Abdul Ghaffar Khan Birth Anniversary : महान स्वतंत्रता सेनानी और फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर भारत रत्न खान अब्दुल गफ्फार खान की आज जन्म जयंती है। वे पहले गैर-भारतीय थे, जिन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। फ्रंटियर गांधी और महात्मा गांधी एक दूसरे के बहुत करीब माने जाते थे। दोनों ने मिलकर गंगा-जुमनी तहजीब और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम किया था। तो चलिए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी बातें
अब्दुल गफ्फार खान का जन्म 6 फरवरी 1890 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के पेशावर के पास एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता बैराम खान ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाले शांत मिजाज के इंसान थे। उन्हें राजनैतिक जुझारूपन परदादा अब्दुल्ला खान से मिला जो सत्यवादी तो थे ही उन्होंने भारत की आजादी केलिए कई लड़ाइयां लड़ी थीं।
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Abdul Ghaffar Khan Birth Anniversary : 20 साल की उम्र में उन्होंने अपने गृहनगर उत्मान जई में एक स्कूल खोला जो थोड़े ही महीनों में चल निकला, पर अंग्रेजी हुकूमत ने उनके स्कूल को 1915 में प्रतिबंधित कर दिया। अगले 3 साल तक उन्होंने पश्तूनों को जागरूक करने के लिए सैकड़ों गांवों की यात्रा की। कहा जाता है कि इसके बाद लोग उन्हें ‘बादशाह खान’ नाम से पुकारने लगे थे। उन्होंने सामाजिक चेतना के लिए ‘खुदाई खिदमतगार’ नाम के एक संगठन की भी स्थापना की। इस संगठन की स्थापना महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्याग्रह जैसे सिद्धान्तों से प्रेरित होकर की गई थी।
Abdul Ghaffar Khan Birth Anniversary : नमक आंदोलन में शामिल होने के कारण अब्दुल गफ्फार खान को 23 अप्रैल 1923 में अंग्रेजों ने पेशावर में गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के उटमानज़ई शहर में आयोजित एक सभा में भाषण दिया था। अब्दुल गफ्फार खान को उनके अहिंसक तरीकों के लिए जाना जाता है, यही वजह रही कि खान की गिरफ्तारी को लेकर पेशावर सहित पड़ोसी शहरों में विरोध प्रदर्शन होने लगे। उन्हें छुड़ाने के लिए वहां पहुंचे हजारों लोगों के आंदोलन को देख अंग्रेज डर गए और उन्होंने लोगों को रोकने के लिए फायरिंग का आदेश दे दिया। आदेश मिलते ही अंग्रेज सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा दीं। इस हत्याकांड में करीब 250 लोगों की मौत हो गई। इसे किस्सा ख्वानी बाज़ार नरसंहार भी कहते हैं।
गफ्फार खान महिला अधिकारों और अहिंसा के पुरजोर समर्थक थे। उन्हें एक ऐसे समाज से भी घोर सम्मान और प्रतिष्ठा मिली जो अपने ‘लड़ाकू’ प्रवित्ति के लिए जाना जाता था। उन्होंने ताउम्र अहिंसा में अपना विश्वास कायम रखा। उनके इन सिद्धांतों के कारण भारत में उन्हें ‘फ्रंटियर गांधी’ या सीमांत गांधी के नाम से पुकारा जाता है। खान अब्दुल अब्दुल गफ्फार को वर्ष 1987 में भारत सरकार की ओर से भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। सन 1988 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें पेशावर में उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। 20 जनवरी, 1988 को उनकी मृत्यु हो गयी और उनकी अंतिम इच्छानुसार उन्हें जलालाबाद अफगानिस्तान में दफनाया गया।