आम बजट में सियासी एंगल, image source: ibc24
नईदिल्ली: मोदी 3.0 का पहला पूर्ण बजट आ गया है । इस बजट का अपना एक आर्थिक-सामाजिक आयाम तो है ही..पर साथ ही सियासी एंगल भी है..क्या है वो एंगल..और इसके जरिए मोदी सरकार ने कौन से गोल अचीव करने की कोशिश की..आइए जानने की कोशिश करते हैं ।
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हर बजट कुछ कहता है..25 का बजट क्या कहता है । ये लोकतंत्र है..वो भी भारत का ..यहां बजट का मतलब सिर्फ अर्थशास्त्र नहीं..महज महंगा-सस्ता नहीं..न ही केवल सौगातें हैं । हमारे देश का आम बजट यहां की सियासत की नब्ज भी टटोलता है..ठीक इस बजट की तरह..जहां संदेश सीधा है..और लक्ष्य स्पष्ट ।
लक्ष्य.. बाजार में फीलगुड की वापसी कराना
लक्ष्य..चुनावी राज्यों के लिए राहतें जुटाना
लक्ष्य..वोट बैंक में सौगातों का निवेश करना
लक्ष्य..एक ऐसा समावेशी बजट देना..जो देश में और देश के बाहर तक ये संदेश पहुंचा सके कि मोदी 3.0 में सब कुछ बढ़िया है ।
सब कुछ बढ़िया का ये संदेश फैलेगा ..किसानों को मिली राहतों से..ये राहतें असंतोष की धधक को मंद करेगी..और क्या पता शायद बुझा भी दे ।
मिडिल क्लास को टैक्स छूट का लॉलीपॉप चाहिए ही..इंतजार लंबा था..पर इस बार सरकार ने दे ही दी सौगात । ये छूट सियासत के सेंसेक्स को..और सत्ता के शेयर बाजार को शायद नई स्थिरता दे ।
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बजट के मसूंबों में दिल्ली और बिहार का चुनाव भी लहराता दिखा..दिल्ली का मध्यम वर्ग शायद इनकम टैक्स छूट से वाह मोदी जी कहे..और शायद बिहार को ये लगे..कि इस बार का बजट तो उसी के लिए है । तो क्या ये मानें कि बजट प्रस्तावों का ये मायालोक सियासत के समीकरण, सत्ता के रण, और चुनाव के निर्णायक क्षण में इस बार मोदी सरकार का ध्वजवाहक बनकर चलता दिखेगा?
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