PM Modi Praises The Sabarmati Report: 15 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुए विक्रांत मैसी की फिल्म ‘साबरमती रिपोर्ट’ इन दिनों खूब सुर्खियों में है। गोधरा दंगों पर आधारित इस फिल्म की तारीफ पीएम मोदी ने भी की है। पीएम मोदी ने एक ‘एक्स’ यूजर @alok_bhatt की एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “यह अच्छी बात है कि सच्चाई सामने आ रही है और वह भी इस तरह से कि आम लोग इसे देख सकें। एक झूठी कहानी सीमित समय तक ही चल सकती है. आखिरकार, तथ्य हमेशा सामने आ ही जाते हैं!” दरअसल, यूजर ने फिल्म का ट्रेलर शेयर करते हुए इसे देखने की सिफारिश की थी।
एक्स’ यूजर @alok_bhatt ने पोस्ट लिखा कि, यह फिल्म 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के यात्रियों को जलाए जाने की घटना और उसके बाद फैलाई गई झूठी कहानियों को उजागर करती है। यह घटना निर्दोष लोगों की मौत के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे निहित स्वार्थों ने एक नेता की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया। यूजर ने कहा कि यह 59 निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है, जिन्हें फरवरी की एक सुबह जलाया गया था। इस घटना को एक खास राजनीतिक एजेंडे के तहत तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। पीएम मोदी की यह प्रतिक्रिया फिल्म के प्रति उनके समर्थन को दिखाती है। पीएम ने न केवल फिल्म की सराहना की बल्कि यह भी कहा कि आखिरकार सच सामने आ ही जाता है।
Why I feel the film #SabarmatiReport is a must watch. Let me share my views:
1. The effort is particularly commendable because it brings out the important truth of one of the most shameful events in our recent history.
2. The makers of the film handled this issue with a lot of… pic.twitter.com/Pb5uHfpj48
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) November 17, 2024
विक्रांत मैसी, राशी खन्ना और रिद्धि डोगरा पत्रकारों के किरदारों में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। ट्रेलर से ही साफ हो गया था कि यह फिल्म एक गहरी छाप छोड़ेगी। 27 फरवरी 2002 की सुबह साबरमती एक्सप्रेस में क्या हुआ, इसकी सच्चाई को ‘द साबरमती रिपोर्ट’ के फिल्म में दिखाया गया है। ये फिल्म हमें एक ऐसी घटना के सफर पर ले जाता है, जिसने भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक चेहरे को बदल दिया। ये फिल्म दिल दहला देने वाली घटना की सच्चाई को उजागर करेगी और दर्शकों को जागरूक कर रही है। इतना ही नहीं फिल्म में हिंदी भाषी और अंग्रेजी पत्रकारों के बीच का वैचारिक अंतर सामने लाया गया है, जो पश्चिमी प्रभाव से प्रेरित होते हुए भी दुखद घटनाओं की राजनीति और कवरेज को प्रभावित करते हैं।