आज आपको बताने आया हूं कि दुनियांभर में भारत के खिलाफ किस तरह के षडयंत्र चल रहे हैं और इस देश को अराजक देश बताने की कोशिश कैसे हो रही है… आपको बता दें कि भारत है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र..और डेमोक्रेटिक पैमाने पर उसको मिला हैं 46वां पायदान ।
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इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंट नाम की एक विश्व स्तर की संस्था ने साल 2021 की अपनी रिपोर्ट के आधार पर ये तथाकथित रैकिंग तय की है । ये रिपोर्ट बताती है कि 2020 के मुकाबले साल 2021 में लोकतंत्र का दायरा सिमटा है । जहां 2020 में दुनिया के 49.4 फीसदी हिस्से में लोकतंत्र था..तो वहीं 2021 में 45.7 फीसदी में ये सीमित रह गया । दुनिया के 167 देश मौजूदा वक्त में लोकतंत्र को प्रेक्टिस करते हैं…..अब अभी आई इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंट की रिपोर्ट ये कहती है कि 2021 में इनमे से केवल 21 देश ही पूर्ण लोकतंत्र की परिभाषा में खरे उतरते हैं..जहां दुनिया की महज 6.4 फीसदी आबादी ही रहती है…आप खुद ही समझ सकते हैं कि इनमें कौन से देश होंगे….जबकि 56 देशों को दोषपूर्ण लोकतंत्र वर्ग में रखा है…दुर्भाग्य से रिपोर्ट में भारत को इसी दूसरी श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है ।
आप स्क्रीन पर उन टॉप टेन देशों को देख सकते हैं..जिन्हें पूर्ण और स्वस्थ लोकतंत्र की श्रेणी में जगह दी गई है…। इस रिपोर्ट को ध्यान से देखें तो साफ हो जाएगा कि एक बार फिर पश्चिम की संस्था ने पूर्वाग्रही दृष्टि से भारत को देखा और आंका है । एक ऐसा देश.. जो सवा अरब की आबादी के साथ आगे बढ़ रहा है..जहां जातीय, वर्गीय, धार्मिक, भाषाई, भौगोलिक विविधता और जटिलताएं हैं..जो महज 70 साल पहले औपनिवेशिक गुलामी से आजाद हुआ हो…जिस देश को इतिहास में बार-बार साजिशों का शिकार बनाया गया हो…वो अगर इसके बाद भी लोकतंत्र को अंगीकार करता हो..उसे शिद्दत से निभाता हो..और अखंड रूप से इसकी व्यवस्था को कायम रखने में कामयाब रहता हो..उसे आप केवल नंबर एक पर रख सकते हैं…उसके अलावा कोई और जगह उसकी हो नहीं सकती ।
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ये सभी ने देखा है कि विदेशी ताकतें बार-बार भारत को अस्थिर और कमजोर करने का षडयंत्र आजादी के बाद से ही कर रही हैं। भारत का लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मजबूत होना किसी को रास नहीं आता..क्योंकि वो जानते हैं कि जिस दिन भारत अपनी पूरी ताक़त से खड़ा हो जाएगा..उसी दिन दुनियाभर के सारे चौधरियों और माफियों की शामत आ जाएगी..क्योंकि तब भारत न्याय के झंडे को लेकर खड़ा होने और सच को प्रतिस्थापित करने से पीछे नहीं हटेगा । भारत को नीचा दिखाने और उसमें कमियां ढूंढ़ने की कोशिश में वो सारे देश लगे हुए हैं..जो भले ही कहने को मित्र हों..या घोषित शत्रु । कहा जा रहा है कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के दो कालखंड हैं…एक 2014 के पहले का भारत ..जिसमें धर्म निरपेक्ष, समाजवाद और सब्सिडी आधारित लोकलुभावन ढीला-ढाला, अव्यवहारिक लोकतंत्र को देश प्रेक्टिस कर रहा था..जिसमें औपनिवेशिक मूल्य भी थे और अर्धसामंती चरित्र जिसके मूल में था…ये ढांचा दुनिया को रास आता था..क्योंकि इसके कारण भारत एक राष्ट्र के रूप में अपनी नीतियों और निर्णयों को लेकर न तो सटीक था..और न ही दृढ़ । यह भी कहा जा रहा है कि 2014 के बाद भारत में लोकतंत्र का एक नया अध्याय शुरू हुआ…जब प्रचंड बहुमत से आई एक सरकार ने सत्ता संभाली..जो बिना तुष्टिकरण किए केवल देशहित में फैसले लेने का माद्दा रखती है…खैर सबके अपने अपने दावे हैं पर ये तो सच ही है कि सशक्त भारत दुनिया को भला कैसे भाएगा…नतीजा..हर तरह से उसे घेरने की कोशिश होती रही है..कभी अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाकर, कभी मानवाधिकार का मामला उठाकर तो कभी महिलाओं की असुरक्षा का ढोल पीटकर ये उपक्रम चलता रहा है…2014 में भारत को इसी संस्थान ने 27वें नंबर पर रखा था…फिर 2020 में 53वें और अब 46वें स्थान पर उसे धकेल दिया है..वजह साफ है..ये पूर्वाग्रही रिपोर्ट भारत की छवि को खराब करने के लिए गढ़ी गई है…इस तरह की रिपोर्ट के जरिए वो भारत में भारी भरकम निवेश को रोकने की कोशिश भी करते हैं और जाहिर है चीन भी इस रिपोर्ट को तैयार करने वालों के पीछे खड़ा होगा भले ही लोकतंत्र के मामले में वह कहीं खड़ा नहीं सकता…लेकिन अब जब इस तरह की रिपोर्ट आ ही गई है तो हम कहना चाहेंगे दुनिया ये जान ले कि अब भारत चल पड़ा है..एक ऐसे कारवां के साथ..जो प्राचीनता की चमक, आधुनिकता की सोच और मानवता के मूल्यों से परिपोषित है..और यकीनन इस महा-भारत को रोकने की शक्ति न तो ऐसी रिपोटर्स में है..और न ही साजिश रचने वाले समूहों के पास है..।
भारत बढ़ेगा…और बढ़ता ही रहेगा…
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5 hours ago