Girl murdered in Raipur: रायपुर में युवती की निर्ममता से हत्या, कांग्रेस ने किया चक्का जाम, उजागर की पीड़िता की पहचान

A young woman was brutally murdered in Raipur: हत्या से पहले बलात्कार की आशंका भी है, लेकिन अब तक ना तो पीएम रिपोर्ट आई, ना ही आरोपी को पकड़ा गया। लिहाजा, कांग्रेसियों ने इसे निर्भया कांड नाम देते हुए पीड़ित युवती के लिए न्याय देने की मांग की।

  • Reported By: Rajesh Raj

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  • Publish Date - January 18, 2025 / 06:32 PM IST,
    Updated On - January 18, 2025 / 06:33 PM IST

रायपुर:  Girl murdered in Raipur रायपुर के कोटा इलाके की एक युवती की नृशंस हत्या के विरोध में आज कांग्रेस ने चक्का जाम कर प्रदर्शन किया। कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। प्रदर्शन के दौरान सरस्वतीनगर थाने के सामने जीई रोड को जाम कर नारेबाजी की गई।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पीड़ित युवती की निर्ममता पूर्वक हत्या की गई। उसकी टांग टूटी हुई थी, बदन पर सिगरेट से जलाने के निशान थे। हत्या से पहले बलात्कार की आशंका भी है, लेकिन अब तक ना तो पीएम रिपोर्ट आई, ना ही आरोपी को पकड़ा गया। लिहाजा, कांग्रेसियों ने इसे निर्भया कांड नाम देते हुए पीड़ित युवती के लिए न्याय देने की मांग की।

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Girl murdered in Raipur, उन्होंने दोषी को फांसी देने और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की भी मांग की। करीब आधे घंटे तक कांग्रेस का ये प्रदर्शन चलता रहा। इस दौरान जीई रोड की ट्रैफिक ध्वस्त हो गई, हालांकि खुद कांग्रेसियों ने ही यह कहते हुए चक्का जाम प्रदर्शन खत्म कर दिया, कि आगे एम्स अस्पताल है और जाम के चलते वहां जाने वाले स्टाफ या एंबुलेंस को मुश्किल ना हो।

कांग्रेस ने उजागर की पीड़िता की पहचान

हालाकि इस मामले का दूसरा पक्ष यह भी रह है कि निर्मम हत्या और संभावित बलात्कार की पीड़िता को न्याय दिलाने की कोशिश में पीड़िता की पूरी पहचान उजागर कर दी गई। धरना स्थल पर उसकी तस्वीर वाली पंफलेट बांट दी गई, जिस पर पीड़िता का नाम भी लिख दिया गया। प्रदर्शन के दौरान हर महिला-पुरुष के हाथों में उसकी तस्वीर थमा दी गई। यहां तक की नारे लगाते हुए भी बार बार पीड़ित युवती का नाम भी लिया जाता रहा है, जबकि निर्भया कांड से लेकर कोलकाता के आईजी कर अस्पताल कांड तक में कोर्ट सख्ती के साथ कह चुका है कि अपराध पीड़िता महिला, युवती या बच्ची की पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए।

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उसकी तस्वीर तो दूर, उसका असल नाम भी नहीं लिया जा सकता। ऐसा पीड़ित महिला के सम्मान के लिए जरुरी है, लेकिन इस प्रदर्शन में इसका ख्याल नहीं रखा गया। दूसरा, जो लोग पीड़िता को न्याय दिलाने सड़कों पर बैठकर सरकार पर सवाल खड़े कर रहे थे, उन्हें ये भी नहीं पता था कि पीड़िता युवती है, बालिग है या नाबालिग। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, पीड़िता का जन्म 1 जनवरी 2007 है। यानी पीड़िता की उम्र 19 साल हो चुकी है, लेकिन प्रदर्शन करने वाले लोग उसे 4 साल की मासूम बता रहे थे। ये कैसी लड़ाई है, कि जिसके लिए लड़ रहे हैं, वह 4 साल की मासूम है, या 18 साल की बच्ची है, ये भी नहीं पता।