रूसी वीटो से दुनियां नाराज
UN में खत्म होगा वीटो पॉवर
आज हम बात करने जा रहे हैं…रूस यूक्रेन युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ यूएनओ में होने जा रहे बड़े बदलाव के संकेत की…ऐसा लगता है कि अब शक्तिशाली देशों की दादागिरी पर नकेल कसने के लिए दुनियां के सभी देश एकजुट हो सकते हैं…आपको बता दें करीब 50 देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है और कहा है कि रूस ने सैन्य कार्रवाई की निंदा के प्रस्ताव को रोककर अपनी वीटो शक्ति का “दुरुपयोग” किया है।
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यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के खिलाफ यूएन यानी संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में निंदा प्रस्ताव लाया गया और रूस ने उसको वीटो कर दिया यानी उस प्रस्ताव को पास होने से ही रोक दिया…रूस समेत सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों को यह विशेष अधिकार है कि परिषद में वे जब चाहें तब किसी भी प्रस्ताव को रोक दें…और इस अधिकार का रूस ने इस्तेमाल किया…अब दुनियां में एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि वीटो का पॉवर सिर्फ 5 देशों के पास क्यों है….? कहा जा रहा है कि उनका यह अधिकार अब छिन लेना चाहिए… दुनिया में 195 देश हैं जो आधिकारिक रूप से स्वतंत्र देशों की मान्यता रखते हैं जबकि संयुक्त राष्ट्र में सिर्फ 5 सदस्य देश पूरी ताकत अपने पास रखते हैं….इन देशों में अमरीका और रूस के साथ ही यूके यानी ब्रिटेन, फ्रांस और चीन शामिल हैं…वैसे कभी भारत को इसके लिए ऑफर किया गया था पर तब भारत ने इसको ठुकरा दिया और चीन को यह पॉवर दिलवा दिया था…खैर आज की चर्चा का विषय कुछ अलग है…
तो अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति किस दिशा में जाएगी…और सुरक्षा परिषद का स्वरूप कैसे बदल जाएगा…रूस का साथ कितने देश देंगे और अमरीका के साथ कितने हैं यह सब आने वाले कुछ ही दिनों में स्पष्ट हो जाएगा….इसको जरा समझने की कोशिश करते हैं… आपको बताया कि 50 देशों ने वीटो करने पर रूस की आलोचना की है और कहा है कि रूस ने अपने पॉवर का दुरूपयोग किया है…अरे भइया…कुछ तो सोचो आप रूस को सामने बिठाकर उसे वीटो पॉवर भी देते हो और फिर उसकी निंदा करके सोचते हो कि वह चुपचाप हां कहेगा….कैसे हो सकता है…रूस ने वही किया जो कोई भी देश करता…उनकी दृष्टि से इसमें कुछ भी गलत नहीं है…..
लेकिन रूस के इस कदम ने और उसके यूक्रेन पर हमले ने दुनियां के उन देशों को सतर्क कर दिया है जो सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य नहीं हैं और इसी तरह इन पांच स्थायी सदस्य देशों के वीटो का शिकार होते रहे हैं या फिर हो सकते हैं….रूस के वीटो करने के बाद 50 देशों ने जो बयान जारी किया है उसमें कहा गया है कि यूक्रेन के मामले में रूस की कार्रवाई “संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन” है। जो खबरें आई हैं उनके मुताबिक बयान में इन देशों ने कहा है कि “रूस ने हमारे मजबूत संकल्प को वीटो करने के लिए आज अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया है। लेकिन रूस हमारी आवाज को वीटो नहीं कर सकता। रूस यूक्रेनी लोगों को वीटो नहीं कर सकता। रूस सड़कों पर इस युद्ध का विरोध कर रहे अपने लोगों को वीटो नहीं कर सकता। रूस संयुक्त राष्ट्र चार्टर को वीटो नहीं कर सकता।
“हम इस मामले को महासभा में ले जाएंगे, जहां रूसी वीटो लागू नहीं होता है और दुनिया के राष्ट्र रूस को जवाबदेह ठहराते रहेंगे।”
इस दर्द को समझने के लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है आपको याद होगा कि भारत ने पाकिस्तान में छुट्टा घूम रहे… आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करवाने के लिए कई बार सुरक्षा परिषद में कोशिश की थी पर हर बार चीन इस प्रस्ताव पर वीटो लगा देता था और उसे बचा लेता था…लेकिन जब भारत के प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा तब जाकर चीन अपना वीटो हटाने को तैयार हुआ था….
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वैसे यूएन की महासभा में कोई फैसला होता है तो उस पर वीटो नहीं हो सकता है….दुनियांभर में कई सालों से संयुक्त राष्ट्र के पुनर्गठन की मांग होती रही है क्योंकि दूसरे महायुद्ध के बाद इतने सालों में दुनियां काफी बदल गई है और तब बनी नीतियां अब किसी काम की नहीं हैं…सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग भी होती रही है और भारत इसके लिए कई सालों से प्रयास कर रहा है पर उसे सफलता नहीं मिली है पर अब दुनियांभर में इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि कुछ गिने चुने देशों को ही वीटो पॉवर क्यों दिया जाए…स्थायी सदस्यता और वीटो का प्रावधान ही खत्म कर दिया जाए…चर्चा हो रही है कि दुनियां में यदि कोई बड़ी समस्या आती है तो उसका फैसला संयुक्त राष्ट्र की महासभा में बहुमत से करवाया जाए… संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन का सुरक्षा परिषद भी बहुमत के आधार पर फैसले करे..
कहा जाता है कि संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद ताकतवर देशों के हाथों की कठपुतली हैं…यही देश ताकतवर अपने हिसाब से तय करते हैं कि दुनिया के किस हिस्से में कब युद्ध करना है और किस देश को अकेला छोड़ देना है….कभी किसी देश पर सामूहिक नरसंहार के लिए हथियार बनाने आरोप लगाकर उस पर आक्रमण किया जाता है तो कभी कुछ और बहाने बनाकर…इराक से लेकर सीरिया और अफगानिस्तान तक इसके दर्जनों उदाहरण हैं…रूस ने आज संयुक्त राष्ट्र के किसी निर्देश का पालन नहीं किया…कई और देश भी पहले ऐसा कर चुके हैं…चीन को भी आपने देख ही लिया है ऐसे में यूएन मे रिफार्म की आवाज तो उठती रही है पर उसमें दम नहीं था….आज रूस ने यूक्रेन पर हमला करके और सैकड़ों बेगुनाहों ने खून बहाकर दुनियां को फिर से सोचने पर मजबूर किया है….अब शायद दुनियां जागे और चौधरियों की दादागिरी से मुक्त होकर संयुक्त राष्ट्र में बहुमत के आधार पर कोई फैसला लेने के लिए कोई रास्ता निकाले….हालांकि यह बहुमत भी आगे चलकर कठपुतली बन जाएगा लेकिन फिर भी अभी की अपेक्षा ज्यादा न्यायपूर्ण होगा इतना तो माना जा सकता है…
तो इस चर्चा में आज इतना ही…आगे फिर हम किसी मुद्दे पर बात करेंगे.
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