Holika Dahan ki katha: हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन किया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस दिन विधिविधान से की गई पूजा और कुछ ज्योतिष उपायों से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है। साथ ही, उन्हें जीवनभर उनकी कृपा पाई जा सकती है। कहते हैं कि इस दिन होलिका दहन की अग्नि में सभी बुराइयां, दुश्मनी और बुरे विचार को जलाने की प्रथा है।
Holika Dahan ki katha: ज्योतष शास्त्र में होलिका दहन बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएं पूरे विधिविधान के साथ होली की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली की पूजा के बाद कहते हैं कि घर आकर होलिका दहन की कथा और आरती करने से ही होलिका दहन का पूजन पूरा माना जाता है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में वास करती हैं।
होलिका दहन पर करें ये कथा
Holika Dahan ki katha: हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। लेकिन उसके पिता हिरण्यकश्यप को ये सब पसंद नहीं था। वे चाहता था कि उका पुत्र भगवान विष्णु की नहीं बल्कि उसकी भक्ति करें। इन चीजों से परेशान होकर राजा ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने पुत्र को तरह-तरह की यातनाएं देनी शुरू कर दीं। जब उन यातनाओं से भी प्रहलाद को कुछ न हुआ तो अपनी बहन होलिका की मदद से उन्होंने प्रहलाद को जलाने की योजना बनाई।
Holika Dahan ki katha: राजा की बहन होलिका को वरदान था कि वे आग में नहीं जलेगी। इसी कारण वे प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर आग में बैठ गई। लेकिन उस समय भी प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति करता रहा और वह बच गया और होलिका जल गई। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपनी नाभि से नरसिंह के अवतार का जन्म लिया और राक्षस हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। तभी से ही हर साल होलिका दहन किया जाता है।
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