रशिया के साथ युद्ध के बीच यूक्रेन से जिस तरह की खबरें और वीडियोज आ रहे हैं उनको देखकर शक होता है कि क्या यूक्रेन में भारतीय बच्चे किसी षडयंत्र का शिकार हो गए हैं…क्या इनको जानबूझकर मिस गाइड किया जा रहा है ताकि भारत सरकार को दबाव में लाया जा सके…इन बच्चों को युद्ध शुरू होने के काफी पहले ही लौट जाने के लिए भारत सरकार ने कह दिया था पर यूक्रेन के कॉलेज बच्चों को छोड़ने के मूड में नहीं थे…उन्होंने न सिर्फ बच्चों को रोका बल्कि ऑन लाइन पढ़ाई करवाने से भी इंकार कर दिया था… अब बच्चे सड़कों पर भटक रहे हैं.
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यूक्रेन में विद्यार्थियों के साथ जो स्थिति बनी हुई है उसको देखकर वह दौर याद आता है जब कोरोना का संक्रमण फैल रहा था और देश में लॉक डाउन लगा था लेकिन कुछ राज्यों में मजदूरों और दूसरे राज्यों से आए लोगों को तरह तरह की अफवाहें फैलाकर सड़कों पर निकलने मजबूर कर दिया गया…लाखों लोग सड़कों पर और बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशनों तक पहुंच गए लेकिन उनके लिए वहां सुविधाएं नहीं थीं…लगता है कि इसी तरह की अफवाह फैलाकर यूक्रेन में भारतीय बच्चों को सड़कों पर भेज दिया गया…पहले उनको युद्ध होने तक रोककर रखा गया उनको भारत नहीं लौटने दिया गया और अब बमबारी के बीच उनको सीमा पर जाने कहा जा रहा है और जब बच्चे सीमा पर पहुंच रहे हैं तो उनको कोई जानकारी देने वाला नहीं है…
अनुमानों के मुताबिक करीब 15 हजार से ज्यादा लोग अभी भी फंसे हुए हैं इनमें ज्यादातर विद्यार्थी ही हैं जो पढ़ने के लिए यूक्रेन में रह रहे हैं…कुछ दिनों पहले जब यूक्रेन और रूस के बीच तनातनी शुरू हुई तभी भारत सरकार ने भारतीयों को यूक्रेन से निकलने की सलाह दी थी लेकिन विद्यार्थियों का कहना है कि उनको वहां के कॉलेज से जाने की अनुमति नहीं दी गई और फिर बाद में यह कहकर धमकाया गया कि यदि वे लौट जाते हैं तो आगे की पढ़ाई का जिम्मा कॉलेज नहीं लेंगे. मिडिल क्लास परिवारों के बच्चे मां बाप के लाखों रूपए फीस देकर वहां पढ़ते हैं जाहिर है ऐसे में उनको यदि यह कहा जाए कि वे गए तो फिर उनकी पढ़ाई जारी नहीं रह पाएगी तो बच्चे घबरा जाते हैं…..उनको लगता है कि वे अगली बार फीस कहां से लाएंगे…मां बाप बार बार फीस देने
की स्थिति में नहीं हो सकते….
आपको बता दें भारत सरकार ने युदध शुरू होने के बाद सभी बच्चों को अपनी अपनी जगह पर ही रहने कहा था लेकिन बच्चों को अलग अलग माध्यमों से मैसेज भेजे गए कि वे बाहर निकलें और सीमा तक पहुंचें…..बच्चों ने इन संदेशों पर भरोसा कर लिया… वॉट्सएप और इंस्टाग्राम पर भरोसा करने वाली इस पीढ़ी को इनके जरिए कई तरह की सूचनाएं मिली जिनकी सच्चाई जांचने का कोई उपाय नहीं था…इनको एम्बेसी के नाम से सूचनाएं भेजकर बॉर्डर पर पहुंचने कहा गया…कई नम्बर भी जारी हुए पर उन नम्बरों पर कोई बात नहीं हो रही है…अब ये भी सही बात है कि भारत सरकार ने जिन अफसरों को वहां जिम्मेदारी दी होगी उनके लिए हजारों बच्चों का फोन उठाना संभव नहीं होगा वे खुद भी अपनी जान की फिक्र में होंगे…वे सुरक्षित रहेंगे तभी बाकी लोगों को सुरक्षित निकाल सकेंगे…तो उनके फोन नहीं उठाने पर बच्चों को बाहरी सूचनाओं पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है और इस तरह की सूचनाएं गलत भी हो जाती हैं…
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तो वह कौन लोग हैं जो भारतीय बच्चों को सड़को पर बिना किसी तैयारी के बाहर निकलने कह रहे हैं और बच्चे कई कठिनाइयों से घिर गए हैं…क्या इसका मकसद कुछ और है…? कुछ ऐसी सूचनाएं भी आ रही हैं जिनसे ऐसा लगता है कि यूक्रेन की सरकार की तरफ से भारतीयों को कोई खास मदद नहीं दी जा रही है…भारतीय लोगों को वहां सहयोग नहीं मिल रहा है….अब तक पाकिस्तान का साथ देते रहे यूक्रेन को अभी भारत से सहयोग की उम्मीद थी और भारत ने कुछ हद तक उसका साथ भी दिया है इसके बाद भी भारतीयों के साथ यूक्रेन के सलूक को लेकर कुछ सवाल उठे हैं…तो ये सोचना होगा कि किसके इशारे पर भारतीयों को सहयोग नहीं मिल रहा है…या फिर कोई और कारण है…क्या यूक्रेन की सरकार भारतीय बच्चों को सड़क पर निकाल कर भारत सरकार पर किसी तरह का दबाव बना रही है या फिर भारत रूस संबंधों को देखते हुए उसे यकीन है कि जहां भारतीय गुजरेंगे वहां रूस की बमबारी नहीं होगी इसलिए उनको बाहर भेज दो और इनकी आड़ में कुछ अलग तैयारी कर लो….
सीमा पर यूक्रेन की पुलिस और फौजी अपने अपने अंदाज में बच्चों से निपट रहे हैं… आप सबने देखा होगा कुछ वीडियो इस तरह के वायरल हो रहे हैं हालांकि ये कितने सही हैं और अभी के हैं या किसी और समय के हैं यह बताना कठिन है…यह भी कहना कठिन है कि किस सीमा पर किस मौके के ये वीडियो हैं …। बच्चों को ये वीडियो मिला तो उन्होंने फारवर्ड करना शुरू कर दिया है….
अब उड़ती उड़ती इस तरह की भी खबरें आ रही हैं कि कुछ जगहों पर यूक्रेनी फौजी भारतीय लड़कों को हथियार उठाने और रूस के खिलाफ लड़ने के लिए कह रहे हैं…वे कह रहे हैं कि 18 साल से अधिक उम्र वाले लड़कों को यूक्रेन छोड़ने नहीं देंगे हालांकि ये आदेश तो उनके अपने देश के नागरिकों के लिए था विदेशियों को हथियार देकर अपने साथ लड़ाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता… वैसे भी बड़ी संख्या में भारतीय लड़के भारत आ चुके हैं ….इधर भारतीयों को यूक्रेन से निकालने के लिए मोदी सरकार ने नया प्लान बनाया है. इसमें चार मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा जाएगा…उम्मीद है कि भारत के मंत्री ही जब पड़ोस में मौजूद होंगे तो बार्डर के उस पार बैठे बच्चों तक सही मदद पहुंच सकेगी… वैसे काम बहुत भारी है और षडयंत्र करने वाले भी सक्रिय होंगे… अब देखना होगा कि यूक्रेन की चाल की वजह से फंसे एक एक भारतीय तक कैसे मदद पहुंचेगी…हम ये भी उम्मीद करें कि युद्ध जल्दी खत्म हो जाएगा और सब सुरक्षित निकल आएंगे…
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