चंडीगढ़: Contract Employees Regularization 2024 आचार संहिता खत्म होने के बाद प्रदेश के मुखिया ने आज अपने कैबिनेट मंत्रियों की बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि आज दोपहर होने वाली बैठक में सरकारी और अनियमित कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया जा सकता है। बता दें कि इसी साल के अंत तक प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है और ऐसे में सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगें सरकार के लिए सिर दर्द बन सकती है। इसलिए ये माना जा रहा है कि आज होने वाली कैबिनेट बैठक में सरकार बड़ा फैसला ले सकती है।
Contract Employees Regularization 2024 मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा की नायब सैनी सरकार एक ओर जहां कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र में दो साल बढ़ाने पर मंथन कर रही है, तो दूसरी ओर अनियमित और संविदा कर्मचारियों को परमनेंट करने पर भी विचार कर रही है। बताया गया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के पास जो फीडबैक मिला है, उसमें सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा उम्मीदवारों को अपेक्षित संख्या में वोट नहीं दिए। बताते हैं कि बड़ी संख्या में कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने भाजपा उम्मीदवारों के विरुद्ध काम किया। कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने तथा उन्हें अपने पक्ष में लामबंद करते हुए पार्टी ने उनकी दो प्रमुख मांगें मानने का मन बनाया है।
ज्ञात हो कि सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की आयु 58 से 60 साल करने का फैसला पिछली सरकार साल 2014 में जाते-जाते ले चुकी थी। यह फैसला लागू भी हो गया था, लेकिन भाजपा सरकार बनी तो हुड्डा सरकार के इस फैसले को पलट दिया गया, मगर इसे फिर से लागू किया जा सकता है। प्रदेश में करीब तीन लाख सरकारी कर्मचारी हैं, जो इस फैसले से लाभान्वित हो सकते हैं, लेकिन इससे सरकारी भर्तियों की रफ्तार थोड़ी ढीली पड़ेगी, क्योंकि कर्मचारियों की रिटायरमेंट देर से होगी तो भर्ती भी देरी से ही हो जाएगी।
सूबे में करीब 1.25 लाख कच्चे कर्मचारी काम करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 10 अप्रैल 2006 में कर्नाटक सरकार बनाम उमा देवी केस में एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हीं कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जा सकता है, जिनकी भर्ती स्वीकृत नियमित पदों के विपरीत हुई हो, कच्ची भर्ती में नियुक्त कर्मचारी स्वीकृत पद की नौकरी के अनुसार योग्यता रखता हो तथा कच्ची भर्ती के लिए कोई असंवैधानिक तरीका न अपनाया गया हो। इस फैसले के बाद साल 2011 में पालिसी बनाकर तत्कालीन सरकार ने हरियाणा के करीब सात हजार कच्चे कर्मचारियों को नियमित कर दिया था।