Shiv Shmashaan Holi Story: शिव और श्मशान की होली… महादेव ने पार्वती को सुनाई अपनी रामकथा, जिसमें छिपा है होली त्योहार के आनंद का रहस्य

शिव और श्मशान की होली...Shiv Shmashaan Holi Story: Shiv and the Holi of the crematorium... Mahadev narrated his Ram Katha to Parvati

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  • Publish Date - March 14, 2025 / 03:59 PM IST,
    Updated On - March 14, 2025 / 03:59 PM IST
Shiv Shmashaan Holi Story | Image Source | Devotioanl Image

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HIGHLIGHTS
  • शिव और श्मशान की होली,
  • पार्वती के बीच का वो संवाद, जिसमें छिपा है होली त्योहार के आनंद का रहस्य,
  • शिवजी ने सुनाई अपनी रामकथा

Shiv Shmashaan Holi Story: कैलाश पर्वत पर ध्यानमग्न भगवान शिव के मुख पर असीम शांति और दिव्य मुस्कान थी। यह देखकर माता पार्वती ने पूछा, “स्वामी! यह कौन सा आनंद है जो त्रिलोक में केवल आपको प्राप्त हुआ है? आप ध्यान में हैं, फिर भी आपके मुख पर संतोष है, न कोई लालसा, न कोई इच्छा। क्या यह आनंद धरती के प्राणियों को भी मिल सकता है?”

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Shiv Shmashaan Holi Story: शिवजी ने आँखें खोलीं और मंद-मंद मुस्काते हुए बोले, “देवी! इस आनंद का रहस्य एक कथा में समाया है। सुनो—मैं मंदिर में राम-राम जप रहा था, दिन चढ़ा, शाम ढली और रात आई। पुजारी ने कहा, ‘अब रामजी विश्राम करेंगे,’ और मंदिर के द्वार बंद कर दिए। मैं राम की खोज में भटकने लगा। गंगा किनारे बैठा रहा। सुबह हुई, तो मैंने देखा कि एक अर्थी जा रही थी और उसके साथ लोग कह रहे थे, ‘राम नाम सत्य है।’ मैं इस धुन में बहता हुआ श्मशान तक जा पहुँचा। वहाँ मैंने देखा कि जो राम घर, मंदिर, जंगल, पर्वत, नदी और सागर में नहीं मिले, वे श्मशान की राख में व्याप्त थे। तब मुझे सत्य का बोध हुआ।” शिव आगे बोले, “श्मशान में जलती चिता, भस्म होती देह—इन सबमें मुझे राम ही राम मिले। तब मैंने निश्चय किया कि मैं इसी राख में रमूँगा। राख ही सत्य है, मृत्यु है, मुक्ति है, और यही मोक्ष का द्वार भी खोलती है। यही चेतना है, यही चिंतन है। इस एक सफेदी में मैंने जीवन के सारे रंग पा लिए हैं, और यही मेरे आनंद का कारण भी है।”

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आम मनुष्य का आनंद

Shiv Shmashaan Holi Story: शिव ने आगे कहा, “देवी! धरती पर रहने वालों के लिए यह आनंद नया नहीं है। वे अपने संघर्षों में भी मस्त रहते हैं। जो प्रतिदिन अपने जीवन का संग्राम लड़ते हैं, जो जन्म और मृत्यु के चक्र में जीते हैं, वे सच्चे आनंद को जानते हैं। उनका सुख माता-पिता के आशीर्वाद, पत्नी के प्रेम, बच्चों के संतोष और मित्रों की संगति में बसा है। कभी-कभी तो मैं सोचता हूँ कि शिव मैं हूँ या वे! वे भी विष पीकर जी रहे हैं और फिर भी मुस्कुरा रहे हैं। यही मेरी मुस्कान का रहस्य है। मैं उनके रंग में रंग जाता हूँ, उनकी भाँति भस्म से लिपट जाता हूँ और श्मशान में होली खेलता हूँ।”

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श्मशान की होली

Shiv Shmashaan Holi Story: पार्वती ने कहा, “स्वामी! इसे और विस्तार से समझाइए।” शिव बोले, “प्रिये! वैसे तो सभी उत्सवों का आध्यात्मिक पक्ष गहन है, परंतु होली का महत्व अत्यंत अनोखा है। यह दो धाराओं में विभाजित है—एक कृष्ण और राधा की प्रेममयी होली, और दूसरी मेरी, श्मशान की होली। जब मैं श्मशान में बैठता हूँ, त्रिशूल अलग रख देता हूँ, वासुकि को शांत करता हूँ, गंगा को पुनः जटा में समाहित कर लेता हूँ, तब मेरी मुद्रा त्रिभंगी हो जाती है। मैं हाथ उठाकर उसे धरती के समानांतर करता हूँ और फिर धीरे-धीरे हृदय की ओर लाता हूँ। यह आत्माओं के जागरण की मुद्रा है। जब आत्माएँ इस संकेत को समझती हैं, तो उल्लास से भर उठती हैं। फिर वे आनंद कैसे प्रकट करें? तब मैं अपनी भस्म उठाकर आकाश में उछाल देता हूँ और स्वयं को राख में लपेट लेता हूँ। मेरे गण भी यही करते हैं और सब अवधूत बन जाते हैं। यही तो होली है! यहाँ भक्त भी भगवान बन जाते हैं और भगवान भी उन्हीं के रंग में रंग जाते हैं। यह आत्मा के जागरण का पर्व है।” शिव बोले, “देखो, संसार में आत्माएँ होली खेल रही हैं। यही श्मशान की होली है—जहाँ जीवन और मृत्यु एक ही रंग में मिल जाते हैं, जहाँ राख में समाहित चेतना परमानंद का अनुभव कराती है।”

शिव श्मशान में होली क्यों खेलते हैं?

शिवजी श्मशान में होली इसलिए खेलते हैं क्योंकि यह जीवन और मृत्यु की सच्चाई को दर्शाता है। श्मशान में जलती चिता और भस्म से हमें यह ज्ञान मिलता है कि सबकुछ नश्वर है और मोक्ष ही अंतिम सत्य है।

होली का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

होली केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह आत्मा के जागरण और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है। यह पर्व जीवन के नश्वर होने और प्रेम, भक्ति, एवं आनंद में रमने की सीख देता है।

शिव की भस्म होली का क्या अर्थ है?

शिवजी की भस्म होली यह दर्शाती है कि जीवन क्षणभंगुर है। भस्म हमें अहंकार, मोह और माया से मुक्त होने की प्रेरणा देती है। यह त्याग और सच्चे आनंद का प्रतीक है।

क्या श्मशान की होली खेलना कोई विशेष अनुष्ठान है?

हाँ, कुछ स्थानों पर यह अनुष्ठान किया जाता है, विशेष रूप से वाराणसी में। वहाँ शिव भक्त मृत्यु को जीवन का अंग मानते हुए इस परंपरा को निभाते हैं।

क्या शिवजी की होली का कोई आधुनिक संदर्भ है?

हाँ, शिवजी की होली हमें यह सिखाती है कि जीवन की कठिनाइयों के बावजूद हमें आनंदित रहना चाहिए। यह सकारात्मकता और मोक्ष की ओर बढ़ने का संदेश देती है।