Today is the 4th day of Ramadan : नई दिल्ली। मुस्लिम समुदाय रमजान के महीने को परम पवित्र मानता है। इस पवित्र महीने की शुरुआत चांद देखने के बाद से होती है। रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। रमजान के प्रारंभ होते ही मुस्लिम लोग रोजा रखना शुरू कर देते हैं। अरबी शब्दकोश में उपवास को सौम कहा जाता है, इसलिए इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं। फारसी में उपवास को रोजा कहते हैं। 24 मार्च से यह पाक महीना शुरू हो गया है।
Today is the 4th day of Ramadan : आज यानि की सोमवार को रमजान का चौथा दिन है। माह रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है। पहले अशरे के दस दिन रहमत के, दूसरे अशरे के दस दिन मगफिरत और आखिर तीसरे अशरे के दस दिन जेहन्नुम से आजादी के हैं। यह महीना लोगों के साथ हमदर्दी व सब्र का है।
रमजान में पहले अशरे में अल्लाह अपनी रहमतों की बारिश करते हैं। दूसरा अशरा बरकत और तीसरा मगफिरत का है। हर मुसलमान पर रोजे फर्ज किए गए हैं। इसी माह में जकात और खैरात बांटने से शबाब मिलता है। रमजान में अल्लाह ने रोजे फर्ज किए हैं। जिस शख्स ने इस माह में छोटा सा भी नेकी का काम किया, उसने अन्य महीनों के फर्ज के बराबर नेकी प्राप्त कर ली। रमजान माह के तीसरे अशरे में शब-ए-कद्र की रात आती है, यह रात हजारों रातों से बेहतर होती है। जो शख्स इस महीने में रोजे रखता है और अल्लाह की इबादत करता है उसके तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। मुकद्दस रमजान माह में कुरआन नाजिल हुआ। कुरआन ए करीम दुनिया में हिदायत और इल्म लेकर आया। रमजान का महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। बरकत के इस महीने में अल्लाह मोमिन का रिज्क बढ़ा देता है।