नई दिल्लीः International Yoga Day History भारत को योग गुरु कहा जाता है। योग भारतीय संस्कृति से जुड़ा है, जिसका प्रसार अब विदेशों तक हो रहा है। विदेशों तक योग के प्रसार का श्रेय योग गुरुओं को जाता है। भारतीय योग गुरुओं ने विदेशी जमीन पर योग की उपयोगिता और महत्व के बारे में जागरूक किया। योग की इसी उपयोगिता से सभी को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाया जाता है। हालांकि योग दिवस मनाने की शुरुआत किसने, कब और कहां की, ये जानना भी रोचक है। आइए जानते हैं योग दिवस का इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम..
International Yoga Day History : 27 सितंबर 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त महासभा में दुनिया के तमाम देशों से योग दिवस को मनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार करते हुए महज तीन माह के अंदर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का ऐलान कर दिया। जिसके बाद अगले वर्ष 2015 में पहली बार विश्व ने योग दिवस मनाया।
योग दिवस को मनाने के लिए एक दिन सुनिश्चित किया गया, जो कि 21 जून है। 21 जून को योग दिवस के तौर पर मनाने की वजह भी है। इस तारीख को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है। जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं।
कोरोना काल के बाद योग का महत्व अधिक बढ़ गया। संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से लोग योग अभ्यास करने लगे। लेकिन इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की शुरुआत साल 2015 से हो गई थी। इस वर्ष ही पहली बार पूरे विश्व में योग दिवस मनाया गया था।
योग दिवस 2023 की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम के लिए योग’ है। वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ है- धरती ही परिवार है। इस थीम से तात्पर्य धरती पर सभी लोगों के स्वास्थ्य के लिए योग की उपयोगिता से है।