Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : 1 या 2 नवंबर कब मनाई जाएगी गोवर्धन पूजा, सही तारीख और शुभ मुहूर्त जानें यहां

Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : आज हम आपको बताएंगे की इस बार गोवर्धन पूजा कब मनाई जाएगी। बता दें कि,

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  • Publish Date - October 27, 2024 / 10:09 PM IST,
    Updated On - October 27, 2024 / 10:09 PM IST

नई दिल्ली : Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : हिंदू धर्म में सभी त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली का त्योहार 5 दिन तक मनाया जाता है। दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है। इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज का पावन त्योहार मनाया जाता है, लेकिन इस बार दीपावली की डेट को लेकर बहुत असमंजस चल रहा है। जिसके कारण आगे और पीछे के त्योहारों को लेकर भी कंफ्यूजन है, आज हम आपको बताएंगे की इस बार गोवर्धन पूजा कब मनाई जाएगी। बता दें कि, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी भी आराधना होती है।

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गोवर्धन पूजा 2024 की सही डेट

Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है, जो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। कहते हैं कि, इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाए तो सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं। इस बार गोवर्धन पूजा का पावन त्योहार 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा, हालांकि इसकी तिथि 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 को शुरू हो जाएगी और इसका समापन 2 नवंबर को रात 8:21 पर होगा, ऐसे में उदिया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का त्योहार 2 नवंबर को ही मनाया जाएगा।

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गोवर्धन पूजा में शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : ज्योतिषों के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8:00 तक रहेगा। इसके बाद दोपहर में 3:23 से लेकर 5:35 के बीच में भी पूजा अर्चना की जा सकती है। गोवर्धन पूजा के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाई जाती है, मूर्ति को फूलों और रंगों से सजाया जाता है। इसके बाद गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है, भगवान को फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित किए जाते हैं। इस दौरान कढ़ी और अन्नकूट, चावल का भोग जरूर लगाया जाता है. इसके बाद इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है, पूजा करने के बाद घर में बनाए गए गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा की जाती है और आखिर में आरती करके पूजा को संपन्न किया जाता है।

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