नई दिल्ली। Arshad Madani On UCC : उत्तराखंड में आज यानी सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो गया है। इसके साथ राज्य में कई तरह के बदलाव भी हुए हैं। जिसमें में अब शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्या हो गया है। इसके अलावा इस कानून में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है। मुस्लिम समाज भी इस नियम के दायरे में आएंगे। बता दें कि, 27 जनवरी, 2025 से उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता लागू हो गई है। हालांकि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के फ़ैसले की विपक्षी पार्टियां और कुछ धार्मिक समूहों ने विरोध भी किया है। हालांकि, इस फैसले का जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने विरोध किया है और इसे अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है।
जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि, समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के नाम पर भेदभाव क्यों? उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का लागू होना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 29 के विपरीत है, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों को मान्यता देते हुए धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। समान नागरिक संहिता लागू करना नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता को खत्म करने की एक सोची-समझी साजिश है।
Arshad Madani On UCC : इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि, अगर अनुसूचित जनजातियों को संविधान द्वारा स्वीकृत कानूनों से छूट दी जा सकती है, तो मुसलमानों को क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि, जमीयत उलमा-ए-हिंद UCC के लागू होने के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।
समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के नाम पर भेदभाव क्यों? उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का लागू होना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 29 के विपरीत है, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों को मान्यता देते हुए धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। समान नागरिक संहिता…
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) January 27, 2025
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