बिलासपुर: IPS जीपी सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मनप्रीत कौर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। एसीबी ने मनप्रीत कौर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति को लेकर एफआईआर दर्ज किया था। कोर्ट ने इसे पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दर्ज की गई शिकायत माना है।
Big relief to IPS GP Singh’s wife Manpreet Kaur, बता दें कि, IPS जीपी सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ कांग्रेस सरकार में ACB/EOW ने आय से अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट 12 और आपराधिक षडयंत्र की धारा 120 बी दर्ज किया था। हाईकोर्ट चीज जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीबी में मामले की सुनवाई चल रही थी। जिसमें मनप्रीत कौर के वकील ने पैरवी करते हुए तर्क प्रस्तुत किया कि मनप्रीत कौर विभिन्न प्राइवेट कॉलेजों में बतौर गेस्ट लेक्चरर कार्य करती थीं।
मनप्रीत कौर की क्वालिफिकेशन एमएससी लाइफ साइंस के अलावा लाइफ साइंस में पीएचडी भी है। इसके अलावा उन्होंने इंग्लिश ऑनर्स किया है। शादी से पहले उन्होंने ट्यूशन और नौकरी के माध्यम से कमाए गए पैसों से सेविंग की थी। शादी के बाद उन्होंने एजुकेशनल कंसलटेंट और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट की क्लासेस शुरू की थी। सन 2001 से लेकर 2021 तक उनके पति जीपी सिंह जहां-जहां पदस्थ रहे वहां विभिन्न कॉलेजों में उन्होंने गेस्ट लेक्चरर के तौर पर नौकरी की है जिससे उन्हें आय प्राप्त हुई। इसके अलावा कंसल्टेंसी से भी उन्हें आय प्राप्त हुई। पति जीपी सिंह के अलावा इंडिविजुअल भी उनका अपना इनकम ऑफ सोर्स रहा है।
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उन्होंने नियमित तौर पर इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत 2001 से अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भरा है। पर उनकी 10 साल की इनकम को एसीबी ने काउंट ही नहीं किया है। ना ही एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन्हें इस संबंध में कोई समन भेजा और न उनका पक्ष। बिना समन और बिना पक्ष जाने उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए अपने पति आईपीएस जीपी सिंह को उकसाने के लिए आरोपी बना दिया गया।
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल के डिवीजन बेंच ने दर्ज एफआईआर को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दर्ज की गई शिकायत मानते हुए रद्द का फैसला सुनाया है।
कांग्रेस सरकार के दौरान एसीबी/EOW ने मनप्रीत कौर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि उन्होंने अपने पति जीपी सिंह को अवैध संपत्ति अर्जित करने के लिए उकसाया।
हाईकोर्ट ने पाया कि एसीबी की शिकायत पूर्वाग्रह से ग्रसित थी। एसीबी ने उनकी आय के सभी स्रोतों की सही तरीके से जांच नहीं की और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया।
उन्होंने बताया कि वह विभिन्न प्राइवेट कॉलेजों में गेस्ट लेक्चरर थीं, एजुकेशनल कंसलटेंसी और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट क्लासेस चलाती थीं। उनकी आय के स्रोत व्यक्तिगत और पति से स्वतंत्र थे। उन्होंने 2001 से आयकर रिटर्न भी नियमित रूप से दाखिल किया है।
कोर्ट ने माना कि मनप्रीत कौर को बिना समन या उनका पक्ष सुने एफआईआर दर्ज की गई। इसके अलावा, उनकी आय के वैध स्रोतों को नजरअंदाज किया गया।
यह न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा का संदेश देता है। इस मामले में, पूर्वाग्रह और प्रक्रियात्मक खामियों के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश दिया गया है।