President Election: देश में राष्ट्रपति चुनाव को अब केवल 28 दिन ही शेष बचे हैं। 18 जुलाई को चुनाव होना है। कांग्रेस में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एकमत होने के बाद अब NDA में भी एकमत बनाने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष को एकजुट करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी कोशिशें कर रहीं हैं। 15 जून को उन्होंने 22 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, जिसमें 17 दलों के नेता शामिल हुए। आम आदमी पार्टी, टीआरएस, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने खुद को इस बैठक से अलग रखा। अब 21 जून को विपक्ष की बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता शरद पवार कर रहे हैं।
राष्ट्रपति के नाम को लेकर अंतिम दौर में चर्चा चल रही है। बीजेपी जल्द ही राष्ट्रपति के नाम की घोषणा कर सकती है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए में उम्मीदवार को लेकर जोरशोर से मंथन जारी है। सबकी नजर एनडीए के उम्मीदवार पर ही टिकी है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि, आंकड़ों के अनुसार चुनाव में एनडीए अभी मजबूत दिख रही है। भाजपा में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए 10 से ज्यादा दिग्गजों के नामों पर बातचीत अब भी जारी है। हालांकि, इनमें पांच ऐसे नाम हैं, जिनकी सबसे ज्यादा चर्चा है।
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भाजपा ने मैनेजमेंट टीम भी बनाई है। इसके समन्वयक गजेंद्र सिंह शेखावत हैं। सह संयोजक विनोद तावड़े और सीटी रवि बनाए गए हैं। वहीं, 11 सदस्य भी नियुक्त किए गए हैं। इसके साथ ही एनडीए ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है कि वह विपक्ष और एनडीए में शामिल पार्टियों से समर्थन हासिल करें। इसके लिए राजनाथ सिंह ने ममता बनर्जी, शरद पवार, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समेत विपक्ष और एनडीए की सहयोगी पार्टी के कई बड़े नेताओं से संपर्क किया।
President Election: अनुसुइया उइके और द्रौपदी मुर्म : एक कयास ये भी है कि पहली बार भाजपा किसी आदिवासी चेहरे को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है। इसमें छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्म के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है।
किसी मुस्लिम चेहरे को भी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। इनमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं। किसी मुस्लिम चेहरे को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा एक संदेश देना चाहेगी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। तब भाजपा की तरफ से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उम्मीदवार बनाया गया था।
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कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के नाम की काफी चर्चा है। गहलोत मध्य प्रदेश के दलित समुदाय से आते हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा लगातार दूसरी बार दलित वोटर्स को साधने के लिए दलित चेहरे पर दांव खेलना चाहती है।
President Election: राष्ट्रपति पद को लेकर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को लेकर भी चर्चा हो रही है। इसके अलावा किसी सिख को भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की सुगबुगाहट है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस वक्त भाजपा का सिखों पर काफी फोकस है। किसान आंदोलन के बाद सिख समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ गई थी। ऐसे में संभव है कि सिख चेहरे को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। ऐसे में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है।