धीरज शर्मा, डोंगरगढ़:
Maa Bamleshwari: माँ बम्लेश्वरी देवी के मंदिर से ख्याति प्राप्त डोंगरगढ़ एक ऐतिहासिक नगर है। यहां की माटी में धर्म का आदर्श है तो इतिहास का शौर्य भी इसमें कुछ कम नहीं है। चारों तरफ की प्राकृतिक छटा यहां की विशेषताएं हैं। यहां स्थापित माता बमलेश्वरी देवी के दर्शन मात्र से ही मनोरथ सिद्धि का माध्यम बन जाता है। 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित माता बम्लेश्वरी आज डोंगरगढ़ ही नहीं समूचे छत्तीसगढ़ की धार्मिक पहचान बन गई है। चारों ओर से जलाशयों से घिरी इस पहाड़ी का प्राकृतिक सौंदर्य नयनाभिराम है।
हजारों की संख्या में होती ज्योति प्रज्वलित
यहां वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि और क्वार नवरात्रि में माता बम्लेश्वरी देवी का मेला लगता है। जिसमें पूरे भारतवर्ष से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। क्वांर नवरात्रि पर्व के आयोजन का सभी देश व प्रदेश के मंदिरों में नवरात्र पर्व की धूम मची हुई है। इसी क्रम में डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी पहाड़ों वाली माता के मंदिर में हजारों की तदाद में मनोकामना ज्योत प्रज्वलित होता है साथ ही देश व प्रदेश के कोने- कोने से दर्शन करने लोग पहुंचते है तथा मंदिर परिसर में मेले का भी आयोजन होता है। इस पूरे आयोजन में जिला प्रशासन एवं बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति का योगदान रहता है। भक्ति की शक्ति इतनी है कि बम्लेश्वरी पहाड़ी की 1200 फीट की ऊंचाई कब और कैसे तय हो जाती है की पता नही चलता है।
ऐतिहासिक नगर डोंगरगढ़ में माता बम्लेश्वरी के 2 मंदिर हैं बड़ी मां के नाम से विख्यात मंदिर बम्लेश्वरी पहाड़ के 1000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, छोटी मां के नाम से जाना जाने वाली मंदिर पहाड़ी के पश्चिम नीचे समतल जमीन पर स्थित है। मान्यता है कि यहां आकर माता के दर्शन मात्र से श्रद्धालुजन मनोवांछित फल पा जाते हैं, अपने दरबार में सभी की प्राथनाएं माता जी सहज ही सुन लेती है।
Maa Bamleshwari: देवी जी की प्रतिमा के सामने खड़े होने मात्र से ही दिव्य शक्ति मिल जाने का एहसास होने लगता है। भक्त भय मुक्त हो जाता है। माता की ऐसी कुछ दिव्य शक्तियों का प्रताप है कि बम्लेश्वरी देवी की ख्याति प्रदेश और देश से आगे निकलकर अब विदेशों तक फैलने लगी है।