भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने जनता के हित में एक और बड़ा फैसला लिया है। थानों के बाद अब जिलों और संभागों का परिसीमन कराया जायेगा। इसके लिए सरकार ने आयोग का गठन भी कर लिया है। जनता के सुझाव के बाद आयोग की रिपोर्ट पर आने वाले समय में सरकार परिसीमन का काम करेगी, सरकार के इस फैसले की विपक्ष जरूरत तो बता रहा है लेकिन कह रहा है ये राजनीतिक नहीं होना चाहिए। भौगोलिक तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य जहां अब राज्य सरकार को जिलों और संभागों के परिसीमन का फैसला लेना पड़ा। मध्यप्रदेश में रहने वाले लोगों के जिले अब बदले जा सकते हैं। सरकार उन जिलों का परिसीमन करने जा रही है..जहां पर लोग अपने जिला मुख्यालय से कई किलोमीटर दूर रहते हैं।
मध्यप्रदेश में फिलहाल 55 जिले है जिसमें सागर, इंदौर, धार, सीहोर समेत कई बड़े जिलों में कठिनाइयां होती हैं। कई इलाकों से दूसरे जिले नजदीक संभाग और तहसील मुख्यालय भी पास फिर भी 100 किमी का सफर तय करना पड़ता है। वहीं नए सीमांकन होने से जनता की परेशानी दूर होगी। जिला, संभाग और तहसील मुख्यालय नजदीक ही मिलेंगे।
मोहन सरकार ने रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव के नेतृत्व में परिसीमन आयोग का गठन किया है जो एक तय वक्त तक परिसीमन रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी, जिसके आधार पर नए सिरे से सीमाओं का पुनर्गठन होगा, लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है तो वहीं बीजेपी भी उन सवाले के जवाब में अपना पक्ष रख रही है।
Face To Face Madhya Pradesh: मोहन सरकार का ये फैसला सीधे तौर पर जनता से जुड़ा है। जाहिर है इससे कुछ लोगों को फायदा होगा तो इसके कई नुकसान भी होंगे। बीजेपी जहां इसे जनता के हित का फैसला बता रही है तो कांग्रेस इसे राजनीतिक चश्मे से देख रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या परिसीमन जनता के लिए मुफीद साबित होगा?