Bhagat Singh Koshyari Birthday : छात्र जीवन से की राजनीति की शुरुआत, कई विवादों के बाद बनाए गए राज्यपाल, ऐसा रहा भगत सिंह कोश्यारी का जीवन

Happy Birthday Bhagat Singh Koshyari : भगत सिंह कोश्यारी आज के समय में किसी पहचान के मोहताज नहीं है। भगत सिंह कोश्यारी आज अपना 81वां

Bhagat Singh Koshyari Birthday : छात्र जीवन से की राजनीति की शुरुआत, कई विवादों के बाद बनाए गए राज्यपाल, ऐसा रहा भगत सिंह कोश्यारी का जीवन
Modified Date: June 17, 2023 / 12:37 pm IST
Published Date: June 17, 2023 12:37 pm IST

नई दिल्ली : Happy Birthday Bhagat Singh Koshyari : भगत सिंह कोश्यारी आज के समय में किसी पहचान के मोहताज नहीं है। भगत सिंह कोश्यारी आज अपना 81वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। साल 2019 से 2023 तक उन्होंने महाराष्ट्र के 23वें राज्यपाल के तौर पर कार्य किया है। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया। कोश्यारी ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखंड के पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद भी संभाला है।

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भगत सिंह कोश्यारी के जीवन से जुड़ी रोचक बातें….

जन्म और शिक्षा

भगत सिंह कोश्यारी का जन्म उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित नामती चेताबागड़ गांव में 17 जून 1942 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा अल्मोड़ा से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी साहित्य में पढ़ाई की। कोश्यारी अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहने के अलावा उत्तराखंड भाजपा के पहले अध्यक्ष भी रहे।

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छात्र जीवन से की राजनीतिक सफर की शुरूआत

Happy Birthday Bhagat Singh Koshyari :  छात्र जीवन से ही भगत सिंह कोश्यारी ने राजनीति में कदम रख दिया था। वह इस दौरान आरएसएस से भी जुड़ गए थे। साल 1961 में वह अल्मोड़ा कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव चुने गए। वहीं जब देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने साल 1975 में आपातकाल लगाया तो भगत सिंह कोश्यारी ने भी इसका विरोध किया। जिसके चलते उन्हें करीब पौने दो साल जेल में रहना पड़ा। 23 मार्च 1977 को जब वह जेल से रिहा हुए तो कोश्यारी को राजनीतिक पहचान मिली।

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सीएम बनकर संभाली राज्य की जिम्मेदारी

साल 1997 में भगत सिंह कोश्यारी का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। जब वह पहली बार विधायक चुने गए तो उस दौरान उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। वहीं साल 2008 में उत्तराखंड बनने के बाद कोश्यारी राज्य के ऊर्जामंत्री बनें। इसके बाद उन्हें साल 2001 में मेहनत का फल मिला। वह साल 2001 में उत्तराखंड के सीएम के तौर पर जिम्मेदारियां संभालने लगे। लेकिन एक साल बाद हुए चुनावों में हार के चलते भाजपा की सत्ता चली गई। इस दौरान कोश्यारी सिर्फ एक साल तक सीएम पद पर रहे।

फिर रखी सीएम बनने की चाह

Happy Birthday Bhagat Singh Koshyari :  एक बार फिर साल 2007 में जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनीं तो कोश्यारी सीएम बनने का सपना पाल बैठे। लेकिन बीजेपी हाइकमान ने कोश्यारी की जगह भुवन चंद खंडूरी को उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री बनाया। वहीं कोश्यारी को साल 2008 में उत्तराखंड से राज्यसभा भेज दिया गया। हालांकि इस दौरान वह राज्य के बीजेपी अध्यक्ष भी रहे। भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड की राजनीति में लगातार हाशिए पर आते रहे। क्योंकि वह आरएसएस के पुराने नेता थे। इसलिए साल 2019 में उनको राज्यपाल बनाया गया। हालांकि इस पद पर कई विवाद भी उनके साथ जुड़े रहे।

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अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे कोश्यारी

राज्यपाल के पद पर रहते हुए कोश्यारी अपने बयानों को लेकर काफी सुर्खियों में रहे। साल 2022 के एक कार्यक्रम में उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे कि मराठी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची। वहीं उनके बयान पर विपक्ष ने भी उन्हें काफी घेरा। बता दें कि उन्होंने कहा था कि अगर राजस्थानी और गुजरात समुदाय के लोगों को मुंबई से निकाल दिया जाए। तो महाराष्ट्र आर्थिक राजधानी नहीं रह जाएगा। इस बयान के बाद भाजपा ने भी कोश्यारी से किनारा कर लिया था।

इसके अलावा कोश्यारी द्वारा छत्रपति शिवाजी पर दिया गया बयान भी काफी चर्चाओं में रहा। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को गुजरे जमाने का आदर्श बताया था। इसके बाद विपक्षी दल ने कोश्यारी से इस्तीफे की मांग कर दी थी। हालांकि इस विवाद के बाद कोश्यारी ने भा राजनीतिक सन्यास लेने की इच्छा जताई थी।

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‘शपथ कांड’ के बाद ही थी आलोचना

Happy Birthday Bhagat Singh Koshyari :  23 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के राजभवन से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। इन तस्वीरों में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार शपथ ले रहे हैं। जहां फडणवीस ने बतौर महाराष्ट्र के सीएम पद के लिए शपथ ली तो वहीं पवार ने उप मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली। यह सब कुछ राज्यपाल कोश्यारी की मौजूदगी में हुआ। जिसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में बवाल आ गया। लेकिन शरद पवार ने मामले को संभाला। जिसके चलते अजित पवार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। वहीं राज्य में एमवीए गठबंधन की सरकार बनीं। हालांकि इस दौरान कोश्यारी की काफी आचोलना की गई थी।

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