नई दिल्ली। Why do eyes close during sneezing: छींकना शरीर की रक्षात्मक प्रतिक्रिया में से एक है। कई बार ऐसा होता है कि आप धूल वाली जगह पर जाते है तो आपको छींक आने लगती है। कई बार छींक दूसरी चीजों की एलर्जी की वजह से भी होती है। लेकिन आपने कभी ये जानने की कोशिश नहीं की होगी की छींकते समय आंखे क्यों बंद हो जाती है।
कभी कभी ऐसा होता है कि धूप में निकलने से कई लोगो को छींक आ जाती है। तो वहीं कुछ लोगों जब भावुक होते है तो उन्हें छींक आती है। तो अब हम आपको बताते है की आखिर छींकते वक्त आंखें क्यों बंद हो जाती हैं। तो बता दें कि पुराने समय से एक अफवाह लोगों के बीच चलती आ रही है, वो ये कि अगर छींकते वक्त यदि आंखें खुली रहें तो छींक के प्रेशर से आंख की पुतलियां बाहर निकल आती है। लेकिन ये सिर्फ एक अफवाह है और कुछ नहीं।
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वैसे तो बैक्टीरिया और वायरस हवा के जरिए शरीर के अंदर प्रवेश करता है। ऐसे में यदि कोई बाहरी चीज घुस जाए या फिर कोई बैक्टीरिया या वायरस आ जाए तो उसे नाक और मुंह के माध्यम से छींक के जरिए शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इन चीजों के अलावा पाइपराइन, कैपसेसिन जैसे केमिकल जो काली मिर्च और मिर्ची पेपर में पाए जाते हैं, जिसके नाक में जाने से इंसान को छींकता आती है और वही समय वो केमिकल जल्द ही छींक के जरिए बाहर निकल जाता है।
दरअसल, छींकते वक्त आंखों का बंद हो जाना एक अपने आप होने वाला एक्शन है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आंखें इसलिए बंद हो जाती हैं ताकि छींकते वक्त मुंह से निकलने वाले बैक्टीरिया आंखों में ना जाएं। इसलिए समझदारी यही है की यदि आप छींकते समय आंखे खुली रखने की कोशिश कर रहे तो ये बेवकुफी न करें नहीं तो कीटाणु आपकी आंखों में घुस जाएंगी। दरअसल छींकते वक्त आंखों का बंद हो जाना एक अपने आप होने वाला एक्शन है। इसका ये मतलब हुआ कि हम इस बारे में सोचते भी नहीं और हमारा शरीर ऐसा कर देता है।
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