संपूर्ण सिंह कालरा 84 में भी ‘गुलजार’, ‘जय हो’ के लिए मिल चुका है ऑस्कर

संपूर्ण सिंह कालरा 84 में भी 'गुलजार', 'जय हो' के लिए मिल चुका है ऑस्कर

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  • Publish Date - December 4, 2022 / 01:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:48 PM IST

नई दिल्ली। हिंदी फिल्मी जगत को अपनी गीतों से महकाने वाले गीतकार गुलजार का आज जन्मदिन है। वे अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। संपूर्ण सिंह कालरा को विश्वभर में गुलजार के नाम से जाना जाता है। गुलजार का नाम लेते ही दिलो- दिमाग पर एक अलग ही छवि गढ़ जाती है। एक शायर, लेखक, गीतकार, निर्माता, निर्देशक सहित कई पहचान उनके नाम के साथ जुड़ी हुईं हैं। गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1934 को पंजाब के झेलम में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में है। बंटवारे के समय उनका पूरा परिवार अमृतसर में आकर बस गया था। लेकिन गुलजार का मन अमृतसर में ना लगा और वो मुंबई चले आए।

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गुलजार ने अपने गीतों से बॉलीवुड में ‘इश्क का गुलशन’ महकाया है। तो वहीं उन्होंने अपने शब्दों से लोगों की आंखों को नम भी किया है। ‘आपकी आंखों में कुछ महके हुए से राज हैं…’, ‘तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं…’ से लेकर ‘छपाक से पहचान ले गया…’ तक उन्होंने अपने गीतों के बोल को असल जिंदगी के मायने दिए हैं। गुलजार के नाम से ही इश्क की चाशनी सी घुल जाती है फिजाओं में। ऐसे लेखक साहित्य जगत में कम ही हुआ करते हैं जो अपने शब्दों में शहद सी मिठास घोल देते हैं। गुलजार के लिखने का हर एक लहजा बेहद नर्म है जैसे मखमल। अदब और अदा दोनों का मिश्रण उनके लेख में मिलता है।

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गुलजार को बचपन से ही शेरों- शायरी और कविताओं का काफी शौक था। इसी शौक ने संपूर्ण सिंह कालरा को गुलजार बना दिया। अमृतसर से मुंबई पहुंचे गुलजार ने तंगहाली के दिनों में गैराज में भी काम किया। लेकिन जब भी उन्हें मौका मिलता वो अपना शौक पूरा करते। गैराज में काम के दौरान गुलजार जब भी फ्री रहते थे तो कविताएं लिखा करते थे। इसके बाद गुलजार ने अपने करियर की शुरुआत साल 1961 में विमल राय के सहायक के रूप में की। उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी और हेमंत कुमार के सहायक के तौर पर भी काम किया

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गीतकार के रूप में गुलजार ने 1963 में अपनी शुरुआत की विमल राय की फिल्म ‘बंदिनी’ से। इस फिल्म के लिए उन्होंने पहला गाना ‘मोरा गोरा अंग लेई ले’ लिखा था। ये गाना उस समय में सुपरहिट हुआ। गाने के बोल लोगों को बहुत पसंद आए। इसके बाद गुलजार ने जो भी लिखा वो अपने आप में इतिहास बनता चला गया। बतौर निर्देशक गुलजार ने 1971 में ‘मेरे अपने’ फिल्म से करियर की शुरुआत की थी। निर्देशन के क्षेत्र में भी गुलजार ने बेहतरीन काम किया और लोगों को अपना मुरीद बना लिया।

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गुलजार ने हिंदी को बहुत कुछ दिया है। अनगिनत भुलाए ना जाने वाले गीतों के साथ ही फिल्में भी। उन्होंने बता दिया है कि वो केवल लेखन तक ही सीमित नहीं बल्कि उनका कोई दायरा ही नहीं है। गुलजार ने बॉलीवुड को कई फिल्में दी हैं । गुलजार की लिस्ट में, ‘कोशिश’, ‘परिचय’,  ‘मेरे अपने’, ‘अचानक’, ‘खूशबू’, ‘आंधी’, ‘मौसम’, ‘किनारा’, ‘मीरा’, ‘किताब’, ‘नमकीन’, ‘अंगूर’, ‘इजाजत’, ‘लिबास’, ‘लेकिन’, ‘माचिस’ और ‘हू तू तू’ सहित कई और फिल्में शामिल हैं।

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वे शायद एकमात्र ऐसे गीतकार हैं जिन्हें फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर अवॉर्ड मिल चुका है। वे गीतकार, कवि, पटकथा लेखक नाटककार के साथ-साथ फ़िल्म निर्देशक भी हैं। गुलजार को हिंदी सिनेमा में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई अवार्ड्स मिल चुके हैं। 2004 में भारत सरकार उन्हें पद्म भूषण सम्मान दे चुकी है।