Shardiya Navratri 2022: Maa Durga will be seated in homes from today

Shardiya Navratri 2022: आज से घरों में विराजेंगी मां दुर्गा, इस अशुभ घड़ी में ना करें कलश स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri 2022: आज से घरों में विराजेंगी मां दुर्गा, इस अशुभ घड़ी में ना करें स्थापना, Maa Durga will be seated in homes from today

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 04:08 PM IST, Published Date : September 26, 2022/6:36 am IST

Shardiya Navratri 2022: आज से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रहा है। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6.11 बजे से भी प्रारंभ हो जाएगा। अभिजीत मुहूर्त 11.30 बजे से शुरू होगा। प्रतिपदा तिथि पूरे दिन है। नवरात्रि में इसी तिथि में घट स्थापना की जाती है। सोसायटियों से लेकर मंदिरों में विशेष प्रकार की तैयारी की गई हैं। घरों में जहां श्रद्धालु दुर्गा मां की पूजा करेंगे, वहीं मंदिरों में सुबह से ही मां के दर्शन करने वालों की भीड़ जुटने लगेगी।

शारदीय नवरात्रि 2022 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
Shardiya Navratri 2022: पहला शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 51 मिनट तक
दूसरा शुभ मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त)- सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर 12 बजकर 37 मिनट तक
तीसरा शुभ मुहूर्त (शुभ चौघड़िया मुहूर्त)- सुबह 09 बजकर 15 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक
चर, लाभ, अमृत चौघड़िया मुहूर्त-दोपहर 1 बजकर 45 मिनट से शाम 6 बजे तक

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इस अशुभ समय में ना करें कलश स्थापना
Shardiya Navratri 2022: इस बार शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना सोमवार, 26 सितंबर को शुभ मुहूर्त के तहत की जाएगी। इस दिन एक अशुभ मुहूर्त ऐसा भी होगा जिसमें कलश स्थापना करने से बचना है। ज्योतिषियों की मानें तो नवरात्रि का कलश राहु काल में स्थापित नहीं करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा पर सुबह 9 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक राहु काल रहेगा। इस अशुभ मुहूर्त में भूलक भी कलश स्थापित ना करें।

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ऐसे करें पूजा
Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं,मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आपके घर में सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। नवरात्र के पहले दिन माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए।उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं,जौ समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। कलश स्थापना के साथ ही रोली,अक्षत,मोली,पुष्प आदि से देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए माता की पूजा करें और भोग चढ़ाएं। अखंड दीपक प्रज्वलित कर माँ की आरती करें।

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