Mantra of Maa Katyayani: आज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है। पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप यानि मां कात्यायनी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। मां कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं। वे सिंह पर सवार होने वाली देवी हैं, जो चतुर्भुज हैं। वे अपनी दो भुजाओं में कमल और तलवार धारण करती हैं। एक भुजा वर मुद्रा और दूसरी भुजा अभय मुद्रा में रहती है।
मां कात्यायनी कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रकट हुई थीं, इस वजह से इनका नाम कात्यायनी पड़ा। यह अपनें भक्तों को अभय प्रदान करती हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति ही अत्याचार का अंत करने के लिए हुआ था। ऋषि-मुनियों को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए मां दुर्गा ने अपना कात्यायनी स्वरूप धारण किया था।
शास्त्रों के अनुसार, देवी मां का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है। मां का वाहन सिंह है। मां के 4 भुजाएं हैं। एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल और दो हाथ अभय मुद्रा और अभयमुद्रा में है।
नवरात्रि के छटे दिन का शुभ रंग
नवरात्रि के छठे दिन को षष्ठी कहते हैं। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन के लिए लाल रंग बहुत शुभ माना जाता है। सातवां दिन- सातवां या सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।
Maa Katyayani Mantra : कात्यायनी पूजा साहस, ज्ञान और ताकत प्राप्त करने के लिए की जाती है। देवी के सामने हाथों में पानी लेकर भक्तों द्वारा एक संकल्प किया जाता है। नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले कलश की पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां कत्यायनी की पूजा की जाती है। पूजा विधि शुरू करने से पहले मां का ध्यान करते हुए एक फूल हाथ में लें। इसके बाद मां को अर्पित कर दें। फिर मां को कुमकुम, अक्षत, फूल आदि चढ़ाने के बाद सोलह श्रृंगार का समान चढ़ा दें।
इसके बाद मां को उनका प्रिय भोग यानी शहद का भोग लगाएं। आप चाहे तो मिठाई आदि का भोग लगा सकते हैं। फिर जल अर्पित करें और दीपक-धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में आरती करके मां से भूल चूक की माफी मांग लें।
– यदि आप कोई जटिल कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं और उसमें सफलता चाहिए तो आपको मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
– मां कात्यायनी की पूजा करने से यश की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को संसार में उसके कर्मों के कारण ख्याति मिलती है।
– शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा करते हैं। यह स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं।
– कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है।
– मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है।
– वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है।
– अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है।
1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू।।
2.चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहनाद्य।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनिद्यद्य।।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जग माता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।