रायपुर। 22 जनवरी को अयोध्या में होने जा रहे रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लेकर भव्य तैयारियां की जा रही है। इसको लेकर अब प्रभु श्री राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में भी उत्सव शुरू हो गया है। इसी बीच आज छत्तीसगढ़ के मुखिया विष्णुदेव साय से IBC24 के एसोसिएट कार्यकारी संपादक बरुण सखाजी ने अयोध्या में होने जा रहे रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर खास बातचीत की। इस दौरान उनसे रामलला को लेकर कई सावल पूछे जिसका सीएम ने बड़े से प्रेम पूर्वक जवाब दिया।
अतिथि देवो भव को मानता है जनजातीय समाज – सीएम
सीएम साय ने कहा कि जिस तरह से त्रेतायुग में हम भगवान राम के वनवास काल को देखते और पढ़ते हैं तो जब भगवान राम चित्रकुट पहुंचे तो आदिवासी समाज ने उनके भोजन की चिंता की। उनके लिए फल कहां से लाया जाएं, उनके पेट की चिंटा वनवासियों ने की, उनके रहने के लिए कुटी बनाने का काम आदिवासियों ने किया और उनको और क्या सुख सुविधा हो सकता है, इन सब की सुविधा आदिवासियों ने की है। आज भी आदिवासियों का स्वभाव वैसा ही है। आज भी अगर उनके यहां कोई अतिथि आ गए तो वे उनकी सेवा करने से पीछे नहीं हटते। जिस तरह से हमारे वेदों में है – अतिथि देवों भव.. इसे आदिवासी समाज पूरे रूप से मानता है।
वनवास के दौरान प्रभु श्री राम जिम्मा जनजाति समाज ने संभाला
इस इंरटव्यू के शुरुआत में सीएम साय से पूछा गया किजनजातीय समाज का राम से क्या नाता है और इसे आप कैसे देखते हैं..? इस पर सीएम साय मे जवाब देते हुए कहा कि मैं खुद जनजातीय समाज से हूं और राम का जनजाति समाज से गहरा नाता है। सीएम साय ने कहा कि -जनजाति समाज अतिथि देवो भव को मानता है। जनमजातीय समाज सेवाभवी, उदार और बड़ा सरल हृदय का होता है। सीएम ने कहा कि राम के रहने, खाने और वन में सुरक्षा का जिम्मा जनजाति समाज ने संभाला था।
किसी का निमंत्रण ठुकराना ठीक नहीं है
इस इंटरव्यू में सीएम साय से ने ये कांग्रेस द्वारा राम मंदिर का न्योता टुकराए जाने पर कहा कि राम सबके हैं, किसी वर्ग विशेष के नहीं हैं। जहां तक जाने का सवाल है सब एक साथ नहीं जा सकते। लेकिन, जिन्हें राम मंदिर का निमंत्रण मिलता है उसे ठुकराना ठीक नहीं है। कांग्रेस की मति मारी गई है। जिस तरह कहा जाता है विनाशकाले विपरीत बुद्धि.., कांग्रेस के लोग वोट बैंक के लिए चुनावी सनातनी भी बनते हैं। मंदिरों में जाते भी हैं, लेकिन आज जब सबके आराध्य और पूरा देश और दुनिया राम में है और ऐसे समय में ये राम मंदिर का निमंत्रण ठुकराते हैं तो यह ठीक नहीं है। इसलिए इनकी मति मारी गई है और इन पर विनाशकाले विपरीत बुद्धि का कहावत चरितार्थ हो रहा है।
छत्तीसगढ़ में किस तरह से जुड़ते हैं राम?
500 साल के संघर्षों के बाद ये सौभाग्य मिला है कि अयोध्या में श्री राम का मंदिर बन रहा है और आने वाला 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है। पूरा देश राममय हो गया है लेकिन हमारा छत्तीसगढ़ में ज्यादा उत्साह है। प्रदेश में इसलिए ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का नलिहाल है। माता कौश्लया का जन्म यहीं हुआ था। इसलिए भगवान राम को छत्तीसगढ़ वासी अपना भांजा मानते हैं। छत्तीसगढ़ से 3000 टन चांवल और सब्जी बी अयोध्या में भंडारा के लिए भेजा गया है। वहीं, यहां से भक्तों की सेवा के लिए डॉक्टर भी गए हैं।