आतंक के खौफनाक चेहरे से सामना कराती ओमेर्टा, नौजवान बुजुर्ग से मिलवाएगी 102 नॉट आउट
आतंक के खौफनाक चेहरे से सामना कराती ओमेर्टा, नौजवान बुजुर्ग से मिलवाएगी 102 नॉट आउट
हॉलीवुड फिल्म अवेंजर्स इन्फिनिटी वॉर के क्रेज के बीच आज दो बॉलीवुड फिल्में रिलीज हुई हैं अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की फिल्म 102 नॉट आउट और राजकुमार राव की फिल्म ओमेर्टा आइये जानते है नीलम अहिरवार से फिल्म की समीक्षा –
सबसे पहले हम बात करते है फिल्म ओमेर्टा की
ओमेर्टा का अर्थ होता है खामोशी ये एक तरह का कोडवर्ड होता है जिसे जुर्म की दुनिया में इस्तेमाल किया जाता है..लेकिन ये फिल्म बिल्कुल भी खामोश नहीं है.राजकुमार राव ने इस फिल्म में एक आतंकवादी का रोल प्ले किया है.हंसल मेहता का डायरेक्शन और राजकुमार की बेहतरीन एक्टिंग फिल्म को बेहतरीन बनाती है.फिल्म की कहानी उमर शेख नाम के आतंकी पर बेस्ड है जिसका नाम 90 के दशक में कई आतंकी घटनाओं में जुड़ा था और उसी का रोल प्ले किया राजकुमार राव ने.उन्होंने एक इंसान के आतंकवादी बनने की कहानी को पर्दे पर बखूबी उतारा है राजकुमार ने उमर शेख के किरदार को उसी रोश और जोश आतंक के साथ पर्दे पर उतारा है जैसा उसके बारे में पढ़ा या लिखा गया है.फिल्म में उनके एक्सप्रेशन, बोलने का अंदाज, दर्द दिखाया है. एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति जैसे जिहादी बन जाता है यही फिल्म में दिखाया गया है.
फिल्म के कई सीन आपको हैरान कर देंगे, कई सीन विचलित कर देंगे कुछ ऐसे सीन फिल्माए गए हैं जिन्हें देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे क्या वाकई आतंक का चहेरा इतना खौफनाक होता है.फिल्म की कमजोर कड़ी बस यही है कि इसमें आपको कोई एंटरटेनमेंट नहीं मिलेगा.ये एक सीरियस फिल्म है और रूहकांप देने वाली कहानी और बेहतरीन एक्टिंग और डायरेक्शन से सजी है.
मेरी तरफ से इस फिल्म से 3.0 स्टार.
अब हम बात करते हैं डायरेक्टर उमेश शुक्ला डायरेक्टेड अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की फिल्म 102 नॉट आउट की.
फिल्म की कहानी 102 साल के पिता दत्तात्रे (अमिताभ बच्चन) की है जो अपनी लाइफ किसी नौजवान की तरह जीता है वो खुद तो खुश रहता ही है.अपने आप पास के लोगों को भी खुश देखना चाहता है साथ ही उसका सपना है कि वो चीन के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के जीने का रिकॉर्ड तोड़ना चाहता है.लेकिन उसकी परेशानी है उसका 75 साल का बेटा है बाबूलाल (ऋषि कपूर)जो काफी बोरिंग, निरस है और अपनी लाइफ में खुश नहीं है.दत्तात्रे अपने 75 साल के बेटे बाबू को खुशमिजाज और जिंदगी जीना सीखाना चाहते हैं साथ ही वो अपना सबसे ज्यादा जीने का रिकॉर्ड बना सके.

लेकिन बाबू की हालत देखकर वो परेशान है ऐसे में उसे आइडिया आता है कि क्योंना वो अपने 75 साल के बेटे को वृद्धाश्रम भेज दे.अब जैसे ही बाबू को ये बात पता चलती है वो परेशान हो जाता है.उसकी नींद उड़ जाती है। बाबू अपने पिता से आश्रम ना भेजने की गुजारिश करता है और दत्तात्रे अपने बेटे की गुजारिश मानते हुए उसके सामने कुछ शर्ते ऱखते हैं.और यहीं से शुरु होता फिल्म में टर्न ये शर्त काफी मजेदार हैं.अब बाबू को शर्त पूरी करना है ताकि वो वृद्धाश्रम जाने से बच पाए.ये कौन सी शर्ते हैं और वो उन्हें कैसे पूरा करेगा ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
भई अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की एक्टिंग के बारे में कुछ भी कहना सही नहीं है वो हर तरह का किरदार निभा चुके हैं और एक्टिंग में माहिर हैं बात सीधे करते हैं फिल्म की खूबियों की फिल्म की सबसे खूबसूरत बात है फिल्म में 102 साल के बाप और 75 साल के बेटे का प्यारभरा रिश्ता जो अनूमन देखने को नहीं मिलता. बहुत सिंपल की कहानी और शानदार एक्टिंग एक्सप्रेशन से अपनी बात कह दी गई है ये फिल्म हर वर्ग को एक सीख देती है तो बड़े-बुर्जुगों को सोचने पर मजबूर करती है.लेकिन फिल्म देखने के बाद आप बोर नहीं होंगे.बल्कि खुश होकर बाहर निकलेंगे..कुल मिलाकर ये फिल्म आप पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं ये आपको हंसाएगी, गुदगुदाएगी और थोड़ा इमोशनल भी कर जाएगी। मेरी तरफ से इस 3.5 स्टार
वेब डेस्क IBC24

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