहसास करवाया कि मैं खूबसूरत हूं। और इसी दिन मुझे उससे प्यार हो गया।
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मैं उसके साथ अकेले रहने के बहाने ढूंढने लगी। मैंने उसे कई बार साथ चाय पीने को बुलाया लेकिन वह मना कर देता। एक दिन वह माना, तो मैंने बाकी हाउस हेल्प को भी साथ में बुलाया ताकि किसी को शक न हो।
मैं उसकी छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देने लगी, जैसे वह जब बोलता है, तो कैसे उसकी आंखों में कोमलता आ जाती है और हंसते समय आंखों के पास लकीरें बनती हैं। हर बीतते पल के साथ मैं उससे और प्यार करती जा रही थी।
वह मुझे एहसास करवाता था कि मैं ऐसी शख्स हूं, जिससे प्यार व फिक्र किया जाना चाहिए और सबसे अहम ये कि मेरे साथ भी खुशी के साथ समय बिताया जा सकता है। उसने जैसे मेरे अस्तित्व पर मुहर लगाई और यही मुझे सबसे ज्यादा खुशी दे गया। मैं ये सोचकर दुखी हो जाती थी कि मेरा पति मुझे ये अनुभव नहीं दे पाया। वह हमेशा काम में ही व्यस्त रहता था। मैं कभी-कभी सोचती हूं कि अगर उसे सुशील के लिए मेरी भावनाओं के बारे में पता चला, तो क्या होगा?