आज हम बात करने जा रहे हैं… यूपी में बीजेपी की नई रणनीति की…
यूपी में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक उठापटक ने जोर पकड़ लिया है……कल तक जाति के आधार पर चुनावी माहौल बनाने की कोशिश समाजवादी पार्टी कर रही थी लेकिन यूपी का राजनीतिक समीकरण अब जाति से आगे निकलने वाला है…बीजेपी इस जाति की राजनीति को राष्ट्रनिर्माण के नारे के साथ टक्कर देने वाली है…याद रखें अखिलेश के छोटे भाई की पत्नी ने बीजेपी ज्वाइन करते समय यही कहा था कि वे राष्ट्रनिर्माण के लिए आई हैं… और कांग्रेस के एक बड़े नेता आरपीएन सिंह ने भी कुछ इसी तरह की बात करते हुए बीजेपी ज्वाइन की है….
यूपी में चुनाव जैसे- जैसे नजदीक आ रहा है दो प्रमुख दलों सत्ता में बैठी बीजेपी और विपक्षी समाजवादी पार्टी के बीच जबरदस्त कॉम्पीटिशन दिखाई दे रहा है… दोनों एक दूसरे को पटकने के लिए हर पैंतरे आजमा रहे हैं…अब कृष्ण की नगरी मथुरा से बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने यादवों को अखिलेश यादव से दूर करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है…जाटों को बीजेपी से दूर करने में जुटे अखिलेश यादव यही मानकर चल रहे हैं कि यादव वोटर उनकी जेब में हैं….जबकि इधर अमित शाह उनकी जेब में छेद कर चुके हैं…
यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह और उनके बेटे अखिलेश की समाजवादी पार्टी आज भी यूपी में बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की तुलना में मजबूत दिख रही है तो इसका कारण उसका जातिवादी खेल रहा है…यादव- मुस्लिम वोटों के जरिए राजनीति करती रही समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव इस बार अपनी नैया पार कराने के लिए बीजेपी के वोटर रहे जाटों को तोड़ने और लुभाने में लगे हैं…जाट नेता और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी से गठबंधन करके अखिलेश यादव जीत का सपना भी देख रहे हैं पर चौधरी के ही गढ़ में मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर अखिलेश ने जाटों के बीच अपनी किरकिरी करा ली है और कहा जा रहा है कि जाट समाजवादी पार्टी से नाराज हो गए हैं….इधर बीजेपी के चाणक्य कहलाने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने देश की सुरक्षा का वास्ता देकर जाटों को अपने पक्ष में लाने का प्रयास शुरू किया है…कुछ और वादे उन्होंने जाट नेताओं से किए हैं….अब मथुरा जाकर यादवों को अखिलेश से दूर करने की रणनीति पर काम शुरू किया है। बीजेपी पहले ही नारा देती रही है कि अयोध्या काशी के बाद अब मथुरा की बारी है…वहां काशी की तरह काफी काम हुए हैं और पार्टी अब देशभर के यादवों के बीच यही संदेश देने जा रही है कि मुलायम और अखिलेश ने यादवों का नाम लेकर वोट तो लिया पर उनके मान सम्मान स्वाभिमान की दिशा में कोई काम नहीं किया है… यादवों के लिए मथुरा से पवित्र जगह कोई और नहीं हो सकती है… और इस नगरी का विकास तो बीजेपी ने किया है और आगे भी करेगी…आने वाले दिनों में बीजेपी जाट और यादव दोनों वोटरों को लुभाने के लिए राष्ट्रनिर्माण और देश की सुरक्षा जैसे मुद्दे लाने की तैयारी में है…इसकी झलक बीजेपी नेताओं के बयानों में दिखने लगी है…
यूपी में बीजेपी को घेरकर चित्त करने की जुगत में लगे विपक्षियों को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं…अलग अलग चुनाव लड़कर और बाद में एक साथ मिलकर सरकार बनाने की रणनीति लेकर मैदान में उतरे विरोधियों के लिए सबसे ज्यादा खतरा अब उनके ही लोग बनते जा रहे हैं….बीजेपी से कुछ मंत्रियों और विधायकों को तोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल कराने के बाद अखिलेश यादव सबसे ज्यादा उत्साहित नजर आ रहे थे पर बीजेपी ने जिस तरह समाजवादियों के किले में सेंध लगाई है उसका दर्द अखिलेश भुलाए नहीं भूल पाएंगे…अखिलेश यादव के परिवार से कई लोग अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और ये सिलसिला अभी रूकने वाला नहीं है…बीजेपी को छोड़कर समाजवादी पार्टी में गए स्वामी प्रसाद मौर्य जिस अहंकार के साथ बीजेपी को नेस्तनाबूत करने का दावा कर रहे थे वह अहंकार भी अब चूर चूर होने वाला है ऐसा दिख रहा है…
मौर्य ने अपने समाज के वोटर्स को अपनी जेब में समझा था पर उन्हीं वोटर्स ने कभी मौर्य को धूल चटाई है…अब एक बार फिर मौर्य को धूल चटाने का इंतजाम बीजेपी ने कर लिया है… आप जानते ही हैं कि पूर्वांचल क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रखने वाले कांग्रेस के स्टार प्रचारक आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल हो गए हैं…;चर्चा है कि बीजेपी आरपीएन सिंह को स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनाव में उतारेगी…सिंह 2009 में मौर्य को लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं.. उम्मीद की जा रही है कि वे इतिहास को दोहराएंगे…
समाजवादियों को घेरने के लिए आरपीएन सिंह को पार्टी में लाकर बीजेपी ने ऐसा दांव चला है जिसमें चोट तो कांग्रेस पर की है लेकिन सर समाजवादियों का फूटेगा…सिंह के आने से बीजेपी एक बड़े इलाके में मजबूत हुई है…आरपीएन सिंह पिछड़ी जाति सैंथवार-कुर्मी से हैं. सैंथवार जाति के लोगों की पूर्वांचल में अच्छी संख्या है. पूर्वांचल में आरपीएन सिंह की मजबूत पकड़ मानी जाती है….
अब तक जातिवाद की राजनीति में पिछड़ती दिख रही बीजेपी ने अब अपने लिए नया मैदान ढूंढ लिया है वह राष्ट्रवाद की पिच पर खेलने की तैयारी कर रही है…यह ऐसा मुद्दा है जो अखिलेश यादव और उनके गठबंधन को सूट नहीं करता है…जाहिर है अखिलेश इस चुनाव को यादव – मुस्लिम और जाट के आसपास रखना चाहेंगे…इसे देखते हुए ही बीजेपी ने यादव-जाट वोटर्स में सेंध लगाने के लिए अमित शाह को मैदान में उतार दिया है…मथुरा से यादवों और हिन्दू वोटरों को लुभाने की कोशिश उन्होंने की है.. तो वहीं राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रवाद का नारा देकर जाटों और यादवों को अपने पाले में करते दिख रहे हैं…बीजेपी अब अखिलेश के गठबंधन को राष्ट्रनिर्माण में बाधक बताने का अभियान छेड़ रही है…देखना होगा उसका अभियान यादवों और जाटों को कितना भाता है पर ये तो तय है कि अखिलेश को बीजेपी की यह चाल असहज कर रही है…ये भी देखना होगा अखिलेश जातिवाद का गणित कायम रख पाते हैं या फिर राष्ट्रनिर्माण के सपने देखने वाले वोटर्स समाजवादियों को धूल चटाते हैं….