Ambedkar Jayanti 2023

Ambedkar Jayanti 2023 : वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं, Ambedkar Jayanti पर जानिए बाबा साहेब अम्बेडकर के प्रेरणादायक विचार…

Ambedkar Jayanti 2023 : वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं, Ambedkar Jayanti पर जानिए बाबा साहेब अम्बेडकर के प्रेरणादायक विचार

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Modified Date: April 14, 2023 / 06:58 AM IST
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Published Date: April 14, 2023 6:42 am IST

नई दिल्ली । आज भारत के महान नेता और स्वतंत्रता सेना डॉ. भीम राव अंबेडकर की जयंती है। उन्हें भारत का संविधान निर्माता भी कहा जाता है। डॉ. भीम राव अंबेडकर दबे कुचले लोगों के लिए उम्रभर लड़े। उनके द्वारा संविधान के बल आज हम अपने अधिकारों पर अधिकार जमाते है। भारत के हर शख्स के जीवन रोशनी से भरने वाले डॉ. भीम राव अंबेडकर का जीव छुआछूत जैसे अंधकार से भरा हुआ था लेकिन उन्हें शिक्षा रुपी रोशनी इस अंधकार को जड़ मिटाने का हर संभव प्रयास किया। डॉ. भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। डा. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का भीमाबाई था। अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान के रूप में जन्में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जन्मजात प्रतिभा संपन्न थे। भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे।

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31 जनवरी 1920 को एक साप्ताहिक अख़बार “मूकनायक” शुरू किया। 1924 में बाबासाहेब ने दलितों को समाज में अन्य वर्गों के बराबर स्थान दिलाने के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। 1932 को गांधीzजी और डॉ. अम्बेडकर के बीच एक संधि हुई जो ‘पूना संधि’ के नाम से जानी जाती है। अगस्त 1936 में “स्वतंत्र लेबर पार्टी ‘की स्थापना की। 1937 में डॉ. अम्बेडकर ने कोंकण क्षेत्र में पट्टेदारी को ख़त्म करने के लिए विधेयक पास करवाया| भारत के आज़ाद होने पर डॉ. अम्बेडकर को संविधान की रचना का काम सौंपा गया।

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फरवरी 1948 को अम्बेडकर ने संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया और जिसे २६ जनबरी 1949 को लागू किया गया। 1951 में डॉ. अम्बेडकर ने कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया| हिन्दी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं में डॉ बी आर अम्बेडकर के कामों के व्याख्यान को उपलब्ध करा रहें हैं। डॉ अंबेडकर के जीवन के मिशन के साथ ही विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, व्याख्यान, सेमिनार, संगोष्ठी और मेलों का आयोजन। समाज के कमजोर वर्ग के लिए डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार और सामाजिक परिवर्तन के लिए डॉ अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार देना।

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