इन दिनों Pm Modi के ईसाई धर्म गुरू पोप फ्रांसिस से मुलाकात की खबरें गर्म हैं… और इसको लेकर तरह तरह की बातें देश में हो रही हैं…. कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं…. कोई इसे तुष्टिकरण कह रहा है… तो कोई वोट की राजनीति …. हम बात करेंगे कि क्या संदेश है इस मुलाकात के पीछे….
मोदी से पोप की मुलाकात के बाद चर्चा है कि किस तरह की राजनीति मोदी करने वाले हैं … कई दल ये भी सोच रहे हैं कि मोदी ने इस मुलाकात के जरिए ईसाई समुदाय को बीजेपी के करीब लाने की कोशिश की है और अगले साल जो 5 राज्यों में चुनाव होंगे उसमें बीजेपी को कुछ फायदा हो सकता है…..
इटली के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार की सुबह वेटिकन सिटी में ईसाई धर्म के सर्वोच्च गुरु पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी। पीएम मोदी की पोप फ्रांसिस के साथ इस मुलाकात के लिए 20 मिनट का समय तय था, लेकिन दोनों के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई। बताया गया है कि दोनों ने जलवायु परिवर्तन को रोकने और गरीबी दूर करने के उपायों पर चर्चा की। मोदी ने इन दोनों ही विषयों पर भारत सरकार के कदमों की जानकारी उनको दी….पोप फ्रांसिस को भारत आने का निमंत्रण भी प्रधानमंत्री मोदी ने दिया है…जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। अब देखना है कि पोप यूपी समेत पांच राज्यों के चुनाव से पहले आते हैं… या फिर लोकसभा चुनाव से पहले….
इससे पहले 1999 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने भारत की यात्रा की थी. उस दौरान देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी थे. अब पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिस को निमंत्रण दिया है. अगर वे आते हैं तो 22 सालों बाद ये पोप की भारत यात्रा होगी…. 2013 के बाद पहली बार पोप ने भारतीय पीएम से मुलाकात की है।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने वेटिकन सिटी स्टेट के स्टेट सेक्रेटरी से भी मुलाकात की है…. और ये भी आपको बताते चलें… कि मोदी पोप की मुलाकात के दौरान वेटिकन यात्रा में उनके साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी थे। इन दोनों की उपस्थिति से कुछ संकेत मिलते हैं जो आने वाले दिनों में दुनियां को समझ आ जाएंगे….
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मोदी और पोप फ्रांसिस मुलाकात को कई मायनों में अहम बताया जा रहा है…..
इस मुलाकात को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर कहा कि भारत एक जीवंत और समावेशी लोकतंत्र है, जहां ईसाई समुदाय ने राजनीति, फिल्म, व्यापार और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है…. पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ‘सबका साथ, सबका विकास, ….सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की राह पर आगे बढ़ रहा है…. उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री और दुनिया के सबसे बड़े ईसाई समुदाय के सर्वोच्च प्रमुख के बीच बैठक ….शांति, सद्भाव और अंतर-धार्मिक संवाद की दिशा में एक बड़ा कदम है…. नड्डा के इस बयान से भी कुछ संदेशों को पकड़ने का प्रयास करना चाहिए….
दूसरी तरफ मोदी और पोप की इस मुलाकात को भारत में राजनीतिक चश्मे से देखने की शुरूआत हो चुकी है….लोग इसे बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे की तरह देख रहे हैं…कुछ लोगों को यह मणिपुर और गोवा के विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी का दांव दिख रहा है…क्योंकि ये ईसाई बहुल राज्य हैं। गोवा और मणिपुर के अलावा पंजाब … उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव कुछ ही महीनों बाद अगले साल 2022 होने जा रहा है और सभी दल इसकी तैयारियों में जुट चुके हैं…..ऐसे में मोदी- पोप की मुलाकात में विपक्षी दलों को राजनीति दिख रही है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए …..पर हैरानी की बात ये है कि देश में विपक्ष के बड़े- बड़े नेता भी ये नहीं समझ पा रहे हैं कि चुनावी फायदे के अलावा क्या इस मुलाकात के कोई और मायने हैं….?
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इस मुलाकात को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बदल रहे समीकरण से जोड़कर भी देखना चाहिए….
कल तक मोदी को सत्ता से हटाने के लिए जोड़तोड़ करते रहे दुनियां के कई देश अब मोदी को सत्ता में देखना चाहते हैं… चीन की चाल से घबराए हुए ये देश जानते हैं कि चीन की काट सिर्फ मोदी ही निकाल सकता है… और यदि अगले कुछ सालों तक मोदी ही भारत का नेतृत्व करते हैं तो चीन की विस्तारवादी नीति पर न सिर्फ रोक लगाई जा सकती है… बल्कि चीन को तोड़ा भी जा सकता है…. भारत की मदद के बिना अमरीका और उसके सहयोगी ये नहीं कर सकते हैं….दुनियां को मोदी जैसा नेता भी इस काम के लिए चाहिए…पोप फ्रांसिस से मोदी की मुलाकात का यही मतलब है कि दुनियां के…और खासकर यूरोप के तमाम क्रिश्चियन देश पोप के इशारे के बाद मोदी से सहयोग करने को तैयार हो जाएंगे…..
माना जाता है कि यूरोप के ही कई देश मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए यहां के कई संगठनों को सहयोग देते रहे हैं…अब अगर उनको चीन से खतरा है तो उनको मोदी को मजूबत करना होगा…. पोप का साथ मोदी को मिला तो फिर माना जा रहा है कि भारत के क्रिश्चियन भी मोदी का साथ देंगे….अब तक यही माना जाता है कि ज्यादातर क्रिश्चियन और मुस्लिम वोट बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर विपक्ष को जाते हैं…अगर क्रिश्चियन वोटों को बीजेपी की तरफ मोड़ दिया जाए तो मोदी ज्यादा मजबूत हो सकेंगे… और इसका फायदा चीन को निपटाने में मिलेगा…..
आप जानते हैं विश्वभर में कोरोना के हमले के बाद नित नए समीकरण बनते जा रहे हैं…विश्वयुद्ध के खतरे के बीच दुनियां के बड़े बड़े देश नए नए दोस्त बनाने में जुटे हैं….दो खेमे तो साफ दिख ही रहे हैं एक खेमा चीन और उसके साथियों का है तो दूसरे खेमे में अमरीका और उसके साथी हैं….शीतयुद्ध जैसी स्थिति की शुरूआत हो चुकी है….
ऐसे में लगभग चीन के बराबर… सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी वाले और दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को साथ लिए बिना……. बाकी दुनियां के लिए चीन से निपटना बेहद मुश्किल होगा…
इतना ही नहीं जानकारों का कहना है कि इस्लामिक वर्ल्ड में चीन को लेकर जिस तरह की चुप्पी छाई हुई है वह भी दुनियां के लिए चिंता का कारण है…. चीन ने तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों को मदद देकर अपने पाले में कर लिया है और दुनियां को लगता है कि आगे चलकर तुर्की और उसके सहयोगी मुस्लिम देश चीन का ही साथ देने वाले हैं….तालिबान के उभार के बाद दुनियां को इस बारे में अहसास हो रहा है कि इस तरह के संगठनों मदद देना मुसीबतों को ही बुलाना है….आज तालिबान तुर्की और चीन का स्वागत करता दिख रहा है….कल कोई और आतंकी संगठन उनके साथ खड़ा हो जाएगा….आपको बता दें कि नोगोर्नो काराबाख की लड़ाई के दौरान तुर्की पर इस्लामी आतंकियों को अजरबैजान की मदद करने के लिए भेजने का आरोप लगा था …ये आतंकी ईसाई देश आर्मेनिया के खिलाफ लड़ रहे थे….
अब जरा इस पर भी गौर करें ….पीएम मोदी ने रोम की यात्रा के दौरान जी-20 की बैठक में ताकतवर देशों से कहा है कि वो भारत को पार्टनर बनाएं….. दुनिया के इन बड़े नेताओं के साथ मोदी की कैमिस्ट्री भी देखते ही बनी है… राष्ट्रपति जो बाइडन और मोदी कंधे पर हाथ रखकर बात करते नजर आए…. तो वहीं मोदी के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बकायदा गले मिलकर दोस्ती दिखाते रहे…. जी -20 नेताओं ने माना है कि मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी फंडिंग और उसके प्रसार से निपटने के लिए उपायों पर प्रभावी अमल होना चाहिए….
आखिर में यही कहना है कि पोप और मोदी की मुलाकात दुनियां में बन रहे एक नए समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं ….अगले दो से तीन साल दुनियां के लिए बेहद संवेदनशील और उथलपुथल भरे होने का अनुमान है…. अब देखना होगा मोदी इस बेहद उथलपुथल वाली दुनियां में…. अनुमान के मुताबिक खुद को प्रासंगिक रख पाते हैं या नहीं… और देश के भीतर उनको कितना सहयोग मिलेगा यह भी देखना होगा…