Children's
Avoid giving such learning to children: हमारी दुनिया और बच्चों की दुनिया में काफी फर्क होता हैं। बच्चों की दुनिया काफी अलग होती हैं जिसमें बच्चे वो सारी चीज़ें सीखते हैं जिसे दूसरो को करते देखते हैं। वो बचपन में माता-पिता के नज़रिए से दुनिया को देखते हैं। इस तरह माता-पिता का फर्ज बनता हैं कि बच्चों को हमेशा पॉजिटिव बातें ही सिखाएं। क्योंकि बच्चे एक बार जो सीख जाते हैं, उसके बाद उन्हें बदलना या सुधारना बहुत मुश्किल हो जाता है। जैसे,अगर बच्चें किसी चीज़ के लिए ज़िद कर रहे हैं और पेरेंट्स इस बात को अनदेखा करते हैं, तो पेरेंट्स के इस अनदेखे से बच्चें ज़िद्दी बन जाते हैं, जो उनमें एक स्वभाव के रूप में बस जाता हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि बचपन में ही बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखी जाए। कुछ माता-पिता मजाक में बच्चों को ऐसी बातें सिखा देते हैं, जो उनके व्यक्तित्व निर्माण में सबसे बड़ी बाधा साबित होती हैं। जिससे बच्चें में काफी हद तक नकारात्मक भाव देखने को मिलते हैं। बच्चों को न सिखाए ऐसी आदतें।
बच्चों की लड़ाई होना आम बात हैं लेकिन इस लड़ाई में आप बच्चों को बोलते हैं कि किसी के साथ लड़ाई हो और कोई तुम्हें मारे तो तुम भी मार का आना तो ये सीखना आपको भारी पड़ सकता हैं। आपके द्वारा सिखाई गई यह बात बच्चों को वॉयलेंट बनाती है और मार-पीट करना उसकी आदत बन सकती है। जो काफी नुकसानदायक भी साबित हो सकता हैं।
कई दफा पेरेंट इसे बहुत फनी बात मानते हैं और हंसी-मजाक में ऐसी बातें कर जाते हैं जो बच्चों के लिए बुरा साबित होता हैं। यह बहुत ही बुरी बात है। ऐसा करने से बच्चे के मन में किसी के लिए रिस्पेक्ट नहीं रहती हैं और वो सबके साथ बुरे व्यवहार से बात करते हैं। बच्चें सही चीजों को भी वह गलत नजर से देखते लगता है।
अगर किसी बच्चें के पास कुछ अच्छी खिलौने हैं और आपका बच्चा उसके लिए रोये या खरीदने बोले तो आप उसे ये न कहें कि जाओ उसका खिलौना उठाकर ले आओ। उस समय आपका यही फर्ज बनता हैं कि उसे बताएं कि कोई चीज उसके लिए अच्छी है या नहीं। कभी भी बच्चों को बिना पूछे घर पर उठा लाने की सलाह न दें। ऐसी सलाह बच्चों को चोरी करना भी सीखा सकती हैं।
कई बार हम किसी के सामने मजाक करते हुए बच्चों से कहते हैं कि इस आंटी या बच्ची से शादी करोगे? लेकिन हर बात की एक उम्र होती हैं। बच्चों के सामने ऐसी बातें करके आप उनके दिमाग में सिर्फ कचरा भर रहे हैं इसलिए मजाक में भी ऐसी वाहियात बातें न करें। इस बात से बच्चें में निगेविटी के भाव भी आ सकते हैं।
हमेशा ज्यादातर लोग मजाक में यह बात अपने बच्चों को कह देते हैं कि तुम्हें कचरे के डिब्बें से उठाकर लाए हैं, लेकिन इस मजाक को करने की भी एक उम्र होती है। छोटे बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। ऐसे में वो आपकी इस बात को सच मानकर दुखी भी हो सकते हैं या उनमें हीन भावना आ सकती है। जिससे हो सकता हैं कि वो आपसे दूर-दूर भी रहें।
कई बार ऐसा होता हैं कि पेरेंट्स अपने बच्चें की साइड इतना लेते हैं कि सही, गलत में फर्क ही भूल जाते हैं। किसी दूसरे बच्चें की बातों को नज़रअंदाज कर वो अपने बच्चें की साइड लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। आपके इस व्यवहार से बच्चों हमेशा दादागिरी कर सकते या सही, गलत बातों में फर्क भी नहीं कर पाएंगे। आपका यही फर्ज बनता हैं कि कभी भी बच्चों की लड़ाई में अपने बच्चें की साइड न लें।
अक्सर यह देखा जाता हैं कि पेरेंट्स अपने और दूसरों के बच्चों में भेदभाव करने से पीछे नहीं हटते हैं। अपने बच्चें को हमेशा दूसरो के बच्चों से जयादा आंकना, अपने बच्चें की तारीफ करना, एक्टिविटी में फर्क करना, दोनों की समझ में तुलना करना इन सारी चीजों को करने से माता-पिता को सौ हाथ दूर रहना चाहिए।
इन बातों का असर बच्चों के दिमाग में पड़ सकता हैं। हो सकता हैं कि बच्चें अपने आप को दूसरे के सामने श्रेष्ठ समझे और वो सारी हरकत करने लगे जो गलत हो। इतना ही नहीं बच्चों में घमंड के भाव भी आ सकता हैं। इस वजह से पेरेंट्स को इन सब बातों को करने से बचना चाहिए।
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