Ajmer Dargah Controversy: अजमेर दरगाह के मंदिर होने का दावा: सैयद सरवर चिश्ती ने कहा ‘जिस पर तमाम क्रिमिनल केस हैं वह कुछ भी कहे क्या मान लिया जाएगा’

Syed Sarwar Chishti on Ajmer Dargah case: अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने याचिका को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह केवल एक ट्रेंड बन चुका है, जहां हर ऐतिहासिक स्थल पर मंदिर खोजने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट से बाहर आते ही सरवर चिश्ती ने मीडिया से चर्चा की।

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  • Publish Date - January 25, 2025 / 04:47 PM IST,
    Updated On - January 25, 2025 / 04:51 PM IST

अजमेर: Syed Sarwar Chishti on Ajmer Dargah case, ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने के मामले में लगातार नए मोड़ सामने आ रहे हैं। वादी और प्रतिवादी अपनी ओर से जवाब पेश कर रहे हैं वहीं नए पक्षकार बनने के लिए भी अर्जियां लगाई जा रही है। अजमेर दरगाह-हिंदू मंदिर विवाद मामले में शुक्रवार को कुछ देर हुई बहस के बाद एक बार फिर नई तारीख सामने आ गई है। अब आगामी 1 मार्च को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। इस केस में न्यायालय के समक्ष पक्षकार बनने के लिए 6 नई अर्जियां पेश की गईं। उन पर आगामी तारीख को सुनवाई की जाएगी।

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा

अजमेर सिविल न्यायालय में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में शिव मंदिर होने का पेश किए गए दावे पर शुक्रवार को वादी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता ने पूर्व में मांगे गए 7 /11 की अर्जी का जवाब पेश किया। इसमें उन्होंने बताया कि यह मामला क्यों चलना चाहिए? इसके पीछे क्या आधार है? उन्होंने अपने तर्क रखते हुए बताया कि यह दरगाह पृथ्वीराज चौहान के समय नहीं थी और उस दौरान यहां शिव मंदिर था। उसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। इसे लेकर उन्होंने अपने दस्तावेज न्यायालय में पेश किए और कई किताबों का हवाला दिया। दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक विभाग ने वादी पक्ष की ओर से पेश किए गए जवाब को पढ़ने का समय मांगा है। उसके कारण कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 1 मार्च दी है।

अजमेर दरगाह में प्राचीन मंदिर होने के दावे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब इस दावे को लेकर 24 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई हुई। इस याचिका को लेकर दरगाह कमेटी ने कोर्ट से इसे खारिज करने की मांग की। कमेटी का कहना है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। याचिका दायर करने वाले विष्णु गुप्ता ने इस दावे के समर्थन में जवाब पेश किया, जिसके आधार पर कोर्ट ने दरगाह कमेटी से प्रतिक्रिया मांगी। दरगाह कमेटी ने जवाब दाखिल करने के लिए अधिक समय की मांग की। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।

सैयद सरवर चिश्ती ने याचिका को बेबुनियाद बताया

अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने याचिका को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह केवल एक ट्रेंड बन चुका है, जहां हर ऐतिहासिक स्थल पर मंदिर खोजने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट से बाहर आते ही सरवर चिश्ती ने मीडिया से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा​ कि ‘कोर्ट में हम भी हमारा पक्ष रखने आए हैं, हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, गरीब नवाज के वंशज पर उठे सवालों पर कहा- ‘सब कुछ 800 साल से देश-दुनिया के सामने है, PM मोदी सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने दरगाह में चादर पेश की है। सैयद सरवर चिश्ती ने सवाल उठाया कि जिस शख्स पर दर्जनों आपराधिक रिकॉर्ड चल रहे हैं, वह व्यक्ति कुछ भी कह देगा तो उसे क्या सही मान लिया जाएगा।

उन्होंने कहा, “अजमेर दरगाह में तीन मस्जिदें मौजूद हैं, और ऐसे दावों का कोई ऐतिहासिक या धार्मिक आधार नहीं है।” अजमेर दरगाह के वर्शिप एक्ट में आने को लेकर अंजुमन सैयद जादगान के एडवोकेट आशीष कुमार सिंह ने कहा कि यह मामला पेंडिंग है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा। मामले में आगे की सुनवाई के लिए तारीख तय की गई है और अब तक कुल 11 प्रतिवादियों ने याचिका दायर की है, जिन पर अगली सुनवाई के दौरान विचार किया जाएगा।

विष्णु गुप्ता पर जानलेवा हमला

राजस्थान के अजमेर में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता पर गोलीबारी का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, यह हमला शनिवार, 24 जनवरी की सुबह हुआ, जब विष्णु गुप्ता अजमेर से दिल्ली लौट रहे थे। हालांकि, इस घटना में उन्हें कोई चोट नहीं आई है। 24 जनवरी 2025 को अजमेर कोर्ट में इस बात की सुनवाई की तारीख थी कि हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर है।

विष्णु गुप्ता ने बताया कि गगवाना लाडपुरा पुलिया के पास बाइक सवार दो अज्ञात युवक उनकी कार का पीछा कर रहे थे। अचानक, उनमें से एक ने उनकी कार पर गोली चलाई। उनकी कार के ड्राइवर ने तुरंत स्पीड बढ़ाई, लेकिन हमलावरों ने दूसरी गोली चलाई, जो कार के निचले हिस्से में लगी। इसके बाद ड्राइवर ने तेज गति से कार भगाई, जिसके चलते हमलावर भाग निकले।

यह हमला मुझे डराने के लिए : विष्णु गुप्ता

हमले के बाद विष्णु गुप्ता ने इसे एक जानलेवा साजिश करार दिया। उन्होंने मीडिया से कहा, “यह हमला मुझे डराने के लिए किया गया है। धमकियों के बावजूद मैं यहां आता रहा हूं और आना जारी रखूंगा। मैं संकट मोचन महादेव मंदिर की सच्चाई दुनिया के सामने लाऊंगा, चाहे इसके लिए मुझे जान जोखिम में डालनी पड़े।”

घटना की जानकारी मिलने पर अजमेर एसपी वंदिता राणा ने कहा, “हमें विष्णु गुप्ता से फोन पर जानकारी मिली कि उनकी कार पर फायरिंग हुई है। हमारी टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई और एफएसएल टीम को बुलाकर गाड़ी की जांच करवाई जा रही है। साथ ही, हम सीसीटीवी फुटेज खंगालकर आरोपियों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।”

गौरतलब है कि विष्णु गुप्ता ने हाल ही में अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर बताया था, जिसे लेकर विवाद चल रहा है। इस बयान के बाद से उन्हें धमकियां मिल रही थीं। पुलिस मामले की जांच कर रही है, और आरोपियों को जल्द पकड़ने का दावा किया जा रहा है।

अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे विष्णु गुप्ता

दरअसल विष्णु गुप्ता अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं, और इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए विष्णु ने ही दावा किया था कि अजमेर दरगाह में मंदिर मौजूद है। उन्होंने इस संबंध में एक याचिका भी कोर्ट में दायर की हुई है।

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अजमेर दरगाह-हिंदू मंदिर विवाद से जुड़े FAQ

क्या है अजमेर दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा?

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें दावा किया गया है कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह का स्थान पहले एक शिव मंदिर था। यह दावा इस आधार पर किया गया है कि यह दरगाह पृथ्वीराज चौहान के समय नहीं थी और यहां पहले मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई।

इस विवाद पर कोर्ट का अब तक क्या निर्णय है?

कोर्ट ने अभी तक इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं दिया है। 24 जनवरी को हुई सुनवाई में दरगाह कमेटी ने याचिका को खारिज करने की मांग की और अधिक समय की मांग की। अगली सुनवाई के लिए 1 मार्च 2025 की तारीख तय की गई है।

दरगाह कमेटी का इस दावे पर क्या कहना है?

दरगाह कमेटी ने इस दावे को पूरी तरह से आधारहीन बताया है। उनका कहना है कि इस प्रकार की याचिकाओं का कोई ऐतिहासिक या धार्मिक प्रमाण नहीं है और यह केवल ऐतिहासिक स्थलों पर विवाद पैदा करने की कोशिश है।

वादी के तर्क क्या हैं?

वादी पक्ष ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके पास दस्तावेजी प्रमाण और ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला है जो दर्शाते हैं कि यह स्थान पहले शिव मंदिर था। इसके लिए उन्होंने कुछ पुस्तकों और ऐतिहासिक दस्तावेजों का संदर्भ दिया है।

सैयद सरवर चिश्ती का इस मामले पर क्या बयान है?

सैयद सरवर चिश्ती ने इस याचिका को बेबुनियाद करार दिया है और कहा कि यह ऐतिहासिक स्थलों पर मंदिर खोजने का एक ट्रेंड बन चुका है। उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना है और यह देश-विदेश में सम्मानित स्थल है। उन्होंने वादी के आपराधिक रिकॉर्ड को भी सवालों के घेरे में रखा है।