Ahilyabai Holkar Jayanti 2023: नई दिल्ली। हर साल 31 मई को महारानी अहिल्याबाई होलकर की जयंती मनाई जाती है। इस बार इनकी 299वीं जयंती मनाई जा रही है। उनको हमेशा से एक बहादुर, आत्मनिष्ठ, निडर महिला के रूप में याद किया जाता है। ये अपने समय की सर्वश्रेष्ठ योद्धा रानियों में से एक थीं, जो अपनी प्रजा की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहती थीं।
इतना ही नहीं उनके शासन काल में मराठा मालवा साम्राज्य ने काफी ज्यादा नाम कमाया था। जनहित के लिए काम करने वाली महारानी ने कई हिंदू मंदिर का निर्माण भी करवाया था, जो आज भी पूजे जाते हैं। बेहद साधारण परिवार में जन्म लेने वाली अहिल्याबाई होल्कर ने कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया और हाथी पर सवार होकर वीरता के साथ लड़ीं। मालवा प्रांत की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने समाज की सेवा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।
अहिल्याबाई होल्कर की शादी मात्र 10 वर्ष की अल्पायु में ही मालवा में होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव के साथ हो गई थी। अहिल्याबाई दो बच्चों की मां बनी थी- उन्हें एक पुत्र और एक पुत्री थी। जब वह 29 वर्श की थी तभी उनके पति का निधन हो गया था। फिर उनके ससुर और बाद में पुत्र मालेराव, दोहित्र नत्थू, दामाद फणसे, पुत्री मुक्ता भी मां को अकेला ही छोड़ चल बसे।
अहिल्याबाई होलकर ने एक छोटे से गांव इंदौर को एक समृद्ध एवं विकसित शहर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने यहां पर सड़कों की दशा सुधारने, गरीबों और भूखों के लिए खाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ शिक्षा पर भी काफी जोर दिया। अहिल्याबाई की बदौलत ही आज इंदौर की पहचान भारत के समृद्ध एवं विकसित शहरों में होती है।
महारानी अहिल्याबाई ने समाज सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया था। अहिल्याबाई ने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी खासा काम किया और उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव भी किया था।
Ahilyabai Holkar Jayanti 2023: कोलकत्ता से लेकर बनारस तक सड़क का निर्माण भी अहिल्याबाई ने करवाया था। इसके अलावा बनारस में अन्नपूर्णा माता का मंदिर, गयाजी में भगवान विष्णु जी का मंदिर बनवाया था। काशी, मथुरा, गया जी, अयोध्या, हरिद्वार, द्वारिका, जगन्नाथ, बद्रीनारायण और रामेश्वरम जैसे विश्वविख्यात और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर कई मंदिरों का निर्माण रानी अहिल्याबाई द्वारा करवाया गया।
अहिल्याबाई एक दार्शनिक और कुशल राजनीतिज्ञ थीं। इसी वजह से उनकी नजरों से राजनीति से जुड़ी कोई भी बात छुप नहीं सकती थी। महारानी की इन्हीं खूबियों के चलते ब्रिटिश इतिहासकार जॉन कीस ने उन्हें ‘द फिलॉसोफर क्वीन’ की उपाधि से नवाजा था। जानकारी के मुताबिक महारानी अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गांव में हुआ था, जिसे वर्तमान में अहमदनगर के नाम से जाना जाता है।