विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में जानिए भोपाल मध्य सीट का हाल

विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में जानिए भोपाल मध्य सीट का हाल

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  • Publish Date - June 16, 2018 / 09:38 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:00 PM IST

भोपाल। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है मध्यप्रदेश की भोपाल मध्य विधानसभा सीट की। अभी यहां से भाजपा के सुरेंद्र नाथ सिंह विधायक हैं। 2008 में अस्तित्व में आए भोपाल मध्य विधानसभा के सियासी मिजाज को समझना आसान नहीं है। भोपाल के नए और पुराने शहर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाई गई इस विधानसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। अलग-अलग मिजाज के इलाकों से मिल कर बने इस विधानसभा क्षेत्र की मुश्किलें और जरूरतें भी अलग अलग हैं। कहीं पानी की कमी है तो कहीं हर बारिश में डूब की समस्या लोगों को परेशान करती हैं। कहीं ट्रैफिक जाम की समस्या से लोग हलाकान हैं तो कहीं अतिक्रमण ने जनता को बेहाल कर रखा है। ये सभी समस्याएं अपने-अपने इलाकों में चुनावी मुद्दों का रूप ले रही हैं।

भोपाल जिले की अहम विधानसभा सीटों में से एक है भोपाल मध्य विधानसभा सीट। 2008 में दक्षिण और उत्तर विधानसभा से कुछ इलाका काटकर इसे बनाया गया और इसका नाम दिया गया भोपाल मध्य विधानसभा। तब से लेकर अब तक सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इस सीट पर विकास के दावे तो कई हुए, लेकिन बात चाहे नए भोपाल की हो या फिर पुराने शहर की, आज भी सड़क, पानी, सीवेज, ट्रैफिक और दूसरी मूलभूत सुविधाओँ के लिए तरसती नजर आती हैं, जिसे लेकर लोगों में खासी नाराजगी साफ नजर आती है।

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अब जब चुनावी साल है तो एक बार फिर इस सीट पर कई पुराने मुद्दों की गूंज सुनाई देने लगी है जो आने वाले चुनाव में मौजूदा विधायक के लिए परेशानी में डाल सकते हैं। एमपी नगर हो या मनीषा मार्केट सहित दूसरे बड़े बाजार की बात करें तो यहां पार्किंग, ड्रेनेज और ट्रैफिक जाम के कारण आए दिन लोग हलाकान होते हैं। वहीं नए भोपाल में भले सड़कें चमचमाती हों लेकिन पुराने भोपाल में आज भी सड़कों का बुरा हाल है।

पुराने शहर को हेरिटेज लुक देने का काम भी किया गया था लेकिन ये योजना भी लेटलतीफी की शिकार है। वहीं हनुमान गंज, घोड़ा नक्कास में यातायात दवाब के चलते यहां से लोगों ने आशियाने तक छोड़ दिए। नववहार सब्जी मंडी का हाल भी बद से बदतर हैं। कांग्रेस का आरोप है कि मध्य विधानसभा बनने के बाद क्षेत्र में विकास ही नहीं हुआ। वहीं बीजेपी विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह चार साल की अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं।

कुल मिलाकर भोपाल मध्य विधानसभा में दुश्वारियों की कोई कमी नहीं है और आगामी चुनाव भी इन्हीं मुददों पर केंद्रित रहेगा।ऐसे में मौजूदा विधायक के लिए सियासी महासमर 2018 की जंग इतनी आसान नहीं रहने वाली।

वैसे 2018 के विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों ही पार्टियों में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। ये वो इलाका है जहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों के ही दिग्गज नेताओं की खासी दिलचस्पी है। भोपाल मध्य में अब तक बीजेपी हिंदू प्रत्याशी तो कांग्रेस मुस्लिम लीडर पर भरोसा जताती आई है लेकिन इस बार कांग्रेस के जातिगत समीकरण बदले नजर आ रहे हैं तो बीजेपी में टिकट को लेकर आपस में ही जमकर घमासान है।

भोपाल जिले में आने वाली इस सीट पर अब तक हुए दोनों चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को मात दी है। फिलहाल सुरेंद्र नाथ सिंह यहां से विधायक हैं। चुनावी रणनीति की बात करें तो मुस्लिम बाहुल्य इलाका होने के कारण कांग्रेस जहां मुस्लिम प्रत्याशी पर भरोसा जताती आई है। वहीं बीजेपी ने हिंदू नेता को ही टिकट दिया है, लेकिन 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर महज कुछ वोटों का रहा। ऐसे में आने वाले चुनाव को लेकर इस सीट से कई नेता टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इसमें सांसद, नगर सभापति से लेकर कई युवा नेता भी शामिल हैं लेकिन बावजूद इसके मौजूदा विधायक सुरेंद्र सिंह ज्यादा चिंतित नजर नहीं आते।

अन्य दावेदारों की बात करें तो यहां सांसद आलोक संजर भी सक्रिय हैं और टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं। इनके अलावा  सीएम शिवराजसिंह चौहान के भाई और नगर निगम के सभापति सुरजीत सिंह चौहान विधायक का चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। वहीं भोपाल विकास प्राधिकारण के अध्यक्ष ओम यादव और युवा नेता राहुल कोठारी भी बीजेपी से टिकट की रेस में शामिल हैं।

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वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में भी कमोबेश यही हालात हैं। यहां से कई नेता टिकट के लिए अपना दावा पेश कर रहे हैं। इसमें पूर्व विधायक पीसी शर्मा का नाम सबसे आगे है। पीसी शर्मा के अलावा भोपाल मध्य से इस बार पूर्व महापौर विभा पटेल और पिछला चुनाव हारने वाले आरिफ मसूद भी टिकट के लिए ताल ठोंक रहे हैं। कुल मिलाकर भोपाल मध्य विधानसभा में दावेदारों की भरमार है और उसके साथ ही दावे और वादों की भी भीड़ है। ऐसे में आम मतदाता के सामने तो सही प्रत्याशी को चुनने की चुनौती होगी ही। साथ ही पार्टियों के लिए भी टिकट का बंटवारा करना इतना आसान नहीं होगा।

भोपाल जिले में आने वाली इस सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो, 10 साल पुरानी इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस को अभी भी पहली जीत का इंतजार है। वहीं दूसरी ओर बीजेपी भले यहां दोनों बार चुनाव जीती है, लेकिन जीत का अंतर बहुत कम रहा है। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों ही सियासी पार्टियों का दावा है कि इस बार सीट वही जीतेंगे।

भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र, जो जाना जाता है अपनी सामाजिक समरसता के लिए। यहां हिंदुओँ के साथ मुस्लिम समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं और एक-दूसरे के धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं। यानी गंगा जमुनी तहजीब को समेटे इस सीट को 2008 में दक्षिण और उत्तर विधानसभा को काटकर बनाया गया, जिसका नाम दिया गया भोपाल मध्य सीट के अस्तित्व में आने के बाद से ही यहां बीजेपी का कब्जा है। हालांकि इस बार दोनों दलों का दावा है कि भोपाल मध्य विधानसभा में कब्जा उन्हीं का होगा।

चुनावी नतीजे भी बताते हैं कि भोपाल मध्य विधानसभा में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही है और दोनों ही चुनाव में कांग्रेस यहां महज कुछ हजार वोटों से हारी है। 2008 में हुए पहले चुनाव में बीजेपी के ध्रुवनारायण सिंह ने कांग्रेस के नासिर इस्लाम को दो हजार 519 वोटों से शिकस्त दी थी। वहीं 2013 में बीजेपी ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर सुरेंद्रनाथ सिंह को मौका दिया, जिन्होंने कांग्रेस के आरिफ मसूद को 7 हजार वोटों से हराया।

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कुल मिलाकर अब तक सीट पर बीजेपी अपराजेय रही है, लेकिन इस बार यहां पर मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। बीजेपी विधायक के खिलाफ यहां गुस्सा तो नजर आता है लेकिन इस गुस्से को कई गुटों में बंटी कांग्रेस भुना पाएगी कहना मुश्किल है

 वेब डेस्क, IBC24