Students forced to study in dilapidated school building
जगदलपुर। नए शिक्षा सत्र के साथ बस्तर में जर्जर स्कूलों में पढ़ने के लिए विद्यार्थी मजबूर हैं। सरकार ने स्कूलों की मरम्मत और अतिरिक्त कक्ष बनाने के लिए स्कूल जतन योजना की शुरुआत की है। इसके तहत बस्तर जिले में 1000 स्कूलों को मरम्मत कर ठीक करना है, लेकिन इनमें से केवल 10% ही काम पूरा हो सका है। बारिश में सबसे ज्यादा खतरा जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को होता है।
खतरों के बीच स्कूल के बस्ते टांगे बस्तर के नौनिहाल स्कूलों में पहुंचने लगे हैं, लेकिन जिन स्कूलों में यह जा रहे हैं उनमें अधिकांश की हालत बेहद खराब है। कई तो इस कदर जर्जर है कि उन्हें कालातीत घोषित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, लेकिन स्कूल जतन योजना के तहत स्कूलों की मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने पहल की है। बस्तर जिले में ही ऐसे 1000 से अधिक स्कूल चिन्हित किए गए हैं, लेकिन बारिश के दौरान जब सबसे ज्यादा मरम्मत की आवश्यकता होती है तब सिर्फ 10% ही काम पूरा किया गया है यानी खतरे के बीच स्कूलों में जाने के लिए बच्चे मजबूर हैं।
बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम का कहना है कि ऐसे खतरनाक ही स्कूलों की पहचान की गई है और इन स्कूलों को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया गया है जहां नजदीकी सरकारी भवन है बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है बावजूद इसके अंदरूनी इलाकों में अब भी स्कूलों की बेहतर मॉनिटरिंग की आवश्यकता है और सुस्त रफ्तार से चल रहे मरम्मत के काम को बेहतर करने की। IBC24 से नरेश मिश्रा की रिपोर्ट