Publish Date - December 7, 2024 / 02:18 PM IST,
Updated On - December 7, 2024 / 02:51 PM IST
भोपाल: #IBC24MINDSUMMIT, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार यानी आज देश की दिग्गज हस्तियां मध्यप्रदेश के सरोकार से जुड़े विषयों पर अपनी राय जाहिर करने के लिए एक मंच पर आ रही हैं। ये मंच मुहैया करा रहा है मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद चैनल IBC24। ‘माइंड समिट-पाथ टू प्रोगेस’ नाम के इस आयोजन में राजनीति, धर्म, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल जगत से जुड़ी हस्तियां समस्याओं के कारणों को उजागर करने के साथ ही उसके समाधान के लिए सुझाव भी देंगी।
IBC24 ‘माइंड समिट-पाथ टू प्रोगेस’ के अगले सेशन में मोहन सरकार के दिग्गज मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने शिरकत की। जहां पर तीखे सवालों की बौछार की गई। बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल के चुनावी प्रभारी भी रहे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, उमा भारती की सरकार में भी मंत्री, बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से एक, राजनीति की परख रखने वाले नेता के रूप में कैलाश विजयवर्गीय को जाना जाता है। तो वहीं इस समय डॉ. मोहन यादव की सरकार में भी कैलाश विजयवर्गीय मंत्री पद हैं।
जब एंकर पुनीत पाठक द्वारा कैलाश विजयवर्गीय से पूछा गया कि विपक्ष का आरोप है कि सरकार का जितना पूरे साल का बजट है उससे ऊपर तक कर्ज चला जा रहा है? इस पर जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि बैंक कर्ज उसका देती है जिसके पास असेट्स हो और यदि असेट्स आपके पास बढ़ गए तो आपको बैंक कर्ज देगी। आज देखिए कि विदेशी निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है विदेशी मुद्राएं आ रही हैं।
‘बंटोगे तो कटोगे’…एक हैं तो सेफ हैं…
‘बंटोगे तो कटोगे’…एक हैं तो सेफ हैं… इस पर राजनीति कौन कर रहा है, इसके रास्ते ही भाजपा तय करना चाहती है राजनीतिक सफर? इस सवाल पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा कभी कुर्सी के लिए राजनीति नहीं करती है। इजरायल और हमास की जंग हुई हमारे देश को कोई लेना देना नहीं लेकिन इस देश के 40 शहरों में हमास के समर्थन में प्रदर्शन हुआ। इसलिए हम कहते हैं कि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे। एवं राजनीति में एक्शन के लिए रिएक्शन होता है।
हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढना भाजपा का ऐजेंडा है?
हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढना भाजपा का ऐजेंडा है? इस पर जवाब देते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जब जब समाज के अंदर जाग्रति आती है। समाज करवट लेता है। इतिहास में जो अच्छे और बुरे काम हुए है कम से कम उन्हें जानने का हक तो है। चलो ठीक है मंदिर था उसके उपर मस्जिद बन गई। लेकिन क्या हमकों इतना भी जानने का हक नहीं है कि क्या सच में मंदिर था? वहीं आगे कहा कि ये सब एजेंडा नहीं है लोगों ने इतिहास का समझा है और पढ़ा है। और उन लोगों को इतिहास जानने का हक है। जो इतिहास में गलतियां हुई है उनका सुधारना है। इसमें कोई विवाद नहीं करना है। हमकों जानने का हक है कि भोजशाला जो है वह कभी सरस्वती मंदिर था ये जानने का हक है और ये हक हमसे कोई नहीं छीन सकता।