By polls in India : उपचुनाव क्या होते हैं? जानिए आसान भाषा में

By Polls, By Elections, उप-चुनाव। ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें आप सुनते तो कई बार होंगे पर इसके बारे में जानकारी अब भी काफी कम लोगों को है ।

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  • Publish Date - November 20, 2021 / 08:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 05:29 PM IST

By polls in India : उपचुनाव क्या होते हैं? जानिए आसान भाषा में

By Polls, By Elections, उप-चुनाव। ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें आप सुनते तो कई बार होंगे पर इसके बारे में जानकारी अब भी काफी कम लोगों को है । कारण ये है कि इसके बारे में ज़्यादा चर्चा नहीं होती। चुनावों की चका-चौंध में अक्सर उप-चुनावों की चर्चा कहीं छुप सी जाती है। और यही कारण है कि by polls की जानकारी से अब भी कई लोग अंजान हैं।
तो आइए जानते हैं कि उपचुनाव क्या है और भारत में उपचुनाव का महत्व क्या है ?
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By polls यानी वो चुनाव जो आम चुनावों के बीच होते हैं और किसी vacant seat को fill करने के लिए कराए जाते हैं।
मगर सवाल ये है कि ये seats vacant होती कैसे हैं?

आपको तो पता ही होगा कि भारत में हर 5 सालों में आम चुनाव होते हैं। इस प्रक्रिया के ज़रिए हम और आप लोकसभा के लिए members of parliament यानी कि MP या विधानसभा के लिए Members of Legislative Assembly यानी MLA का चुनाव करते हैं।

इन MPs और MLAs का कार्यकाल आमतौर पर 5 सालों का होता है। मगर कई बार कुछ कारणों की वजह से MPs और MLAs अपने कार्यकाल या term को पूरा नहीं कर पाते हैं। लिहाज़ा seats 5 साल होने से पहले ही vacant यानी खाली हो जाती हैं। मगर महज़ कुछ सीटों के लिए दोबारा आम चुनाव कराना संभव नहीं होता। और यहीं दस्तक देते हैं by polls या by elections ।

वो कौन से कारण होते हैं जिनकी वजह से By Poll Elections होते हैं।

1. DEATH: किसी भी MP या MLA की अचानक मृत्यु हो जाना।

2. RESIGNATION : अगर चुना हुआ प्रतिनिधि अपना resignation ya इस्तीफा दे दे। दरअसल कई बार MLAs लोक सभा के लिए चुनाव लड़ते हैं और जीत जाते हैं। ज़ाहिर सी बात है संविधान के अनुसार एक व्यक्ति एक समय पर दो पदों पर नहीं रह सकता। इस वजह से MLAs अपनी विधान सभा की सीट छोड़ कर लोक सभा चले जाते हैं और उस सीट के लिए फिर उप चुनाव कराया जाता है। ऐसा भी हो सकता है कि MPs अपनी लोक सभा की सीट छोड़ कर विधान सभा आ जाएँ। ज़्यादातर cases में ऐसा तब होता है जब वो MP राज्य का मुख्यमंत्री बनने वाला हो। ऐसे में ये ज़रूरी है कि वो व्यक्ति उस राज्य की विधानसभा का सदस्य हो। इसका classic example है 2011 के बंगाल चुनाव जहाँ तृणमूल कांग्रेस ने लेफ्ट की 3 दशकों से चली आ रही सरकार को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी । तब ममता बनर्जी लोकसभा की सदस्य थी । लोकसभा सदस्य रहते हुए उनके लिए बंगाल का मुख्यमंत्री बनना मुमकिन नहीं था। उन्हें MLA बनना ज़रूरी था । ऐसे में तृणमूल कांग्रेस के एक MLA ने अपनी सीट ममता बनर्जी के लिए छोड़ दी ताकि ममता दीदी उस सीट से विधान सभा का चुनाव लड़ सके।

जैसे ही ममता बनर्जी ने अपनी लोक सभा की सीट छोड़ी । एक उप चुनाव उस लोक सभा की सीट के लिए हुआ और दूसरा उप चुनाव बंगाल विधानसभा की उस सीट के लिए जहाँ से वो चुनाव लड़ना चाहती थी। इस तरह से वो बंगाल की मुख्यमंत्री बनी and the rest as they say, is history ।

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3. CRIMINAL CONVICTION: तीसरा कारण है किसी भी व्यक्ति का आपराधिक record । हालाँकि इस पॉइंट को शायद सदस्य उतना seriously लेते नहीं हैं। हम ऐसा इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि भारत की राजनीती में ऐसे कई नेता हैं जिनपर एक नहीं बल्कि कई आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं। खैर, क्रिमिनल कन्विक्शन भी किसी उप चुनाव के होने का कारण बन सकता है।

 

4. OFFICE OF PROFIT: अगला कारण है कि अगर इलेक्शन कमीशन किसी सदस्य की अयोग्यता को ले कर राष्ट्रपति को recommendation देता है क्योंकि वो किसी लाभ के पद पर है तो उस सदस्य का disqualification भी उप चुनाव का कारण बन सकता है।

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लाभ के पद का क्या मतलब होता है?

भारत के संविधान के आर्टिकल 102 और 191 के तहत कोई भी MP या MLA किसी भी लाभ के पद पर काबिज़ नहीं रह सकता क्योंकि इससे वे financial benefits या वित्तीय लाभ ले सकते हैं । मिसाल के तौर पर अगर एक राज्य का MLA अपना व्यवसाय कर रहा हैं तो वो नीतियों में ऐसे बदलाव कर सकता है जिससे उसके व्यवसाय को फायदा हो। इसीलिए ऐसे MP या MLA के बारे में जानकारी मिलने पर उसे disqualify कर दिया जाता है और उसकी सीट खाली हो जाने की वजह से उप चुनाव कराये जाते हैं ।

5. Contest from 2 Constituencies: पांचवा कारण है एक व्यक्ति का दो जगह से चुनाव लड़ना। 2014 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ ऐसा ही किया था। उन्होंने गुजरात के वड़ोदरा और उत्तर प्रदेश के वाराणसी से चुनाव लड़ा था। मगर ऐसे में अगर कोई उम्मीदवार दोनों जगहों से चुनाव जीत जाता है तो ज़ाहिर तौर पर उसे किसी एक सीट को खाली करना पड़ता है। इस वजह से उस पर्टिकुलर सीट के लिए फिर से उप चुनाव कराये जाते हैं।

6. Shift in allegiance: उप चुनावों का छटा और आखिरी कारण है किसी एक राजनैतिक पार्टी के सदस्य का अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में चले जाना।

अब बात कर लेते हैं कि उप चुनाव इतने ज़रूरी क्यों हैं और उप चुनावों की जगह आम चुनाव ही क्यों नहीं कराये जाते । बता दें कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में चुनाव कराना कोई मामूली बात नहीं है। इसमें काफी पैसा और रिसोर्सेज खर्च होते हैं। और ये पैसा आता है आप से और हमसे, यानी हमारे टैक्स से। यही कारण है कि उपचुनाव या by polls इतने important हो जाते हैं।