Baisakhi 2023 : धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा बैसाखी का त्योहार, महत्त्व और मान्यताएं जानें यहां

Baisakhi 2023 : बैसाखी का पर्व पूरे देश में बड़े ही धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। सिख समुदाय के लोग आज के दिन को नववर्ष के रूप

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  • Publish Date - April 14, 2023 / 07:32 AM IST,
    Updated On - April 14, 2023 / 07:32 AM IST

नई दिल्ली : Baisakhi 2023 : बैसाखी का पर्व पूरे देश में बड़े ही धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। सिख समुदाय के लोग आज के दिन को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है। इस बार संक्रांति 14 अप्रैल यानि आज है इसलिए बैसाखी भी आज ही मनाई जाएगी। जिस दिन सूर्य राशि परिवर्तन करते हैं, उसी दिन बैसाखी मनाई जाती है। वैसे तो ये पर्व हर जगह मनाया जाता है लेकिन पंजाब और हरियाणा में खास तौर पर इस त्यौहार की रौनक देखने को मिलती है। ढोल-नगाड़ों के साथ लोग आज के दिन का मजा लेते हैं। इस त्यौहार से जुड़ी बहुत सी मान्यताएं हैं।

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इसलिए मनाया जाता है बैसाखी का त्यौहार

Baisakhi 2023 :  13 अप्रैल 1699 को बैसाखी के ही दिन दिन सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस वजह से सिख लोगों के लिए आज का दिन बहुत खास माना जाता है। इसके अलावा बैसाखी के दिन महाराजा रणजीत सिंह ने सिख साम्राज्य का भार संभाला था। जिन्होंने एकीकृत राज्य की स्थापना की थी। तब से इसे बैसाखी के तौर पर मनाया जाता है। बैसाखी का मेला भारत में खास महत्व रखता है क्योंकि यह सभी का सांझा त्यौहार है। बैसाखी वाले दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ और बौद्ध धर्म का प्रचार संगतों में शुरू किया था।

त्योहार का नाम कैसे पड़ा बैसाखी

कहते हैं बैसाखी के दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं। हिंदू समुदाय के लोग इस दिन मां गंगा की स्तुति करते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से अश्मेध यज्ञ के समान फल मिलता है।

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जानिए बैसाखी का महत्व

Baisakhi 2023 :  मुख्य तौर पर बैसाखी त्यौहार फसल की पैदावार की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन अनाज की पूजा करते हैं और फसल काटकर अपने आराध्य का आभार प्रकट करते हैं। भांगड़ा, बोली, गिद्दा डाल इस पर्व की खुशी को मनाया जाता है। सिख समुदाय लोगों के आज का दिन बहुत ही महत्व रहता है।

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