पहली बार आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से 21 तोपों की सलामी स्वदेशी फील्ड गन से की गई। देश में बनी 105 मिमी के इंडियन फील्ड गन गरजीं। इससे पहले ब्रिटिश जमाने की 25-पाउंडर आर्टिलरी से होती थी। भारत के लगातार स्वदेशीकरण की ओर बढ़ता रहा है जिस वजह से हथियारों और यंत्रो को स्वदेशी से बदला जा रहा है। अनुमान लगाया जा सकता है कि वो समय दूर नहीं है कि जब हमारे सारे उपकरण और यंत्र स्वदेशी हो जाऐंगे।
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इस इंडियन फील्ड गन के तीन मॉडल है। जिसमें पहला मके-1, एमके-2 और ट्रक माउंटेड. सबसे कम वजनी तोप 2380 किलो की है। जबकि सबसे भारी वाली 3450 किलोग्राम की है इसकी लंबाई 19.6 फीट होती है। इसकी नली 7.7 फीट है. चौड़ाई 7.3 फीट और ऊंचाई 5.8 फीट है। इसकी खासियत यह है कि यह तोप हर मिनट में छह गोले दाग सकता है और ये इस तोप को किसी भी जगह पहुंचाना आसान है, क्योंकि इसके दो-तीन हिस्से हैं जो अलग-अलग हो जाते हैं। युद्धक्षेत्र में इनका इस्तेमाल अब भी हो सकता है।