Gandhi Jayanti 2023: हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। इस बार देश बापू की 154वीं जयंती मना रहा है। गांधी जी को बापू के नाम से जाना जाता है। बापू ने हमेशा ही लोगों को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया है। बापू के ये विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। ‘अहिंसा परमो धर्म:’ को आत्मसात कर अपने जीवन काल में इस विचार की ताकत बापू ने दुनिया को महसूस भी कराई और अहिंसक सत्याग्रहों के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देकर देश और दुनिया के मन में हमेशा के लिए रच बस गए।
गांधी जी ने देखा था ‘स्वच्छ भारत’ का सपना
बापू की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में कई ऐसे मौकों का जिक्र है जब उन्होंने स्वच्छता के लिए खुद आगे आकर लोगों को प्रेरित किया। अपने हाथों से सार्वजनिक जगहों पर सफाई की। भारत सरकार की एक वेबसाइट कहती है कि महात्मा गांधी ने ‘स्वच्छ भारत’ का सपना देखा था, वह चाहते थे कि सभी देशवासी मिलकर देश को स्वच्छ बनाने में योगदान दें। उनके इस सपने को पूरा करने के लिए पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया जो आज भी जारी है।
गांधी जी के नेतृत्व में चले ये आंदोलन
गांधी जी ने अंग्रेजी सरकार की ओर से लगाए गए नमक टैक्स के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह किया और 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। अपने जीवकाल में उन्हें जेल में भी जाना पड़ा। कठिन से कठिन परिस्थिति में वह सत्य और अहिंसा का पालन करते थे और लोगों से इसका पालन करने के लिए कहते थे। आइए जानते हैं गांधी जी के नेतृत्व में चले आंदोलन के बारे में
चंपारण सत्याग्रह
बापू ने अपने जीवन काल में कई बार सत्याग्रह किया। 1917 में उन्होंने चंपारण में सत्याग्रह किया। इसे उनकी पहली बड़ी उपलब्धि के रूप में जाना जाता है। इस आंदोलन में बापू ने नील की खेती करने वाले किसानों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।
खेड़ा सत्याग्रह
1918 में उन्होंने गुजरात के खेड़ा में किसान सत्याग्रह किया था, जिसे खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। किसानों पर अंग्रेजी शासन की कर वसूली के खिलाफ इसे किया गया था। इसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल और अन्य नेता भी शामिल हुए थे।
काला कानून
1919 में अंग्रेज रॉलेट एक्ट लाए थे, जिसमें प्रेस के नियंत्रित करने, नेताओं के गिरफ्तार करने और बगैर वारंट किसी को भी गिरफ्तार करने के प्रावधान थे। इसे काला कानून कहा गया। इस काले कानून का गांधी जी के नेतृत्व में देशभर में विरोध हुआ था।
असहयोग आंदोलन
1920 में गांधी जी और कांग्रेस की अगुवाई में असहयोग आंदोलन चलाया गया। इस आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की ओर से दी गई सुविधाओं का इस्तेमाल न करने के लिए देशवासियों को प्रेरित किया गया था।
नमक सत्याग्रह
अंग्रजों की ओर से नमक पर टैक्स लगाए जाने का विरोध गांधी जी ने नमक सत्याग्रह करके दिया. 1930 में गांधी जी ने लोगों को साथ लेते हुए अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पदयात्रा की थी, जो 24 दिन तक चली थी।