Bhagat Singh Death Anniversary : देश की आजादी के लिए हंसते हंसते सूली पर चढ़ गए थे सरदार भगत सिंह, पुण्यतिथि पर जानें उनसे जुड़ी रोचक बातें

देश की आजादी के लिए हंसते हंसते सूली पर चढ़ गए सरदार भगत सिंह : These things related to the life of Sardar Bhagat Singh will make you cry

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  • Publish Date - March 23, 2023 / 10:32 AM IST,
    Updated On - March 23, 2023 / 10:32 AM IST

नई दिल्ली । Bhagat Singh Death Anniversary  देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह की आज पुण्यतिथि है। भारत की आजादी के लिए सरदार भगत सिंह ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। मां भारती के इस वीर सपूत के बलिदान के फलस्वरुप भारत को आजादी मिल पाई। भगत सिंह ने युगल अवस्था से ही स्वतंत्र भारत का सपना देखा। वे जैसे जैसे बड़े होते गए उनका यह सपना लक्ष्य में तब्दील हो गया। आज हम अपने देश में बड़ी शांति के साथ जी रहे है,तो उसके पीछे भगत सिंह जैसे महापुरुषों का लंबा संघर्ष है। मां भारती के इस दीवाने को लोग ‘शहीद ए आजम’ के नाम से पुकारते है। आज ही दिन साल 1931 में सरदार भगत सिंह देश की आजादी के लिए सूली पर चड़ गए।

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शहीद-ए-आजम का जन्म 1907 में 27 और 28 सितम्बर की रात पंजाब के लायलपुर जिले (वर्तमान में पाकिस्तान का फैसलाबाद) के बांगा गाँव में हुआ था, इसलिए इन दोनों ही तारीखों में उनका जन्मदिन मनाया जाता है। लाहौर सेंट्रल कॉलेज से शिक्षा ग्रहण करते समय वे आजादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से शामिल हो गए और अंग्रेजों के खिलाफ कई क्रांतिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के मामले में उन्हें कालापानी की सजा हुई, इसलिए उन्हें अंडमान-निकोबार की सेल्युलर जेल में भेज दिया गया, लेकिन इसी दौरान पुलिस ने सांडर्स हत्याकांड के सबूत जुटा लिए और इस मामले में उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई।

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भारत के इस महान क्रांतिकारी को फाँसी 24 मार्च 1931 की सुबह दी जानी थी, लेकिन अंग्रेजों ने बड़े विद्रोह की आशंका से राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को जेल के भीतर चुपचाप निर्धारित तिथि से एक दिन पहले 23 मार्च 1931 की शाम को ही फाँसी दे दी और उनके पार्थिव शरीर वहाँ से हटा दिए गए। लाहौर सेंट्रल जेल में भगतसिंह ने 404 पेज की डायरी लिखी, जिसकी मूल प्रति इस समय उनके पौत्र यादविंदर के पास रखी है। भगतसिंह कुल 716 दिन जेल में रहे।

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