Prime Minister Gulzarilal Nanda: नई दिल्ली। गुलज़ारीलाल नंदा को अक्सर भारत के सबसे कम समय तक रहने वाले अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने दो बार 13 दिनों का कार्यकाल पूरा किया था, लेकिन स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस नेता भी देश के अग्रणी विधायकों और सांसदों में से एक थे। हालाँकि वह कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे, फिर भी उन्होंने आपातकाल का विरोध किया और बाद में पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
1964 में नेहरू के निधन के बाद, फिर 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद नंदा अंतरिम प्रधान मंत्री थे। दोनों अवसरों पर, कांग्रेस ने प्रतिस्थापन लाने के लिए दो सप्ताह से अधिक इंतजार नहीं किया और बहुत से लोग नहीं जानते कि उन्होंने भारत की पहली पंचवर्षीय योजना लिखी थी।
नंदा का जन्म 1898 में 4 जुलाई को पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान में) के सियालकोट में हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में उनकी शिक्षा ने समाजवाद में उनके विश्वास और उनके राजनीतिक करियर को भी प्रभावित किया। अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में, जिसमें वह एमके गांधी के नेतृत्व में शामिल हुए थे, उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा। श्रम शक्ति को एकजुट करने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। वहीं गुलजारी लाल नंदा के बारे में कहा जाता है कि वो जमीन से जुड़े शख्स थे। उनके बारे में कहा जाता है कि एक बार तो उन्होंने कीचड़ से भरे तालाब में स्नान किया था।
दरअसल, गुलजारी लाल नंदा 1967 में कैथल लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। तब हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र भी कैथल सीट में ही आता था। इस दौरान वे सोमवती अमावस्या के मौके पर कुरुक्षेत्र पहुंचे थे। यहां जब वो ब्रह्मसरोवर में नहाने पहुंचे तो उस तालाब में पानी कम और कीचड़ ज्यादा था। ऐसे में उन्होंने उस कीचड़ में ही स्नान किया। इसके बाद उन्होंने ब्रह्मसरोवर को ठीक करने के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड बनाया, जिसके तहत ब्रह्मसरोवर का विकास किया गया।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के तहत विकसित हुआ ब्रह्मसरोवर अब 150 एकड़ में फैला हुआ है। इसकी परिक्रमा डेढ़ किलोमीटर लंबी है। वहीं, अब कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के तहत 164 तीर्थस्थल आते हैं। बता दें कि गुलजारीलाल नंदा ने 1922 से 1972 तक लेबर मूवमेंट (श्रम आंदोलन) चलाया। इसके तहत उन्होंने अहमदाबाद की कपड़ा मिलों में मजदूर यूनियन की स्थापना की।
Prime Minister Gulzarilal Nanda: जून, 1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था। इसके कुछ दिनों बाद ही यानी 4 जुलाई को गुलजारीलाल नंदा का बर्थडे था। कुरुक्षेत्र के कुछ साथी उन्हें बधाई देने दिल्ली आए हुए थे। नंदाजी सभी से बात कर रहे थे कि तभी पीएम हाउस से एक संदेश आया कि इंदिरा गांधी बधाई देने आना चाहती हैं। इस पर नंदाजी ने साफ कह दिया था कि मैंने शुभकामनाएं ले ली हैं, उन्हें आने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, बाद में इंदिरा गांधी नंदा जी को मनाने के लिए उनके घर पहुंचीं। तब गुलजारीलाल नंदा ने इंदिरा से साफ कहा था- आपके पिता ने इस देश में लोकतंत्र को सींचकर बड़ा किया और आपने इमरजेंसी लगा दी।
गुलजारीलाल नंदा ने 1921 के असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। 1932 में उन्हें सत्याग्रह की वजह से जेल भी जाना पड़ा था। मार्च, 1950 में वे योजना आयोग में उपाध्यक्ष के रूप में शामिल हुए। इसके बाद इसी साल सितंबर में वे केंद्र सरकार में योजना मंत्री बने। 1991 में उन्हें पद्मविभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 15 जनवरी 1998 को 100 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।