रायपुर। राजधानी रायपुर में दोस्तो ने अपने एक दोस्त को अनोखी बिदाई देकर मिसाल पेश की है…दोस्त के निधन के बाद उसके दोस्तो ने उसके पार्थिव शरीर को अपने बचपन की जगह ले जाकर नम आंखो से उसके पार्थिव शरीर के साथ होली खेलकर हमेशा के लिए बिदा किये.
तेरे जैसा यार कहां, याद करेगी दुनिया तेरा मेरा याराना…इस गाने को तो आपने जरूर सुना होगा…ये सभी लोग सदरपाटा ग्रुप के वो दोस्त है जिन्होने अपने बीच के उस दोस्त को खोया है जो पिछले 50 सालों से मोती के माला के धागे के समान था राजधानी रायपुर से सदर बाजार इलाके में पिछले 50 सालो से एक परिवार के रूप में रहते थे…रविवार को इन दोस्तो ने अपने राकेश बैद उर्फ घोटू भैया को हमेशा के लिए खो दिया लेकिन सभी दोस्तो ने अपने इस दोस्तो की मौत का महोत्सव मनाते हुए एक रंगीन बिदाई दी है जो शहर में हमेशा दोस्ती की मिसाल के रूप में देखी जायेगी…
दरअसल राकेश बैद का रविवार को लंबी बिमारी के बाद इलाज के दौरान देहांत हो गया जिसकी खबर सभी दोस्तो को एक साथ मिली और सभी उनके एमआर कॉलोनी टेगौर नगर स्थित घर पर पहुंचे और उसके परिवार की सहमति से अपने दोस्त का पार्थिव शरीर को ले जाकर बचपन से होली खेलते आ रहे सदर बाजार में ले जाकर होली खेली उसके बाद शमशान में अंतिम संस्कार के लिए ले गये…
दोस्तो के मुताबिक राकेश बैद को होली के त्यौहार का पुरे साल इंतेजार रहता था और महाशिवरात्रि के बाद से सभी दोस्तो के साथ होली की तैयारी पर होली के दिन तक चर्चा करते थे…इतना ही नही राकेश बैद अपने सभी दोस्तो को बाकायदा होली मनाने के लिए एक संदेशवाहक से सपरिवार होली का त्यौहार एक साथ सदर बाजार में आने के लिए मिठाई के डिब्बे के साथ निमत्रंण पत्रिका भेजते थे….स्वर्गीय राकेश बैद ही वो शख्स थे जिन्होने ही रायपुर में सदर बाजार में होली के दिन रेनडांस की शुरूआत की थी.
शहर का ये सदरपाटा ग्रुप यो भी शहर में फेमस हुआ क्योंकि इस ग्रुप की पूरे छत्तीसगढ़ के बाकी जिलो में एक मिसाल के रूप में देखा जाता है…दोस्तो के मुताबिक 25 साल से व्हीलचेयर पर होने के बाद भी स्वर्गीय राकेश बैद अपनी बीमारी को भूलकर दोस्तो को जीना सिखाने के गुर बताते रहते थे…इतना ही नहीं इस ग्रुप के लोगो के परिवार भी आपस में एक परिवार की तरह जोड़कर स्वर्गीय राकेश बैद घोटू भैया ने रखा हुआ था….
भागदौड़ की इस जिंदगी में दोस्तो ने भी अपने दोस्त के लिए भी कभी कोई कमी नही कर व्हीलचेयर पर होने के बाद भी सभी दोस्त रविवार को उसके घर पहुंचकर उसको गोदी में उठाकर अपनी कार में बैठाकर आउटिंग के लिए लेकर जाते थे….रविवार सुबह भी हमेशा की तरह उनके दोस्त उनको घुमाने जाने और होली की तैयारी पर लंबी चर्चा करने के लिए उनके घर पहुंचे तो अपने दोस्त के देहांत की खबर सुनकर पुरी दुनिया उजड़ गई….
दरअसल स्वर्गीय राकेश बैद को होली का त्यौहार सबसे ज्यादा पसंद था इसके मद्देनजर सभी दोस्तो ने उसके पार्थिव शरीर के साथ आखिरी बार होली खेलने का फैसला लिया और आनन फानन में शमशान ले जाते समय अपने पुराने सदर बाजार में ले जाकर उसके साथ जमकर होली खेली…
फिलहाल दोस्तो ने अपने दोस्त को दी अनोखी बिदाई की चर्चा पुरे शहर में हो रही है…और अब इस दोस्ती के इस ग्रुप की कमान अपने बीच के ही दीपचंद कोटढया के हाथ में दी है…और सभी दोस्त ने इस साल होली नहीं मनाने का फेैसला लिया हैं और साथ ही सभी दोस्तों ने अपने दोस्त को हमेशा के लिए अलविदा तो कह दिया लेकिन राकेश बैद इन दोस्तो के दिल में हमेशा जिंदा रहेगा…
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