मुंबई । लता मंगेश्कर का नाम सुनते ही हम सभी के कानों में मीठी मधुर आवाज शहद सी घुलने लगती है। हिन्दुस्तान की आवाज बन चुकीं लता ने 36 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी हजारों गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। लता ही एकमात्र ऐसी जीवित शख्सियत हैं, जिनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं। लता मंगेश्कर ने 1942 से अब तक लगभग हिंदी फिल्मों और 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गीत गाये हैं। उन्होंने मराठी फिल्म `पहली मंगला गौर` से एक्टिंग की शुरुआत की थी।
गले की मिठास के लिए खाती हैं मिर्च
बहुत कम लोग जानते हैं कि लता जिस आवाज की दुनिया दीवानी हैं वो अपनी मधुर आवाज के लिए मिर्च खाया करती थीं। लता का नाम कभी `हेमा` हुआ करता था। उनके पिता ने उनके जन्म के समय उनका नाम हेमा रखा था। मगर बाद में अपने थिएटर के एक पात्र `लतिका` के नाम पर उन्होंने अपनी बेटी का नाम `लता` रख दिया।
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किशोर कुमार को समझी थी आवारा
एक वक्त ऐसा भी था, जब संगीत के दो बड़े सितारे लता मंगेशकर और किशोर कुमार एक दूसरे को पहचानते भी नहीं थे। स्टूडियो जाने के दौरान अक्सर किशोर दा और लता मंगेशकर का आमना-सामना हुआ करता था। मगर दोनों एक दूसरे को पहचानते नहीं थे। लता बताती हैं कि किशोर अक्सर सड़क पर घूमते हुए दिख जाते थे, वह कई बार मुझे घूरते भी थे। मुझे उनकी हड़कतें देख कर अच्छा नहीं लगता था। मैंने उन्हें आवारा लड़का समझ कर उनकी शिकायत `खेमचंद प्रकाश` से कर दी। उस समय लता `खेमचंद प्रकाश` की फिल्म के गानों की शूटिंग कर रही थी। उन्होंने खेमचंद से शिकायत करते हुए कहा `चाचा यह लड़का मेरा पीछा करता रहता है और मुझे देखकर हंसता भी है।` इस शिकायत के बाद उन्हें पता चला कि वह तो अशोक कुमार के छोटे भाई किशोर कुमार है।
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स्कूल नहीं गई, मगर उनके नाम है कई अंतरराष्ट्रीय मानक उपाधियां
लता का बचपन बहुत ही संघर्ष में बीता था। आर्थिक अभाव के कारण लता स्कूल भी नहीं जा सकी। एक किस्से को याद करते हुए लता बताती हैं कि एक बार जब वह अपनी छोटी बहन आशा भोसले को लेकर स्कूल गई तो उनके टीचर ने कहा कि आशा को भी फ़ीस देना पड़ेगा और उन्हें स्कूल से निकाल दिया। इसके बाद लता ने ये तय किया कि वो कभी भी स्कूल नहीं जाएंगी। लेकिन कहते हैं ना किस्मत को कौन रोक सकता है। जिस लता मंगेशकर ने स्कूल की शक्ल तक नहीं देखी थी आज उन्हीं लता मंगेशकर के नाम न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित छह विश्वविद्यालयों की मानक उपाधि है।
एक समय ऐसा आया जब लता और मोहम्मद रफी के बीच बातचीत बंद हो गई थी। लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के बीच गानों पर रॉयल्टी को लेकर विवाद हो गया था। जिसके बाद दोनों के बीच काफी दिनों तक बातचीत बंद रही। दरअसल, लता गानों की रॉयल्टी के समर्थन में थी, जबकि रफी गानों की रॉयल्टी में विश्वास नहीं रखते थे। इस विवाद के कारण दोनों सितारों ने आपस में बात करना ही बंद कर दिया। बाद में नरगिस की वजह से दोनों ने वापस से बात करना शुरू किया।
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के.एल.सहगल की मौत की खबर पर बेच दिया रेडियो-
लता मंगेशकर बचपन से ही रेडियो की बहुत शौकीन थी। लेकिन इत्तफाक से लता ने जिस दिन रेडियो खरीदा, उसमें पहली खबर `के.एल.सहगल` की मौत की प्रसारित की गई। इस खबर को सुनते ही लता मंगेशकर ने रेडियो वापस दुकानदार को लौटा दिया था।
कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं `लता मंगेशकर`
लता मंगेशकर को अब तक कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं। 1969 में पद्म भूषण, 1989 में दादा साहब फाल्के अवार्ड, 1999 में पद्म विभूषण और साल 2001 में `भारत रत्न` से नवाजा गया था। इसके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
पतली आवाज कहकर हुई थी रिजेक्ट- आज संगीत की दुनिया में राज करने वाली लता मंगेशकर को एक वक्त उन्हें गाने के लिए रिजेक्ट कर दिया गया था। फिल्म `शहीद` के निर्माता `सशधर मुखर्जी` ये कहते हुए लता मंगेशकर को रिजेक्ट कर दिया था कि उनकी आवाज पतली है। लेकिन आज देखिए उनकी आवाज ही उनकी पहचान बन गई।
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