यूक्रेन में रूस ने अमरीका को फंसाया; चीन को भी उसकी औकात दिखाई

आज हम बात करने जा रहे हैं....रूस यूक्रेन युद्ध की... यूक्रेन पर रूस के हमले की खबर इन दिनों हर तरफ चर्चा में है

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  • Publish Date - February 24, 2022 / 07:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:53 AM IST

आज हम बात करने जा रहे हैं….रूस यूक्रेन युद्ध की… यूक्रेन पर रूस के हमले की खबर इन दिनों हर तरफ चर्चा में है…रूस की तरफ से कहा जा रहा है कि NATO को अपनी सीमा पर आने से रोकने के लिए रूस ने यह हमला किया है…वह नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने…. और नाटो सेनाएं वहां जाएं…पर क्या यह बात सिर्फ इतनी सी ही है ? इस हमले से रूस को भारी नुकसान होने की आशंका है फिर भी पुतिन ने यह चाल चली है तो जरूर उसका ऐसा कोई फायदा होने जा रहा है जो अभी दिख रहे नुकसान से बड़ा है…तो वह क्या है उसे समझेंगे पर …आइए पहले आज की स्थिति पर बात करें…

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रूस और यूक्रेन के बीच क्या हो रहा है ये सब आप जानते ही हैं… पर आज हम जरा इनके पीछे छिपी रणनीति और इस झगड़े के नतीजे के बारे में कुछ हटकर बात कर लेते हैं… आज पूछा जा रहा है कि अगर अभी यूक्रेन NATO में शामिल होने के लिए साइन कर दे तो क्या अमरीका और नाटो फौजें वहां नहीं पहुंच सकेंगी…? लगता तो यही है कि आज यूक्रेन ऐसा करे तो अमरीका और नाटो फौजों को तुरंत रूसी सीमा पर जाने की छूट मिल जाएगी और यूक्रेन पर हर हमला नाटो पर हमला माना जाएगा…इसका जवाब भी भयंकर होगा… लोग इसको लेकर तरह तरह की चर्चाएं कर रहे हैं…बड़े बड़े सैन्य विशेषज्ञ अपनी राय दे रहे हैं कि रूस यहां पूरा युद्ध नहीं करेगा बल्कि सिर्फ छोटा सा मिलिट्री ऑपरेशन करेगा जैसा वह कह रहा है….पर एयरफोर्स और मिसाइल का इस्तेमाल करने के बाद अब युद्ध के लिए और क्या बचा है….इतना तो साफ है कि रूस ने पूरी तरह से सारे नतीजों का आंकलन करके ही यह युद्ध शुरू किया है…तो आप क्या कहेंगे …? क्या पुतिन की मति मारी गई है…? क्या पुतिन इतनी सी बात नहीं समझते कि यूक्रेन पर हमला करने के बाद दुनियां उस पर प्रतिबंध लगाएगी…यदि नाटो यूक्रेन की सदस्यता स्वीकार ले तो विश्व युद्ध की भी नौबत आ सकती है…रूस को भारी नुकसान हो सकता है…पुतिन को क्या यह नहीं पता है कि प्रतिबंध के कारण उसके गैस और तेल के कारोबार पर असर पड़ सकता है…उसके अपने जीडीपी का भी हाल बेहाल होगा…पुतिन क्या सिर्फ अपनी पसंद की सरकार वहां बिठाने के लिए यह सब कर रहे हैं..? और यह भी याद रखें कि रूस की पसंद की सरकार तो तभी बैठ पाएगी जब अमरीका या नाटो उसमें दखल न दे…यदि नाटो ने दखल दे दिया और रूस में जवाबी कार्रवाई की तो फिर क्या होगा…? फिर रूस की पसंद की सरकार यूक्रेन में नहीं बैठ पाएगी…और रूस को भारी नुकसान हो सकता है…ऐसे में परमाणु युद्ध का खतरा भी लगातार बना रहेगा और रूस ने इसकी धमकी भी पहले ही दे दी है…पिछले दिनों पुतिन के साथ ही दुनिया ने रूस के परमाणु हमले की क्षमता का अभ्यास भी देख लिया है…

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तो सारी परिस्थितियां आज क्या कह रही हैं…क्या दुनियां विश्व युद्ध की दिशा में बढ़ेगी या फिर यूक्रेन रूस के कब्जे में जाएगा …संयुक्त राष्ट्र ने भी रूस को चेताया है और शांति बनाने कहा है…जिसका कोई असर नहीं हुआ है… परिस्थितियों का विश्लेषण करें तो अभी तक ऐसा ही लग रहा है कि बड़ा युद्ध कोई भी नहीं चाह रहा है…तो क्या अमरीका और नाटो के बाकी सहयोगी रूस को कोई जवाब नहीं देंगे…क्या वे यूक्रेन को अकेले छोड़ देंगे…यह बड़ा सवाल है….
अब जरा बात करते हैं कि प्रतिबंधों से लेकर नाटो के संभावित हमले तक रूस को सारी स्थिति का पता है फिर भी उसने यह कदम उठा लिया है…पुतिन ने चेतावनी भी दे दी है कि उनकी इस कार्रवाई के बीच कोई दखल देगा तो अंजाम बुरा होगा….और लगता तो यही है कि पुतिन ठीक तरह से जानते हैं अमरीका समेत कोई भी इसमें दखल देने की हिम्मत नहीं करेगा….कोई भी देश नहीं चाहेगा कि यूक्रेन की कीमत पर विश्व युद्ध शुरू किया जाए….तो फिलहाल यही दिख रहा है कि यूक्रेन में रूस अपनी पसंद की सरकार बिठा लेगा…
अब जरा इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि रूस से गैस और तेल की आपूर्ति यूरोपीय देशों को होती है और कहा जाता है कि उनकी जरूरत का करीब आधा तेल और गैस रूस ही देता है…यानी इस पर प्रतिबंध लगाया तो रूस को जरूर कुछ आर्थिक हानि होगी पर यूरोप के देश मुश्किल में फंस जाएंगे ऐसे में वे कभी नहीं चाहेंगे कि रूस पर तेल गैस को लेकर कोई प्रतिबंध लगे…तो कुल मिलाकर यही दिख रहा है कि रूस को बड़ी हानि नहीं होगी…अब बात करते हैं कि रूस को इस हमले से बड़ा फायदा क्या होगा…तो आप देख ही रहे हैं कि शीतयुद्ध की समाप्ति और रूस के कई देशों में टूट जाने के बाद अमरीका ही पूरी दुनियां में चौधरी बने घूम रहा है…आरोप लगते हैं कि जब चाहे तब और जहां चाहे वहां अमरीका युद्ध को थोप देता है…देशों के भीतर वह पहले उपद्रव करवाता है और फिर उसको नियंत्रित करने के नाम पर हमला कर देता है इराक से लेकर अफगानिस्तान तक इसके उदाहरण हैं…

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आज पूरी दुनियां में हर तरफ अमरीका मुखिया की भूमिका निभा रहा है…इस बीच कुछ सालों में चीन ने उसे चुनौती देना शुरू कर दिया है और देखा जाए तो पिछले कुछ समय से अमरीका Versus चीन ही दिखाई दे रहा था…चीन लगातार अमरीका को चुनौती देने में जुटा था ऐसे में दुनियां में अगला चौधरी चीन ही बनता दिख रहा है… दुनियां को लग रहा था कि अमरीका के बाद अब नंबर दो पर चीन ही है…और रूस इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है…रूस जो कभी दुनियां के एक खेमे का नेतृत्व करता रहा है वह कभी भी चीन को नेतृत्व का मौका नहीं देना चाहेगा….हां ये अलग बात है कि वह चीन को अमरीका से मुकाबले के लिए हथियार देता है…ये भी ध्यान रखना होगा कि यदि चीन ने ताइवान पर हमला करके अमरीका को पहले ही चुनौती दे दी होती तो रूस को मजबूरी मे उसका पिछलग्गू बनते हुए उसे समर्थन देना पड़ता…यानी चीन आगे होता और उसके पीछे रूस होता….पुतिन इसी स्थिति को बदलने के लिए बहुत दिनों से मौके की ताक में थे…उनको ऐसा कोई मौका मिल नहीं पा रहा था….अब जब यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने की इच्छा जताई तो उसे मौका मिल गया है नाटो और अमरीका को चुनौती देने का….पुतिन जानते हैं कि उसके यूक्रेन पर हमले के बाद नाटो की जवाबी कार्रवाई की संभावना लगभग नहीं के बराबर है…वह जानते हैं कि अमरीका बयान देने और छोटा मोटा प्रतिबंध लगाने के अलावा कुछ नहीं कर पाएगा…इसकी भरपाई रूस कुछ ही सालों में कर लेगा पर अमरीका की चौधराहट हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी और अब दुनियां को रूस और अमरीका दोनों को समान रूप से सम्मान देना होगा….इसमें बहुत कम लेकिन एक आशंका ये बनी हुई है कि नाटो के साथ युद्ध भी रूस का हो सकता है…तो पुतिन इतना रिस्क तो उठाएंगे ही…बिना रिस्क लिए आप आगे नहीं बढ़ सकते…और यह रिस्क दुनियां के एक धड़े में रूस की नेतागिरी को हमेशा के लिए खत्म करने की तुलना में छोटा ही है…नाटो अगर युद्ध में उतरता भी है तो वह बहुत छोटा युद्ध ही होगा…ऐसा होने पर रूस और मजबूत दिखेगा और अमरीका ऐसा नहीं चाहेगा…यूरोप के देश भी अमरीका पर युद्ध से दूर रहने के लिए दबाव डालेंगे…तो कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि अब तक चीन… अमरीका को सिर्फ आंख दिखाकर नेता बनना चाहता था लेकिन रूस ने यूक्रेन पर हमला करके और अमरीका को सीधी चुनौती देकर चीन को उसकी औकात दिखा दी है….
बातें और भी बहुत सारी हैं जो रूस यूक्रेन जंग के नतीजों पर हो सकती हैं लेकिन अभी इतनी ही बात करते हैं…तो अब तैयार हो जाएं फिर से शीत युद्ध वाले दौर में लौटने और दो धुरी वाले विश्व के उतार चढ़ाव को झेलने के लिए….और हां इसके बाद कुछ और देश भी इस तरह की हरकत करेंगे उसके लिए भी तैयार रहें…