लखनऊ : Yogi Adityanath Birthday : सीएम योगी आदित्यनाथ आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। देश भर से उन्हें बधाइयां एवं शुभकामना संदेश मिल रहे हैं। 2017 में प्रदेश की कमान अपने हाथों में लेने के बाद से योगी आदित्यनाथ ने अपनी नीतियों से प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले गए हैं। आज यूपी की पहचान बदल गई है। देश और दुनिया में यूपी की पहचान तेजी से उभरते एक विकसित राज्य के रूप में हो रही है।
Yogi Adityanath Birthday : 1992 में गोरखपुर आने के पहले अवैद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ(अजय सिंह बिष्ट) में कई दफा मुलाकात हुई। 1990 के दशक में जब राममंदिर आंदोलन का आगाज हुआ तो अवैद्यनाथ आंदोलन के अगुवा बने। धीरे धीरे मिलने जुलने का सिलसिला चल पड़ा और 1992 में अजय सिंह बिष्ट हमेशा हमेशा के लिए पहाड़ को अलविदा कह दिया। वो मैदानी इलाके का हिस्सा बन गए। सांसारिक दुनिया से इतर संन्यास की राह पकड़ ली। लेकिन मठ के आंगन में राजनीति को भी वो करीब से देख रहे थे क्योंकि उनके गुरु अवैद्यनाथ राजनीति में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहे थे। महंत अवैद्यनाथ की तबीयत जब खराब रहने लगी तो योगी आदित्यनाथ ने मठ की कमान संभाली।
Yogi Adityanath Birthday : महंत अवैद्यनाथ ने जब सक्रिय राजनीति को अलविदा कहा तो उस जगह के स्वाभाविक तौर पर आदित्यनाथ दावेदार बने और गोरखपुर से संसदीय जिम्मेदारी संभालने लगे। गोरखपुर के सांसद के तौर पर उन्होंने पूर्वांचल में बाढ़ से होने वाली तबाही को देखा तो इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मौतों के दर्द को भी महसूस किया और उसका उदाहरण भारत की संसद बनी। योगी आदित्यनाथ की सियासी पारी में कुछ नया और बड़ा होने वाला था। समय का चक्र धीरे धीरे 2017 के साल पर आ पहुंचा। देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी चुनाव के लिए तैयार था। इस चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की और योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का सीएम बनाया गया।
Yogi Adityanath Birthday : समाजवादी पार्टी पूरे दमखम के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही थी। लेकिन जब नतीजे आए तो हैरान करने वाले थे। बीजेपी दमदार अंदाज में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी थी। सस्पेंस था कि यूपी की कमान कौन संभालने जा रहा है। अलग अलग दावेदारों के बीच एक नाम सामने आया और वो नाम था योगी आदित्यनाथ का। योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम की कुर्सी पर आसीन हो चुके थे। सियासत के इस सफर में योगी आदित्यनाथ का आखिरी पड़ाव कहां होगा वो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन 1972 से 1992, 1992 से लेकर आज तक के सफर को देखें तो एक बात साफ नजर आती है। सांसारिक दुनिया से संन्यासी की दुनिया और अब सियासत की इस दुनिया में उन्होंने साबित कर दिया है कि उनके शब्दकोश में रुकना शब्द नहीं लिखा है।