नई दिल्ली। Rabindranath Tagore Birth Anniversary देशभर में आज यानि 7 मई को रबींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाई जा रही हैं। बता दें कि इनका जन्म कोलकाता में 7 मई 1861 को हुआ था। देश के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता रबींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर आप कोट्स या मैसेज के जरिए अपनी शुभकामनाएं भेज सकते हैं। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप रबींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर कौन-से कोट्स अपनों को भेज सकते हैं।
Rabindranath Tagore Birth Anniversary सन 1913 में रविंद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। वह भारत के साथ ही एशिया महाद्वीप में नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति हैं। रविंद्रनाथ टैगोर ने करीब 2,230 गीतों की रचना की, आज हम रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती पर उनके वो अनमोल विचार लेकर आए है जिन्हें शेयर कर आप आज उन्हें याद कर सकते हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले मोहनचंद करमचंद गांधी के लिए ‘महात्मा’ शब्द का प्रयोग किया था। वह एक नेता और व्यक्ति के रूप में गांधीजी के प्रशंसक थे। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कभी भी गांधी जी की आलोचना नहीं की, लेकिन उनके विचार गांधीजी से पूरी तरह अलग थे। 1934 में जब बिहार भूकंप में हजारों लोगों की मृत्यु हुई थी, उस समय गांधीजी ने उस वाकये को लोगों का कर्मफल कहा था। इस पर रवींद्रनाथ टैगोर ने नाराजगी जताते हुए गांधी जी को इस टिप्पणी के लिए फटकार लगाई थी।
1883 में रविंद्र नाथ टैगोर की शादी मृणालिनी देवी से हुई थी। उस समय वह मात्र 10 वर्ष की थी, आगे चलकर इस दंपति के 5 बच्चे हुए। 1901 में रविंद्र नाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन में प्रारंभिक स्कूल की स्थापना की, जो आगे चलकर विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। वे गुरु-शिष्य परंपरा और शिक्षा की गुरुकुल पद्धति के समर्थक थे। वह भारत में गुरुकुल या आश्रम पद्धति की शिक्षा का विकास करना चाहते थे।
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शांतिनिकेतन में पेड़ के नीचे कक्षाएं चलतीं थीं। गुरुदेव सुबह कक्षाओं में पढ़ाते थे और दोपहर और शाम को पाठ्य पुस्तकें लिखते थे। वहां बगीचे और पुस्तकालय भी थे। शांतिनिकेतन में हर प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था है। उन्होंने नोबेल पुरस्कार से मिले पैसों से इस व्यवस्था को आगे बढ़ाया था। वर्तमान में भी शांतिनिकेतन शिक्षा का ऐसा केंद्र है, जहां साहित्य, नाट्य, पेंटिंग, समेत हर प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था है।
रवींद्रनाथ टैगोर ने लगभग 2230 गीतों की रचना की। और अधिकतर को संगीत भी दिया। इन गीतों को रविंद्र संगीत के नाम से जाना जाता है। 1905 में उन्होंने बंगाल विभाजन के विरोध स्वरूप ‘अमार सोनार बांग्ला’ गीत की रचना की, जो वर्तमान में बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। उन्होंने भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ की रचना 1911 में की। इसे राष्ट्रगान के रूप में 1950 में अपनाया गया। उनके द्वारा रचित ‘गीतांजलि’ बांग्ला महाकाव्य के रूप में अमर है।
19वीं शताब्दी की शुरुआत में बंगाल में राष्ट्रवादी आंदोलन अपने पूरे उफान पर था, और राष्ट्र के लिए यह एकता ब्रिटिश शासन के लिए खतरे की घंटी थी। इससे बचने के लिए अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज करो की’ नीति अपनाते हुए धर्म के आधार पर बंगाल के विभाजन का फैसला 1905 को पारित कर दिया। इसके खिलाफ रवींद्रनाथ टैगोर के आह्वान पर कोलकाता, ढाका और सिलहट में बड़ी संख्या में हिंदू और मुसलमान राखी बांधने और बंधवाने के लिए आगे आए। 6 साल के कड़े विरोध के बाद अंग्रेजों ने 1911 में बंगाल विभाजन का आदेश वापस ले लिया था।
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रवींद्र नाथ टैगोर 1937 में लंबी बीमारी के बाद कोमा में चले गए थे। कुछ समय के लिए होश में आने के बाद वे 1940 में फिर से कोमा में चले गए। उसके बाद फिर कभी उन्हें होश नहीं आया। आखिरकार 80 वर्ष की आयु में टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को जोरासंको हवेली में हो गया। इसी हवेली में उनका जन्म और पालन-पोषण भी हुआ था।